कोरोना महामारी ने पैसों के मैनेजमेंट में कई सीख दी है. इस संकट में लोगों ने अपनी संपत्ति और निवेश को मैनेज करने की अहमीयत समझी है. वसीयत होने से परिवार के सभी सदस्यों की आर्थिक जरूरतों का ख्याल रखा जा सकता है. कोविड के दौर में वसीयत बनवाने वालों में भी बढ़त देखने को मिली है. ये एक अच्छा बदलाव है. पहले वसीयत बनाने को चिंता का विषय माना जाता था. लेकिन, हकीकत ये है कि परिवार में किसी भी मन-मुटाव से बचने के लिए वसीयत ही सबसे ज्यादा कारगर है. वसीयत बनाने के बाद उसकी रजिस्ट्री भी करवाना बेहतर है.
वसीयत होने से परिजनों में वेल्थ, संपत्ति और अन्य ऐसेट का बंटवारा करना आसान हो जाता है. वसीयत को लेकर सोच बदलने की जरूरत है. वसीयत को जितनी बार चाहें उतनी बार बदल सकते हैं. यानी, अगर कोई गलती हो भी जाती है तो उसमें आसानी से बदलाव कर सकते हैं.
पहले के दौर में सिर्फ बुजुर्गों से वसीयत बनाने की उम्मीद की जाती थी, वो भी सिर्फ उन्हें जो समृद्ध हैं. लेकिन अब कम उम्र के लोग भी वसीयत बनवा रहे हैं. वसीयत बनाने से कई फायदे हैं – युवाओं और अगली पीढ़ी को फाइनेंस समझने में मदद मिलेगी.
परिवार के भविष्य की सुरक्षा करना प्राथमिकता होनी चाहिए. इस लक्ष्य को हासिल करने में वसीयत अह भूमिका निभा सकती है. परिजनों के बीच संबंधों को मजबूत करने और पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी.
वहीं, ऐसे लोग जो कोई बिजनेस करते हैं और कंपनियों के प्रोमोटर हैं उनके लिए वसीयत और अहम हो जाती है. लोग अक्सर निजी संपत्ति और बिजनेस की संपत्ति को एक ही समझ लेते हैं. एक ट्रस्ट बनाकर या इन फंड्स को अलग रखने की जरूरत है.
वसीयत की रजिस्ट्री का भी सुझाव दिया जाता है जिससे उससे कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती. रजिस्ट्रेशन के बिना भी पूरी प्रक्रिया का पालन करके हुए वसीयत बनाई है तो वो पूरी तरह मान्य है.
वसीयत में निवेश करें जिससे परिवार निश्चिंत रह सके.