जिंदगी में हमें कई मामलों में दुविधा होती है. खासकर इनवेस्टमेंट के मामले में कि निवेश के लिए कौन सा विकल्प ज्यादा बेहतर है? यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान और सिस्टैमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान में अक्सर चुनाव को लेकर दुविधा बनी रहती है. आइए जानते हैं कि इन दोनों विकल्पों में आपको कौन सा चुनना चाहिए.
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान
ULIPs अपनी तरह का एक फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट टूल है. ये आपको इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट दोनों का लाभ देता है. इंश्योरेंस कवर देने के साथ साथ यूलिप आपको बाजार में निवेश करने की इजाजत भी देता है. लॉन्ग टर्म निवेश के लिए ULIPs एक बेहतर विकल्प है.
सिस्टैमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान
निवेश करने के लिए एसआईपी एक सिस्टैमेटिक प्लान है. ये मुख्यतौर पर म्यूचुअल फंड्स के साथ जुड़े होते हैं. एसआईपी के जरिए आप हर महीने, तिमाही या सालाना आधार पर निवेश कर सकते हैं. यह रिटायर होने तक या जब तक आप पॉलिसी को अंतिम रूप देने के लिए चुनते हैं, तब तक आपको इससे एक अच्छी खासी मदद मिल जाती है.
ULIP vs SIP
ULIP और SIP के बीच में कई अंतर होते हैं. निवेश के नजरिए से निवेश के तरीके का चुनाव आपके आर्थिक लक्ष्य और योजनाओं पर निर्भर करता है. नजर डालिए और समझिए कि आपकी जरूरत और भविष्य के हिसाब से आपके लिए निवेश का कौन सा विकल्प चुनना एक बेहतर विकल्प रहेगा.
1. अंतर
दोनों के बीच में एक मौलिक अंतर ये है कि ULIP के जरिए आपको इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट दोनों का फायदा मिलता है. जबकि दूसरी तरफ, एसआईपी का मकसद पैसे बनाना होता है. इसमें किसी तरह का लाइफ कवर नहीं मिलता है.
2. रिस्क फैक्टर
म्यूचुअल फंड्स पूरी तरह से इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है. ये इसको थोड़ा रिस्क आधारित बनाता है. जबकि दूसरी तरफ ULIPs मुख्यतौर पर इंश्योरेंस प्रोडक्ट है. नतीजन, फंड मैनेजर हाई रिस्क वाली स्ट्रैटेजी ट्राई करने से बचते हैं.
3. शुल्क
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, म्यूचुअल फंड से जुड़े फंड मैनेजमेंट शुल्क काफी ज्यादा होते हैं. ULIPs की बात करें तो ये काफी कम शुल्क से साथ आते हैं, जो लगभग 1.35% है. हालांकि, यूलिप पर अन्य शुल्क भी लागू होते हैं.
4. लॉक-इन-पीरियड
ULIP का लॉकइन पीरियड पांच साल का होता है, जबकि एसआईपी का कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता है. (टैक्स बचाने वाली एसआईपी का लॉक-इन 3 साल का होता है)
5. स्विच करने का विकल्प
यूलिप प्लान में फंड के बीच मुफ्त स्विचिंग ऑप्शन मिलता है, जबकि एसआईपी फंड स्विचिंग का फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता है.
6. टैक्स में फायदा
इक्विटी लिंक्ड सेविंग अकेली ऐसी स्कीम है, जिसके जरिए टैक्स बचाया जा सकता है. लेकिन ULIPs के केस में 1.5 लाख तक का कोई भी अमाउंट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत बचाया जा सकता है.
एक्सपर्ट व्यू
चार्टड अकाउंटेंट सुमन साहा के मुताबिक ULIPs और एसआईपी की भारत में जबरदस्त लोकप्रियता है. दोनों ही निवेश के लिए बढ़िया विकल्प हैं. 40 साल या 45 साल की आयु तक कोई भी अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा यूलिप या एसआईपी में निवेश कर सकता है. लेकिन 45 साल के बाद सभी को अपनी निवेश करने की नीति में बदलाव करना चाहिए और दूसरे ज्यादा सुरक्षित विकल्पों में निवेश करना चाहिए जिनमें खतरा कम हो.”