स्मॉल-कैप कंपनियों में नए सिरे से दिलचस्पी ने तीन साल से सोए हुए निवेशकों को फिर से जगा दिया है. मार्च 2020 के बाद से, कई स्मॉल-कैप एंटरप्राइजेज की वैल्यू कम इंटरेस्ट रेट और इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए सरकार और रेगुलेटरी की कोशिशों के कारण दोगुने से ज्यादा हो गई है. जून 2020 से रिटेल खर्च में बढ़ोतरी से स्मॉल कैप कंपनियों की वापसी को बढ़ावा मिला है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट के अनुसार, स्मॉल कैप में डेट लेवल ज्यादा मैनेजेबल हो गया है.
हालांकि स्मॉल-कैप शेयरों के रिस्क और वोलैटिलिटी को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता है. ज्यादातर रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए म्यूचुअल फंड स्ट्रेटजी स्मॉल कैप में इन्वेस्ट करने का सबसे अच्छा तरीका है.
वैल्यू रिसर्च के अनुसार, इक्विटी स्मॉल कैप फंड ने एक साल के लिए 90.27 प्रतिशत (एब्सॉल्यूट रिटर्न) और 27.44 प्रतिशत (एनुअल रिटर्न), और तीन और पांच सालों में 16.90% (एनुअल रिटर्न) प्रोवाइड किया है. स्मॉल कैप फंड में निवेश करते समय इन बातों का ख्याल रखें.
फंड मैनेजर की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी
इन्वेस्टमेंट का डिसीजन लेते समय एक इन्वेस्टमेंट मैनेजर का एसेट एलोकेशन, फिलॉसफी, स्टॉक सिलेक्शन सभी को कंसीडर किया जाना चाहिए. स्मॉल-कैप फंड में इन्वेस्ट करते समय ये जरूर गौर करें कि पोर्टफोलियो गोल ऐसे हों जो आपकी रिस्क कैपेसिटी से मेल खाते हों.
इन्वेस्टमेंट की अवधि
तीन से पांच साल के बाद, एक म्यूचुअल फंड रिटर्न जनरेट करना शुरू कर सकता है. दूसरी ओर, सात से दस सालों का एक डेडिकेटेड और डिसिप्लिन इन्वेस्टमेंट पीरियड, काफी बड़ा रिटर्न हासिल करने और किसी भी नुकसान की भरपाई करने में सक्षम बनाता है.
रिस्क एलोकेशन
इन फंडों का रिस्क असेसमेंट लगातार इन्वेस्टर्स द्वारा किया जाना चाहिए, न केवल इक्विटी एसेट में, बल्कि पूरे पोर्टफोलियो के बारे में भी आप फाइनेंशियल एडवाइजर की एक्सपीरिएंस का इस्तेमाल करके स्मॉल-कैप इन्वेस्टमेंट से जुड़े रिस्क और वोलैटिलिटी को कम कर सकते हैं.
यदि आप एक फंड मैनेजर की तलाश कर रहे हैं, तो एक ऐसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की तलाश करें, जिसका रिस्क मैनेजमेंट का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड हो. ऐसे फंड चुनें जो कम से कम छह से दस साल के आसपास रहे हों. मार्केट में उछाल और उतार-चढ़ाव दोनों के दौरान बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर परफॉर्म करने वाले फंड निवेश करने के लिए सबसे अच्छे हैं.
फंड हाउस मंथली फैक्टशीट पब्लिश करते हैं जो हर फंड के परफॉर्मेंस की डिटेल देते हैं. इन्वेस्ट करते समय, फंड के ग्रोथ पोटेंशियल को समझने के लिए प्राइज-टू-इक्विटी रेश्यो देखें.