कैपिटल गेन टैक्स क्या है? कितने है इसके प्रकार और कितना लगता है टैक्स? जानिए सबकुछ

किसी भी चल या अचल संपत्ति पर मिलने वाले प्रॉफिट पर लगने वाले टैक्‍स को लॉन्‍ग-टर्म या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स कहा जाता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 29, 2021, 11:33 IST
Types of Capital Gains, What is Short-Term & Long-Term Capital Gain Tax?

प्रॉपर्टी, शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट को बेचने से कैपिटल गेन हो रहा हैं, तो टैक्स चुकाना होगा.

प्रॉपर्टी, शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट को बेचने से कैपिटल गेन हो रहा हैं, तो टैक्स चुकाना होगा.

What is Capital Gain Tax: सरकार आय प्राप्त करने के लिए निवेशकों पर तमाम तरह के टैक्स लगाती हैं. ऐसा ही एक टैक्स है कैपिटल गेन टैक्स. ये टैक्स पहले घर, संपत्ति, जेवर, कार, बैंक एफडी, एनपीएस और बॉन्ड आदि की बिक्री से हासिल हुए मुनाफे पर लागू होता था. फिर, 2018 से यह पहली बार स्टॉक मार्केट से जोड़ा गया है. अलग-अलग सेगमेंट के हिसाब से कैपिटल गेन कैलकुलेशन अलग-अलग होता है. आइए इसे समझते हैं.

क्या है कैपिटल गेन टैक्स?

Capital Gain यानी, पूंजी लाभ. ये पूंजी आपका घर, संपत्ति, जेवर, कार, शेयर, बॉन्ड आदि कुछ भी हो सकता है. ऐसी किसी भी चीज को खरीदने के बाद बेचने से जो लाभ होता है, उसे कैपिटल गेन कहते हैं. इसे सरकार आपकी आय का हिस्सा मानती है और इस पर टैक्स लेती है. किसी पूंजी यानी संपत्ति को बेचने पर होने वाले लाभ में जो टैक्स लगता है उसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं.

कैपिटल गेन के प्रकार

कैपिटल गेन टैक्स अलग-अलग तरह की पूंजी पर अलग-अलग तरीके से लगता है. इसे दो कैटेगरी (लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म) में बांटा गया है. किसी पूंजी के लिए लॉन्ग-टर्म की अवधि 3 साल है तो किसी के लिए 2 साल तो किसी के लिए 1 साल भी है.

शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स

– अगर कोई प्रॉपर्टी आप 3 साल से कम अवधि तक अपने पास रखकर बेच डालते हैं तो उससे होने वाला प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) में गिना जाता है और इस पर लगने वाला टैक्स शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स कहा जाता है. वित्त वर्ष 2017-18 से अचल संपत्तियों के 2 साल के भीतर हुए सौदों को शॉर्ट-टर्म की सीमा में कर दिया गया है.

– शेयर के मामले में 1 साल के भीतर बेचने पर उससे होने वाला फायदा STCG माना जाएगा.

STCG टैक्स की दर

– STCG टैक्स कि गिनती करने के लिए इसे अन्य आमदनियों की तरह आपकी कुल आमदनी में जोड़ दिया जाता है. फिर कुल आमदनी में से जितनी आपकी टैक्सेबल इनकम होती है, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स भरना पड़ता है.

– कंपनी के इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड के यूनिट के मामले में, उन्हें 1 साल के भीतर बेचने पर होने वाले STCG पर 15% फिक्स टैक्स लागू होता है. चाहे आप जीरो टैक्स में आते हों या फिर 30 फीसदी टैक्स वाले स्लैब में आते हैं, आपको शेयर या म्युचुअल फंड से होने वाली कमाई पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा.

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स

– अगर कोई प्रॉपर्टी कम से कम 3 साल तक अपने पास रखकर बेचते हैं तो उससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) में गिना जाता है और इस पर लगने वाला लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स कहा जाता है. अचल संपत्तियों (जमीन, बिल्डिंग, घर आदि) के मामले में LTCG की अवधि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2 साल कर दी है. जबकि चल संपत्तियों (ज्वैलरी, बॉन्ड, डेट म्यूचुअल फंड) के मामले में यह 3 साल ही है.

– इक्विटी शेयर्स के मामले में सिर्फ एक साल की अवधि को ही लॉन्ग-टर्म में रखा गया है.

LTCG टैक्स की दर

सामान्यतया लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है. कुछ विशेष मामलों में यह 10 प्रतिशत भी हो सकता है. जिन मामलों में हम कैपिटल गेन निकालने के लिए इंडेक्सेशन का प्रयोग करते हैं, उन में 20 प्रतिशत टैक्स लागू होता है.

इस टैक्स से बचने के तरीके

कैपिटल गेन टैक्स से बचने के लिए आप इंडेक्सेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. नई प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं. कैपिटल गेन अकाउंट खुलवा सकते हैं, कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. टैक्स-लोस हार्वेस्टिंग रणनीति से नुकसान समायोजन भी कर सकते हैं.

Published - October 29, 2021, 11:33 IST