हाइब्रिड फंड्स में निवेश करना चाहते हैं? जानिए इनमें निवेश के क्या हैं फायदे

एसेट एलोकेशन और डाइवर्सिफिकेशन की फिलॉसफी के आधार पर काम करते हाइब्रिड फंड नए निवेशकों के लिए अच्छा एंट्री पॉइंट बन सकता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 5, 2021, 12:42 IST
Which Points should consider before choosing Hybrid Mutual Fund

Pixabay - जोखिम, अपेक्षित रिटर्न, निवेश क्षितिज और लागत जैसे विभिन्न मापदंडों को समझने के बाद हाइब्रिड फंड का चयन करें.

Pixabay - जोखिम, अपेक्षित रिटर्न, निवेश क्षितिज और लागत जैसे विभिन्न मापदंडों को समझने के बाद हाइब्रिड फंड का चयन करें.

Hybrid Mutual Funds: बाजार में लगातार तेजी के चलते महंगी वैल्यूएशन का डर बढ़ रहा है और इसलिए कई म्यूचुअल फंड निवेशक हाइब्रिड फंड में निवेश के बारे में सोच रहे हैं. हाइब्रिड फंड एक प्रकार के म्यूचुअल फंड हैं जो एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जो आमतौर पर इक्विटी और डेट एसेट का संयोजन होता है, और कभी-कभी इनमें गोल्ड भी शामिल होता है. इनका उद्देश्य इक्विटी एलोकेशन से पूंजी बढ़ाना और डेट में निवेश से अस्थिरता को कम करना है. इक्विटी बाजार में नए निवेशकों के लिए इन्हें एक अच्छा एंट्री-पॉइंट माना जाता है. इसका उपयोग किसी विशिष्ट मध्यम अवधि के लक्ष्य के लिए बचत के लिए भी किया जा सकता है.

हाइब्रिड फंड में निवेश करने से पहले इन बातों पर करें विचार

किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश का निर्णय लेने से पहले निवेश जोखिम, अपेक्षित रिटर्न, निवेश क्षितिज और शामिल लागत जैसे विभिन्न मापदंडों को समझना महत्वपूर्ण है.

जोखिम:

हाइब्रिड फंड में जोखिम मुख्य रूप से पोर्टफोलियो में इक्विटी होल्डिंग के अनुपात पर निर्भर करता है. इक्विटी कंपोनेंट जितना अधिक होगा, फंड उतना ही जोखिम भरा होगा. इक्विटी बाजार के जिस सेगमेन्ट में फंड निवेश करता है और रणनीति अपनाता हैं, उससे इक्विटी जोखिम प्रभावित होता हैं. ऋण-उन्मुख फंडों के मामले में, जो फंड डेट सिक्यॉरिटी की ब्याज आय से ही रिटर्न प्राप्त करता है, उस फंड की तुलना में कम जोखिम भरा हो सकता है जो प्राइस एप्रिशिएशन से होने वाले गेइन पर निर्भर करता है. आर्बिट्राज फंड कम जोखिम वाले उत्पाद होते हैं क्योंकि इसमें कोई दिशा-निर्देश नहीं लिया जाता है.

रिटर्न:

हाइब्रिड फंड गारंटीड रिटर्न नहीं देते हैं. ये फंड जहां निवेश करते हैं उनके प्रदर्शन से रिटर्न प्रभावित होता हैं. इक्विटी बाजार में गिरावट से बेलेन्स्ड और कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड के मुकाबले आक्रामक हाइब्रिड फंड को अधिक नुकसान होगा, क्योंकि उनका इक्विटी एक्सपोजर ज्यादा होता हैं. डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड बिना किसी कैप के इक्विटी और डेट के बीच का रास्ता चुनते है, और वे वित्तीय मॉडल के परिणाम के आधार पर इक्विटी और डेट के लिए अपने आवंटन को बढ़ाते/ घटाते हैं.

समय अवधिः

हाइब्रिड फंड 3-5 साल जैसी मध्यम अवधि के लिए उपयुक्त होते हैं. समय अवधि जितनी लंबी होगी, स्थिर और उच्च रिटर्न प्राप्त होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.

लागत:

किसी भी अन्य म्यूचुअल फंड की तरह, हाइब्रिड फंड भी एक शुल्क लेते हैं जिसे एक्सपेंस रेशियो के रूप में जाना जाता है. एक्सपेंस रेशियो जितना कम होगा, निवेशक के लिए उतना ही अच्छा होगा. हालांकि, ऊंचे एक्सपेंस रेशियो से रिटर्न प्रभावित होता है, लेकिन ये जरूरी भी नहीं है कि उच्च एक्सपेंस रेशियो हमेशा कम रिटर्न देगा.

निवेश रणनीति:

आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि, फंड का मेनेजर किस तरह की रणनीति का पालन करता हैं, उसके पोर्टफॉलियो में चयनित एसेट्स का संयोजन कैसा हैं, प्रत्येक संपत्ति में अनुपात कितना हैं और निवेश शैली कैसी हैं.

अपने लिए बेस्ट हाइब्रिड फंड कैसे चुनें

हाइब्रिड फंड का मूल्यांकन करने के लिए आपको फंड के रिटर्न में निरंतरता, फंड मैनेजमेंट टीम, विंटेज, कॉर्पस, रिस्क, रिटर्न और एक्सपेंस रेशियो के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए.

– आपको ऐसा फंड चुनना चाहिए, जो समय के साथ अपने पीयर ग्रुप के टॉप 25% में लगातार बने रहते हैं. हालांकि, उन रिटर्न को हासिल करने के लिए उन्होंने जो जोखिम उठाया है, उसे देखना भी महत्वपूर्ण है.

– फंड की शुरुआत कब से हुई है और शुरुआत से अब तक का उसका प्रदर्शन कैसा रहा हैं, ये देखना भी महत्वपूर्ण है.

– सर्वश्रेष्ठ हाइब्रिड फंडों का कॉर्पस साइज भी उचित होना है.

– रिसर्च के लिए एक अच्छी टीम और बाजार के ज्ञान के साथ एक अनुभवी फंड प्रबंधन टीम जिस फंड के पास हो उसे चुनना बेहतर है.

Published - October 5, 2021, 12:42 IST