एक्सिस कैपिटल (Axis Capital) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि प्रमुख भारतीय शहरों में निर्माणाधीन संपत्तियों की सूची (under-construction realty inventory) में पिछले सात वर्षों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. नए आवास निर्माण शुरू होने से बिक्री में कमी आई है. रिपोर्ट में बताया गया कि वॉल्यूम के मामले में पुणे सबसे अच्छे बाजार के रूप में उभरा है. इसके बाद हैदराबाद है, जबकि इस सूची में सबसे बड़ी गिरावट मुंबई में देखी गई है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में शुरू हुए क्रेडिट संकट ने एकीकरण (consolidation) की गति को तेज कर दिया है. इससे ग्रेड-ए डेवलपर्स को ज्यादा फायदा पहुंचा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माणाधीन परियोजनाओं की उस लिस्ट में गिरावट देखी गई है जो अब तक बिकी नहीं हैं. इसलिए यह उम्मीद की जा सकती है कि डेवलपर्स निर्माणाधीन परियोजनाओं को वित्त वर्ष 23 में फिर से लॉन्च करेंगे. आर्थिक राजधानी मुंबई में अब तक इस सूची में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है.
निर्माणाधीन परियोजनाओं के मामले में पुणे सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरा है, जबकि MMR (विशेषकर मुंबई) की इन्वेंट्री लगभग आधे से कम हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में बिना बिकी प्रॉपर्टी की संख्या काफी कम है. पहले लॉन्च की गई सभी हाउसिंग यूनिट्स को बेच दिया गया है.
मुंबई में पिछले 5-6 वर्षों में इन्वेंट्री महीने 40 से घटकर 20 से थोड़ा अधिक हो गई है. दिल्ली NCR इन दोनों शहरों के मुकाबले सभी मापदंडों पर फिलहाल पिछड़ा हुआ है.
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के लीड एजवाइजरी पार्टनर सुमित अबरोल के मुताबिक, साल 2018 के बाद RERA (Real Estate Regulatory Authority) की शुरुआत ने इस क्षेत्र में एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी. इससे खरीदार अधिक जागरूक और परियोजनाओं के प्रति आश्वस्त हो गए.
पिछले कुछ सालों में भी कम मांग देखी गई, जिससे नए प्रोजेक्ट लॉन्च की संख्या में गिरावट आई है. अब डेवलपर्स ने नए आवास शुरू करने के बजाय निर्माणाधीन संपत्तियों को बेचने पर भी ध्यान केंद्रित किया है.
पंकज बंसल, निदेशक, M3M ने बताया कि कंपनी ने निर्माणाधीन परियोजनाओं को बेचने पर जोर देना शुरू किया है. उसका ध्यान ग्राहकों को परियोजनाओं की समय पर डिलीवरी करने पर है.