म्यूचुअल फंड के निवेशक ग्रोथ और डिविडेंड के विकल्प को लेकर अक्सर उलझन में रहते हैं. हम यहां आपको ग्रोथ और डिविडेंड के विकल्प के बारे में बता रहै हैं. इससे आपको स्कीम में निवेश करते वक्त सही फैसला लेने में मदद मिलेगी.
ग्रोथ ऑप्शन
आइए समझते हैं कि ग्रोथ ऑप्शन में क्या होता है. मान लीजिए किसी ने 10 रुपये की एनएवी प्राइस पर 100 यूनिट खरीदी. उसने कुल 1 हजार रुपये इन्वेस्ट किए. 5 साल बाद उस एनएवी की वैल्यू 30 रुपये हो गई तो उसे एक एनएवी पर 20 रुपये का फायदा हुए. यानी अब उसे कुल फायदा 2 हजार रुपये का हुआ.
ग्रोथ का विकल्प वैसे निवेशकों के लिए सही है, जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं. इसकी वजह यह है कि रिटर्न पर कैपिटल गेंस नहीं देना पड़ता. दूसरा, लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ जाता है क्योंकि सिक्योरिटी खासकर शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है. लंबी अवधि में रिटर्न पर इस उतार-चढ़ाव का असर कम देखने को मिलता है. ग्रोथ के विकल्प में निवेशक को कंपाउंडिंग का भी फायदा मिलता है. इसलिए यह विकल्प उन निवेशकों के लिए सही है, जिन्हें अपने निवेश पर नियमित आय नहीं चाहिए.
डिविडेंड ऑप्शन
अब दूसरा ऑप्शन है डिविडेंड ऑप्शन. इसमें आपको रेग्युलर इंटरवल पर डिविडेंड इनकम मिलता है. हालांकि यह कितना मिलता है और कितने अंतराल पर मिलता है, यह पहले से फिक्स नहीं होता है. डिविडेंड ऑप्शन में NAV का ग्रोथ कम देखा जाता है. उदाहरण के तौर पर A ने 10 रुपए के NAV पर 1000 यूनिट पर्चेज किया.
उसका कुल इन्वेस्टमेंट 10 हजार रुपये हुआ. एक साल के भीतर यह NAV बढ़कर 15 रुपये हो जाता है, लेकिन फंड हाउस ने प्रति एनएवी 2 रुपये डिविडेंड के रूप में देने का फैसला किया है.
ऐसे में एक साल बाद यह NAV महज 13 रुपए रह जाता है. अगर यह ग्रोथ ऑप्शन होता तो एनएवी की वैल्यू एक साल बाद 15 रुपये होती. यह विकल्प ऐसे निवेशकों के लिए सही है, जो छोटी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड की स्कीम में पैसा लगाना चाहते हैं.