Mutual Fund: बात चाहे पर्सनल शेयरों की हो या म्यूचुअल फंड की जब इसमें लाभांश यानी डिविडेंड मिलता है तो सभी को बहुत अच्छा लगता है. बहुत से लोग ऐसे हैं जो समय-समय पर कुछ रुपये हासिल करने के लिए लाभांश (dividend) के भुगतान का विकल्प चुनते हैं और इसके लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. अगर आप भी इस विकल्प में इंट्रेस्टेड हैं और डिविडेंड म्यूचुअल फंड को अपनी मंथली कमाई का जरिया बनाना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है. आईए आपको बताते हैं इसके बारे मेंः
वेल्थ टेक फर्म डेजर्व के को-फाउंडर वैभव पोरवाल ने बताया कि वित्त अधिनियम, 2020 ने लाभांश आय पर टैक्स लगाने के तरीके को बदल दिया है. इससे पहले, म्यूचुअल फंड योजनाओं से मिलने वाले लाभांश (डिविडेंड, dividend) पर टैक्स नहीं लगता था. अब इन संशोधनों ने लाभांश (डिविडेंड, dividend) वितरण कर को खत्म कर दिया है. अब लाभांश आय टैक्स योग्य हो गई है. इनपर टैक्स देना होगा.
जानिए डिविडेंड म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं
डिविडेंड म्यूचुअल फंड (dividend mutual fund) लाभांश (डिविडेंड, dividend) देने वाली कंपनियों और बॉन्ड और डिबेंचर जारी करने वाले कॉरपोरेट्स के शेयरों में निवेश करते हैं. जब कंपनियां लाभांश की घोषणा करती हैं या बॉन्ड और डिबेंचर पर ब्याज आय का भुगतान किया जाता है, तो AMC इसे MF यूनिटधारकों को पास कर देते हैं.
इन तीन बातों का रखें ख्याल
1- टैक्स: म्यूचुअल फंड से लाभांश पर प्राप्तकर्ता के लागू टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है. ऐसे में अगर कोई प्राप्तकर्ता 30% टैक्स ब्रैकेट में आता है, तो लागू टैक्स दर 31.2% होगी. वहीं दूसरी तरफ, अगर आप किसी इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड के ग्रोथ ऑप्शन में निवेश करते हैं, तो आपको टैक्स के बाद बेहतर रिटर्न मिलेगा.
2- अनियमित कैश फ्लो: इस बात को याद रखें कि लाभांश भुगतान निश्चित नहीं है. फंड हाउस आपको इस बात की गारंटी नहीं देता कि लाभांश का भुगतान किया जाएगा. लाभांश की राशि, अगर इसका भुगतान किया जाता है, तो भी भिन्न हो सकती है. ऐसे में इससे आप अपने मासिक खर्चों के लिए लाभांश आय पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.
3- कंपाउंडिंग पर प्रभाव: यह समझने की भी जरूरत है कि म्यूचुअल फंड (mutual fund) में लाभांश भुगतान NAV को कैसे प्रभावित करता है. लाभांश (डिविडेंड, dividend) का भुगतान करने के बाद, एमएफ स्कीम का NAV उसी राशि से कम हो जाता है.
उदाहरण के लिए, अगर लाभांश (डिविडेंड, dividend) भुगतान के समय म्यूचुअल फंड का NAV 100 रुपये है, और लाभांश भुगतान 3 रुपये प्रति यूनिट है, तो NAV घटकर 97 रुपये हो जाएगा. हर बार लाभांश (डिविडेंड, dividend) का भुगतान किया जाता है, प्रति यूनिट लाभांश राशि से NAV कम हो जाता है. दूसरी ओर, उसी म्यूचुअल फंड स्कीम (mutual fund scheme) के ग्रोथ ऑप्शन में NAV बढ़ता रहेगा.
वैभव के मुताबिक, म्यूचुअल फंड योजनाओं के विकास विकल्प में निवेश करना सही है. वैकल्पिक रूप से, आप अपनी MF स्कीम में एक व्यवस्थित निकासी योजना (SWP) शुरू कर सकते हैं, जो न केवल आपको निर्धारित तिथि पर आय का एक नियमित प्रवाह देगा, बल्कि अधिक टैक्स एफीशिएंट भी होगा.
बजाज कैपिटल के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर विश्वजीत पाराशर बताते हैं कि SWP में मूलधन और लाभ की निकासी शामिल है. आप केवल पूंजीगत लाभ वाले हिस्से पर टैक्स का भुगतान करते हैं (जो कि शुरू में बहुत कम है) और मूल इनकम पर नहीं. जैसे-जैसे समय बीतता है, पूंजीगत लाभ का हिस्सा बढ़ता है, लेकिन तब तक, लाभ को लंबे समय के लिए पूंजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स, LTCG) के रूप में माना जाता है और इस पर बहुत कम दर पर टैक्स लगाया जाता है.