वैल्यू इनवेस्टिंग बनाम ग्रोथ इनवेस्टिंग: तुलना से पहले जान लें ये तथ्‍य

Value vs Growth Investing: स्टॉक इनवेस्टमेंट के मामले में वैल्यू और ग्रोथ एक सिक्के के दो पहलू हैं.

  • Viral Bhatt
  • Updated Date - August 23, 2021, 12:01 IST
these are the stock trading of mukul aggarwal and ashish kacholia

कचोलिया की तरह मुकुल अग्रवाल ने भी अपने पोर्टफोलियो में कुछ बदलाव किए हैं.

कचोलिया की तरह मुकुल अग्रवाल ने भी अपने पोर्टफोलियो में कुछ बदलाव किए हैं.

Value vs Growth Investing: शेयर मार्केट में वैल्यू स्टॉक को तलाशना किसी अगले सुपरस्टार को खोजने जैसा है. हर कंपनी दूसरे से बेहतर बनने का प्रयास कर रही है. अक्सर हर निवेशक सबसे सफल स्टॉक का ऑप्शन चुनता है, भले ही उसका वैल्यूएशन आसमान पर क्यों न हो. ऐसा नहीं है कि सबसे सफल स्टॉक अचानक मिलते हैं या नुकसान करने वाले होते हैं. हालांकि वैल्यू निवेश रणनीति के जरिए चुने गए शेयरों की तुलना में निवेश पर रिटर्न अपने अनुकूल नहीं हो सकता है. वैल्यू इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी शेयरों का चयन सावधानीपूर्वक की जाने वाली स्टडी से जुड़ा है. इसके अलावा दूसरे पैरामीटर जैसे वैल्यू से कमाई का अनुपात, प्राइज से बुक वैल्यू अनुपात, कम डेट या बेहतर डेट से इक्विटी अनुपात, इक्विटी पर रिटर्न, कैपिटल पर रिटर्न, 5 साल में बिक्री की दर और नेट मुनाफे पर ग्रोथ आदि पर बेहतर स्टॉक का मूल्यांकन किया जाता है.

मापदंडों की सूची अंतहीन

अच्छे स्टॉक्स की तलाश के मापदंडों की सूची अंतहीन है, हालांकि शोध जितना गहरा होगा, निवेश पर बेहतर रिटर्न की संभावना उतनी ही अधिक होगी.

इन पैरामीटर के अलावा कुछ दूसरे क्राइटेरिया जैसे इंडस्ट्री ट्रेंड, इकोनॉमिक हालात, स्टॉक का बीटा लेवल, बिजनेस नेचर, प्रमोटरों की हिस्सेदारी आदि के आधार पर भी स्टडी होती है.

इस तरह की स्क्रीनिंग के बाद, स्टॉक का परिणाम ऐसा है कि रिटर्न की दर के मामले में काफी उम्मीदें बढ़ जाती हैं. ऐसी उम्मीदें न करना बेमानी नहीं है क्योंकि ऐसे स्टॉक्स में काफी माद्दा होता है. ये काफी कम दाम में मौजूद होते हैं.

साधारण भाषा में समझें या क्रिकेटिंग टर्म का इस्तेमाल करें तो वैल्यू इनवेस्टिंग फंड की तलाश अगले सूर्यकुमार यादव की खोज के जैसा है, जिसके पास अपार संभावनाएं हैं और वर्तमान में बहुतों के लिए अज्ञात है.

ग्रोथ इनवेस्टिंग:

इन शेयरों को कंपनियों के किसी अनुपात विश्लेषण या फंडामेंटल चेक की आवश्यकता नहीं है, बल्कि इन शेयरों की ग्रोथ उनकी अपनी कहानी कहती है.

ग्रोथ स्टॉक वे स्टॉक हैं जो मौलिक (फंडामेंटली) रूप से मजबूत नहीं होते या सस्ती दर पर उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि इनमें ग्रोथ की अपार संभावनाएं होती हैं, कई बार निवेशक इनकी ओर ज्यादा कीमत होने के बाद भी आकर्षित होते हैं. इनमें से कई कॉमन लक्षण हैं, जो हम फॉलो करते हैं.

a. कम लाभांश का भुगतान, जिसका अर्थ है कि कंपनियां जो कुछ भी कमाती हैं, उसका तुरंत रि-इनवेस्ट किया जाता है, जिससे प्रॉफिट शेयर करने के लिए ज्यादा जगह नहीं मिलती है

b. उद्योग में ऐसी कंपनियां जो काम करती हैं वह फलफूल रही है या कुछ उत्पादों की कमी के कारण चर्चा में है. जैसे कोविड के दौर में, फार्मास्यूटिकल स्टॉक विशेष रूप से कोविड -19 दवा या दवा निर्माण क्षमता वाले फार्मास्युटिकल स्टॉक सूचकांक से ज्यादा बेहतर परफॉर्म कर रहे थे.

c. अस्थिरता शेयरों की ग्रोथ का पर्याय है, इसका मतलब है कि उनका हर मूव उनके शेयर मूल्य में दर्शाया जाता है.

d. ये स्टॉक्स इकोनॉमिक हालातों पर बहुत कम निर्भर करते हैं, ये अपने दम पर प्रदर्शन करने वाले स्टॉक्स होते हैं. इसलिए आर्थिक हालातों से प्रभावित हुए बिना, ये स्टॉक बिना किसी हस्तक्षेप के अच्छा प्रदर्शन करेंगे.

ग्रोथ vs वैल्यू:

इनमें से कोई भी स्ट्रैटेजी फ्यूचर प्रूफ या गारंटीड रिटर्न देने वाली नहीं है लेकिन इनके इतिहास पर गौर करें तो दोनों फायदेमंद हैं.

कई निवेशक यह तर्क देंगे कि वैल्यू स्टॉक कंपनी के लिए गहन विश्लेषण की जरूरत पड़ती है और इसलिए वैध रूप से उनके करेंट वैल्यू का दावा करें, जबकि ग्रोथ स्टॉक स्टॉक की कीमत आवेगपूर्ण (इंपल्सिव) शूटआउट पर निर्भर है जो जरूरी नहीं कि उनके वास्तविक मूल्य का निर्धारण कर सकें.

दूसरी ओर ग्रोथ फॉलोवर्स, यह तर्क दे सकते हैं कि ये ऐसे स्टॉक हैं जहां हर निवेशक अस्थिर अर्थव्यवस्था से खुद को बचाने के लिए इनमें निवेश करता है.

अगर एक निष्पक्ष बात की जाए तो उचित तरीके से उपयोग किया जाए तो दोनों रणनीतियाँ प्रभावी हैं. वैल्यू स्टॉक्स में न केवल कंपनी के आर्थिक बल्कि अन्य सभी महत्वपूर्ण पैरामीटर पर गहरे शोध के बाद समर्थन किया जाता है, जहां निवेशक ज्यादा सहज महसूस करते हैं.

हालांकि इस तरह की स्टडी के बावजूद, अक्सर ऐसे उदाहरण होते हैं जिनमें ग्रोथ स्टॉक, वैल्यू स्टॉक से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

हालांकि इस तरह के अध्ययन के बावजूद, अक्सर ऐसे उदाहरण होते हैं जिनमें ग्रोथ स्टॉक वैल्यू स्टॉक से बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं जहां अप्रैल 2020 में वैल्यू स्टॉक ने ग्रोथ स्टॉक को कुछ मार्जिन से मात दी, उदाहरण के लिए इनमें एक्लेरक्स सर्विसेज और पेज इंडस्ट्रीज शामिल हैं. अंकों में फायदा लेने के लिए उपरोक्त प्वाइंट्स आपको कुछ समझ दे सकते हैं.

a. स्थिरता: जब स्टॉक पर रिसर्च की जाती है तो ये बेहतर प्रदर्शन करता ही है. जब तक कि कुछ बड़ा कारण इससे प्रभावित न हो.

b. ग्रोथ की बजाए वैल्यू वाले स्टॉक्स का चुनाव कर चकमा देने जैसा है, इसका मतलब आपने वो भुगतान किया है, जो इसकी कीमत है. और ऐसा कुछ नहीं जो हर आर्थिक घटना को दबा दे.

c. कैपिटल में इजाफे के ऊपर एक अतिरिक्त धन के रूप में लाभांश, चूंकि वैल्यू स्टॉक्स में अक्सर अधिक लाभांश का भुगतान होता है और फिर भी भारी कैश बैलेंस के कारण इंटरनल स्रोतों से निवेश या कैपिटल एक्सपेंडिचर का मैनेजमेंट करता है.

d. दोधारी तलवार, यदि वैल्यू को विकास के साथ जोड़ा जाता है, तो यह आपको जबरदस्त रिटर्न दे सकता है, हालांकि ग्रोथ स्टॉक बेहतर रिसर्च वाले स्टॉक नहीं हो सकते हैं, इसलिए इसके साथ संदेह और डर जैसी चिंताएं भी हो सकती हैं.

ग्रोथ और वैल्यू दोनों को लेकर पूर्ण सफलता का दावा किसी में भी नहीं किया जा सकता है. लेकिन, अगर अर्थव्यवस्था मददगार है, तो ग्रोथ शेयरों को आजमाया जा सकता है, जबकि जब अर्थव्यवस्था विपरीत हो तो वैल्यू शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी का फैसला हो सकता है.

इसलिए बहुत कुछ आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है लेकिन साथ ही, केवल एक और केवल एक दृष्टिकोण के साथ रहना अक्लमंदी की बात नहीं हो सकती है, क्योंकि स्टॉक निवेश में लचीलापन होना चाहिए.

Published - August 23, 2021, 12:01 IST