Capital Protection Fund: धीरे-धीरे जमा की गई पूंजी को सुरक्षित रखना सबसे जरूरी है. मार्केट में ऐसे भी प्लान हैं जो आपकी पूंजी को सुरक्षित रखते हैं, इसे कैपिटल प्रोटेक्शन फंड (CPF) कहा जाता है. इनका प्राथमिक उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और साथ ही उनकी पूंजी को संरक्षित करना है. हालांकि, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कैपिटल प्रोटेक्शन ओरिएंटेड स्कीम्स (CPOS) पूंजी संरक्षण की ओर उन्मुख हैं और गारंटीकृत रिटर्न की पेशकश नहीं करती हैं. ये प्लान आपको कोई बीमा कवर या बैंक गारंटी नहीं प्रदान करते हैं, लेकिन उनकी प्रकृति और पोर्टफॉलियो की संरचना इस तरीके से कि जाती हैं जिसमें डिफॉल्ट की संभावना न्यूनतम हो जाती हैं और आपका निवेश जोखिम से दूर रहता है.
कैपिटल प्रोटेक्शन फंड (CPF) या कैपिटल प्रोटेक्शन ओरिएंटेड स्कीम्स (CPOS) अनिवार्य रूप से क्लोज-एंडेड हाइब्रिड योजनाएं हैं. ऐसी योजनाओं के अधिकांश कोष (आमतौर पर लगभग 80%) का निवेश ऋण और मुद्रा बाजार के साधनों में किया जाता है, जबकि शेष का निवेश इक्विटी और इक्विटी से संबंधित उपकरणों (कन्वर्टिबल डिबेंचर, प्रेफरन्स शेयर, वारंट, इक्विटी डेरिवेटिव और ऐसे अन्य साधन) में किया जाता है. इन फंड का कार्यकाल 3-5 साल तक होता है. ये फंड AAA-रेटेड बॉन्ड में निवेश करते हैं, जिस कारण पूंजीगत हानि का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता हैं क्योंकि ऐसे बॉन्ड में डिफॉल्ट होने की केवल न्यूनतम संभावना होती है.
चूंकि यह क्लोज-एंड फंड है, इसलिए नए युनिट केवल नए फंड ऑफर (NFO) अवधि के दौरान ही सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध होंगे. बाद में यूनिट की खरीद और बिक्री केवल एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर ही संभव है, जहां फंड सूचीबद्ध है. हालांकि, ऐसा करना आसान नहीं है, क्योंकि पर्याप्त तरलता के अभाव में सेकन्डरी मार्केट में लेनदेन अक्सर एक कठिन कार्य बन सकता है.
पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के आदेश के अनुसार, इन फंड को यह सुनिश्चित करना है कि फंड का ऋण घटक फंड की अवधि के दौरान निवेश की गई प्रारंभिक राशि तक बढ़ जाए (जिससे पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित हो).
यदि आप बैंक FD जैसी सुरक्षा के साथ थोडा बहुत इक्विटी जैसा रिटर्न चाहते हैं तो कैपिटल प्रोटेक्शन फंड को चुन सकते हैं. ये फंड उन लोगों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं जो अपने संचय से नियमित आय की तलाश में हैं. इन फंड्स का ऋण में किया गया निवेश आय का एक मध्यम, लेकिन स्थिर प्रवाह प्रदान करता है. निवेश तभी करें जब आपका निवेश मकसद 3 साल या उससे अधिक का हो.
कुछ हद तक मुद्रास्फीति सुरक्षा के साथ भरोसेमंद आय प्राप्त करने के लिए, अपनी संचित बचत को धीरे-धीरे कम से कम कुछ महीनों में इन फंडों में निवेश करें, और फिर हर साल अपने निवेश के मूल्य के 4-6 प्रतिशत की सीमा में निकासी दर बनाए रखें. ये हाइब्रिड फंड जोखिम से बचने वाले, नए या पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों और यहां तक कि उन निवेशकों के लिए भी सबसे उपयुक्त हैं, जिन्होंने अपने दम पर अलग से इक्विटी विकल्पों में कठोर निवेश किया है.
ये फंड इक्विटी में बहुत कम निवेश करते हैं, जो आपके फंड में थोडी वोलेटिलिटी लाता हैं, लेकिन इससे आपको लंबी अवधि में मुद्रास्फीति की दर को बनाए रखने के लिए रिटर्न को बढ़ावा देने में मदद मिलती है. इनमें फिक्स्ड इनकम साधन के मुकाबले अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती हैं. इस केटेगरी के फंड ने पिछले एक साल में औसतन 11% रिटर्न प्रदान किया हैं.
कैपिटल प्रोटेक्शन फंड में निवेश करने का नकारात्मक पक्ष यह है कि इन फंडों पर रिटर्न सीमित है और लॉक-इन अवधि निवेशकों को परिपक्वता से पहले बाहर निकलने की अनुमति नहीं देती है, जैसा कि ओपन-एंडेड डेट फंड के मामले में होता है. इसलिए, यह उन निवेशकों के लिए आदर्श है जो लंबी अवधि के नजरिए को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहते हैं. ब्याज दरों में गिरावट के संबंध में पूंजी वृद्धि के लिए कोई जगह नहीं है.