मनी मार्केट फंड (Money Market Fund) म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है. मनी मार्केट (Money Market) म्यूचुअल फंड को लिक्विड फंड भी कहते हैं. इसमें कंपनी निवेशकों से लिया हुआ पैसा सुरक्षित व शॉर्ट-टर्म स्कीम में लगाती हैं, जैसे ट्रेजरी बिल, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कमर्शियल पेपर, रीपर्चेज एग्रीमेंट इत्यादि. ऐसे निवेश एक साल से भी काम समय में मैच्योर हो जाते हैं, इसमें 91 दिन या फिर उससे भी कम समय के लिए निवेश होता है. इसके साथ ही किसी आपातकालीन स्थिति में आप अपना पूरा पैसा भी निकाल सकते हैं. इस में एक्जिट लोड भी कम रहता है.
मनी मार्केट म्यूचुअल फंड विभिन्न वित्तीय साधनों के माध्यम से शोर्ट टर्म इंवेस्ट पर अच्छा रिटर्न प्रदान करता है. आप इसमें एक वर्ष तक निवेश कर सकते हैं. ऐसे लोग, जिनके पास बचत खाते में ठीक-ठाक पैसा है और कम जोखिम पर उच्च रिटर्न चाहते हैं इसमें निवेश कर सकते हैं. यह फंड आपको बचत खाते की तुलना में अधिक रिटर्न देगा. लिक्विड फण्ड में आपको कम से कम 8 से 10 प्रतिशत सालाना की दर से या उससे अधिक ब्याज प्राप्त हो सकता है, क्योंकि लिक्विड फण्ड के अन्तर्गत आपके इन्वेस्ट्मन्ट का ज्यादातर हिस्सा सरकारी सिक्युरटीज़ और बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है. यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो मनी मार्केट फंड (Money Market Fund) आपके लिए बेहतर नहीं है. लंबी अवधि के लिए आप डायनेमिक बांड फंड और बैलेंस फंड का उपयोग कर सकते हैं.
इसमें निवेश करने का मुख्य लाभ यह है कि ये अन्य निवेश विकल्पों जैसे कि इक्विटी आदि की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं तथा इनमें अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. निवेशक इसमें कम अवधि के लिए भी निवेश कर सकते हैं तथा निवेशित पैसे को कभी भी निकाल सकते हैं. शॉर्ट टर्म होने के कारण अर्थव्यवस्था में ब्याज दर में होने वाले बदलाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता है.
निवेशकों को सबसे पहले विभिन्न प्रकार के मनी मार्केट म्यूचुअल फंड्स की विशेषताओं और जोखिमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. डेट फंडों के साथ जो जोखिम होते हैं, वे इनके साथ भी जुड़े होते हैं. यानी क्रेडिट रिस्क, इंटरेस्ट रेट रिस्क इत्यादि का जोखिम इनमें होता है.
निवेश किस उद्देश्य से किया जा रहा है उसे याद रखें और फंड चुनने से पहले देखे कि यह आपके उद्देश्य को पूरा करता है या नहीं.
हमेशा अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले म्यूचुअल फंड को चुनना चाहिए. फंड मैनेजर की निवेश रणनीति को भी देख लेना चाहिए. निवेश से पहले एक्सपेंस रेशियो को भी देख लें.
मनी मार्केट फंडों पर डेट स्कीमों की तरह टैक्स लगता है. यानी अगर आप तीन साल से पहले निवेश को बेचते हैं तो रिटर्न आपकी इनकम के साथ जुड़ता है. फिर इस पर उसी हिसाब से टैक्स लगेगा जिस टैक्स स्लैब में आप आते हैं. अगर आप तीन साल के बाद निवेश को बेचते हैं तो इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है.