आज के दौर की महिलाएं हर क्षेत्र में बुलंदियां छू रही हैं. वे ऐसे क्षेत्रों में भी काम कर रही हैं जिन्हें अब तक पुरुषों के लिए ही माना जाता था. वे केवल मां, पत्नी, बहन और बेटी की भूमिका में नहीं हैं, बल्कि पुरुषों की बराबरी से घर की समृद्धि में योगदान भी देती हैं. वे अपने प्रोफेशन में साहस और जिम्मेदारी की भावना के साथ काम करती हैं और घर की देखरेख भी करती हैं. दुर्भाग्य से तमाम गतिविधियों में पूरी मेहनत से हिस्सा लेने वाली महिलाएं निवेश के मोर्चे पर स्वतंत्र रूप से फैसले नहीं ले पाती हैं. ऐसा तब है जबकि ज्यादातर परिवारों में महिलाएं रोजाना के खर्चों को शानदार तरीके से मैनेज करती हैं और वित्तीय रूप से पुरुषों के मुकाबले ज्यादा जिम्मेदार होती हैं.
अगर महिलाएं अलग-अलग निवेश उत्पादों के बारे में खुद को शिक्षित बना लें और इनका सही इस्तेमाल करें तो वे वित्तीय आजादी भी हासिल कर सकती हैं.
ऐसी महिलाएं जो कामकाजी नहीं हैं वे भी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में लंबे वक्त के लिए निवेश कर रिटायरमेंट बेनेफिट्स हासिल कर सकती हैं साथ ही उन्हें इसमें टैक्स संबंधी फायदे भी मिलते हैं.
नेशनल पेंशन स्कीम भी ऐसा ही एक ठिकाना है. इसमें योगदान देने पर वे अपने फंड को इक्विटी और डेट मार्केट्स में बांट सकती हैं. साथ ही रिटायरमेंट की उम्र पार करने के बाद उन्हें एन्युटी का लाभ मिलता है.
महिलाएं मीडियम से लॉन्ग-टर्म में म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाकर अच्छा रिटर्न हासिल कर सकती हैं. इस तरह से वे अपने जीवन के तमाम मकसदों और लक्ष्यों के लिए सेविंग्स कर सकती हैं और इनकी प्लानिंग कर सकती हैं.
महिलाओं को हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस भी जरूर लेने चाहिए. महामारी के दौरान हमारी प्राथमिकताएं बदली हैं. ऐसे में इंश्योरेंस बेहद जरूरी हो गया है. नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स, पोस्ट ऑफिस स्कीम और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट भी ऐसे ही भरोसेमंद सेविंग प्लान हैं जिनमें मूलधन की सुरक्षा के साथ एक फिक्स्ड रिटर्न भी मिलता है.
ज्यादातर महिलाएं गोल्ड के साथ जुड़ाव रखती हैं. वे गोल्ड ज्वैलरी खरीदती हैं और इसे जीवनभर के लिए अपने पास रखती हैं. RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है जो कि एक बढ़िया विकल्प है. डिजिटल गोल्ड और गोल्ड ETF, गोल्ड में पैसा लगाने के दूसरे साधन हैं. गोल्ड ज्वैलरी के मुकाबले ये साधन ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं.