म्यूचुअल फंड में निवेश के साथ टैक्स भी बचाना है, तो जानिए क्या है विकल्प

म्यूचुअल फंड में केवल ELSS कैटेगरी में किए गए निवेश पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत कर-कटौती का लाभ मिलता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 17, 2021, 04:10 IST
Which Category of Mutual Funds Give You Tax-Saving Option?

एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है जो पोटेंशियल रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग को जोड़ती है. किसी भी निवेश को चुनने से पहले, एक निवेशक को अपने फाइनेंशियल गोल की पहचान करनी चाहिए

एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है जो पोटेंशियल रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग को जोड़ती है. किसी भी निवेश को चुनने से पहले, एक निवेशक को अपने फाइनेंशियल गोल की पहचान करनी चाहिए

Tax Rules in Mutual Fund Investment: गुजरात सरकार के बिजली विभाग में काम कर रहे 38 वर्षीय इंजीनियर हेमांग आचार्य निवेश के साथ साथ टैक्स भी बचाना चाहते हैं. उनका इरादा म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि तक निवेश करने का है क्योंकि ऐसा करने से उन्हें कंपाउंडिंग का फायदा मिलेगा और अच्छा रिटर्न भी कमाने को मिलेगा. निखिल जानना चाहते हैं कि, म्यूचुअल फंड में निवेश के साथ टैक्स के कौन से नियम जुडे हैं और टैक्स बचाने के लिए क्या म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं. निखिल जैसे कई निवेशक म्यूचुअल फंड में टैक्सेशन के नियम जानते नहीं हैं, जो जानना उनके लिए बेहद आवश्यक है.

क्या सभी म्यूचुअल फंड्स को टैक्स बेनेफिट मिलता है

म्यूचुअल फंड की केवल एक ही कैटेगरी हैं जो आपको टैक्स बेनेफिट का लाभ देती हैं. इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाओं या ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के तहत आपकी कर योग्य आय से कटौती के लिए योग्य है. धारा 80C के तहत कर कटौती के लिए पात्र अधिकतम निवेश राशि 1.5 लाख रुपये है. यदि, आपने सेक्शन 80C के तहत निवेश की सीमा को पूरा कर लिया है तो ELSS में किए गए निवेश के लिए क्लेम नहीं कर सकेंगे.

46,350 रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं

यदि आप उच्चतम टैक्स ब्रैकेट (30%) में आते हैं, तो धारा 80C के तहत केवल ELSS म्यूचुअल फंड का निवेश दिखाते हैं तो सालाना 46,350 रुपये तक टैक्स (1.5 लाख रुपये X 30.9% टैक्स + सेस) बचा सकते हैं. निवेशक धारा 80C के तहत आप कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योगदान, PPF, जीवन और आरोग्य बीमा प्रीमियम, NSC आदि सहित निवेश पर कुल 1.5 लाख रुपये का दावा कर सकते है.

म्यूचुअल फंड में टैक्सेशन

म्यूचुअल फंड में इक्विटी और डेट (Debt) फंड के लिए टैक्स के नियम अलग-अलग है. इक्विटी म्यूचुअल फंड में 1 साल से ज्यादा समय के लिए निवेश को लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है. वहीं, 12 महीने से पहले ही उसे भुना लेने पर शार्ट टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है.

लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म

इक्विटी ऑरिएंटेड स्कीम के अलावा अन्य सभी म्यूचुअल फंड स्कीम जैसे डेट, लिक्विड, शॉर्ट टर्म डेट, इनकम फंड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में निवेश 3 साल या 36 महीने तक रहता है तो इसे लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है. वहीं, 36 महीने से पहले अगर भुनाया तो यह शार्ट टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है.

इक्विटी फंड पर कैसे लगता है टैक्स

इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम में लांग टर्म इन्वेस्टमेंट से मिलने वाले रिटर्न पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता है. हालांकि, 1 लाख रुपये तक के रिटर्न पर लॉन्ग टर्म गेन टैक्स नहीं लगता है. लेकिन अगर 12 महीने से पहले इसे भुनाते हैं तो 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.

डेट फंड पर कैसे लगता है टैक्स

डेट म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से मिलेन वाले रिटर्न पर इंडेक्सशन के बाद 20 फीसदी टैक्स लगता है. लेकिन शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट पर पैसे भुनाने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है, जो निवेशक के टैक्स स्लैब पर आधारित होता है.

Published - September 17, 2021, 04:10 IST