पोर्टफोलियो में ज्यादा डायवर्सिफिकेशन क्यों हो सकता है गलत साबित, यहां जानिए पूरी डिटेल

ऐसा कहा जाता है कि पोर्टफोलियो में ज्यादा डायवर्सिफिकेशन जरूरी होता है, सवाल है कि क्या ज्यादा संख्या में फंड खरीदने से निवेश में गलतियां हो सकती हैं.

portfolio rebalance in these situations can help earn more profit

डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है और म्यूचुअल फंड निवेश के लिए ये बेहद जरूरी भी हो जाता है.

डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है और म्यूचुअल फंड निवेश के लिए ये बेहद जरूरी भी हो जाता है.

म्यूचुअल फंड में निवेशकों को पोर्टफोलियो में परिवर्तन से फायदा होता है. यह उन्हें उनके पोर्टफोलियो के अलग-अलग फंडों के मूल्य की परवाह किए बिना बेहतर रिटर्न की गारंटी देता है. इसको जानते हुए कि लाभ हमेशा पोर्टफोलियो के अन्य क्षेत्रों में होगा. पोर्टफोलियो में परिवर्तन का फायदा उन व्यक्तियों को नहीं होगा जो सीधे शेयर बाजारों में बिजनेस करते हैं. दूसरे शब्दों में डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है और म्यूचुअल फंड निवेश के लिए ये बेहद जरूरी भी हो जाता है.

यदि निवेशक डायवर्सिफिकेशन के बैलेंस को बनाए रखने में नाकामयाब रहते हैं तो यह नियम लागू नहीं होगा. यह कई बार गलत हो सकता है और बहुत अधिक म्यूचुअल फंड होने से लाभ से ज्यादा नुकसान हो सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि निवेशक उन फंडों में निवेश कर सकते हैं जो इक्विटी में या फंड में निवेश करते हैं.

स्ट्रैटेजी

उदाहरण के लिए एक निवेशक जो MF लार्ज कैप फंड, MF ब्लू चिप फंड और MF इक्विटी फंड का मालिक है, उसके पोर्टफोलियो में कुल तीन पॉलिसी हैं. हालांकि तीनों लार्ज-कैप कैटेगरी में हैं और प्रत्येक अन्य 2 को रिफ्लेक्ट करता है, जिसके चलते दोहराव की आशंका बढ़ जाती है. इस तरह के दोहराव से कोई डायवर्सिफिकेशन वैल्यू नहीं जुड़ी है. इस प्रकार एक बीच का रास्ता खोजना है जो अधिकतम रिटर्न देता है.

डायवर्सिफिकेशन में सही तालमेल बिठाने के लिए फंड क्लटर से बचना एक तरीका है. किसी भी पोर्टफोलियो के लिए डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण है. ज्यादा संख्या में फंड खरीदने से निवेश में गलतियां हो सकती हैं. एक निवेशक के रूप में अधिक सावधानीपूर्वक प्लानिंग बड़े प्लॉट, यानी एक समय अवधि में फैले फाइनेंशियल ऑब्जेक्टिव खोए बिना समझना बेहतर है.

नुकसान

ज्यादा डायवर्सिफिकेशन से एक नुकसान यह होता है कि रेगुलर सभी पैसों को ट्रैक रखने में कठिनाई होती है. बहुत सारे फाइनेंस से जुड़े सभी स्टेटमेंट्स की बार-बार समीक्षा करनी चाहिए. यह औसत निवेशक के लिए एक बुरा सपना साबित हो सकता है.

अत्यधिक डायवर्सिफिकेशन से जुड़ी एक और चिंता फंड के परफॉर्मेंस की निगरानी और हर फंड के परफॉर्मेंस के आधार पर पोर्टफोलियो को रेगुलर रि-बैलेंस करने की जरूरत है. इस प्रकार अलग निवेश स्टाइल और स्ट्रैटेजी के साथ एक सही फंड खरीदना विवेकपूर्ण हो सकता है.

हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि डायवर्सिफिकेशन गैर-जरूरी है. यदि अपर्याप्त या कोई डायवर्सिफिकेशन नहीं है, तो निवेशक के लिए छिपे हुए खतरे स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएंगे. नतीजतन निवेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पोर्टफोलियो उचित रूप से डायवर्सिफाइड है. जैसे-जैसे निवेशक का रिस्क प्रोफाइल बदलता है. प्रतिशत आवंटन एग्रेसिव से कंजरवेटिव में बदल जाता है. एक कंजरवेटिव पोर्टफोलियो में इक्विटी फंडों में कम आवंटन और डेट का ज्यादा अनुपात होगा.

डायवर्सिफिकेशन निवेशकों को रिस्क से बचाती है. हालांकि इसे ज़्यादा करने या बहुत अधिक डायवर्सिफिकेशन लाने से परिणाम कम या नकारात्मक भी हो सकते हैं. अलग-अलग कैटेगरी में निवेश में डायवर्सिफिकेशन बेहतर है, क्योंकि यह प्रभावी रूप से निवेशकों को बढ़त देता है, क्योंकि एक कैटेगरी में बेहतर प्रदर्शन दूसरे में खराब प्रदर्शन की भरपाई कर सकता है. इसके अतिरिक्त, निवेशकों को समान कैटेगरी के फंडों में निवेश करने वाली समान स्टाइल वाली कई योजनाओं से बचना चाहिए.

Published - September 28, 2021, 11:34 IST