यदि लंबी अवधि के लिए निवेश (Investment) किया जाए तो, ऐतिहासिक रूप से यह साबित होता है कि शेयरों में ही सबसे अधिक रिटर्न प्राप्त होता है. हालांकि, किसी नए निवेशक के लिए सीधे शेयरों में निवेश (Investment) करने पर जोखिम होता है. ऐसे में ETF जैसे म्यूचुअल फंड बेहतर साबित होते हैं. ये फंड बाजार के मुताबिक रिटर्न देते हैं. Money9 से बात करते हुए Equity Passive Funds LIC MF, की फंड मैनेजर रीतु मोदी ETF के फायदे बताती हैं.
Modi: ETF पिछले दो दशकों से बाजार में उपलब्ध हैं. जब पेंशन फंडों ने ETF के जरिए शेयरों में निवेश करना शुरू किया तो इसमें तेजी शुरू हुई. इसके बाद कई फंड हाउस ETF में निवेश करने लगे और अपने ETF लॉन्च किए. जिन निवेशकों कम लागत में और सुरक्षित निवेश करना हो उनके लिए ETF बेहतर होता है.
Modi: शेयरों में निवेश करना हमेशा जोखिम का विषय होता है. छोटी अवधि में रिटर्न प्रभावित होता है लेकिन यदि निवेशक लगातार लंबी समय तक निवेश करता रहता है कि उसे ब्याज दरों से अधिक रिटर्न प्राप्त होता है.
Modi: पेसिव फंड सरल होते हैं और इसमें निवेशक को लगातार ट्रैक करने की जरूरत नहीं होती. जो लोग बेंचमार्क सूचकांकों के मुताबिक रिटर्न हासिल करना चाहते हैं उनके लिए यह बेहतर होता है. इसके जरिए आप व्यापक पोर्टफोलियो में निवेश कर सकते हैं. साथ ही में कम जोखिम होता है.
Modi: भारत में म्यूचुअल फंड के जरिए कम निवेश होता है. पेसिव फंडों में तो और भी कम. हम अभी शुरुआती दौर में हैं. हालांकि, भारत में भी ETF की शुरुआत उसी तरह हुई जैसे पूरी दुनिया में. हमारे में कुछ नए फंड उपलब्ध हैं, इनमें स्मार्ट-बीटी ETF, वैश्विक बाजार को ट्रैक करने वाले ETF, थीम-आधारित ETF वगैरह शामिल हैं. आने वाले समय में इस क्षेत्र में इजाफा देखने को मिलेगा.
Modi: इसकी मुख्य वजह उत्पादों की प्रकृति है. पेसिव फंड अधिक व्यापक होते हैं. इसलिए इसमें एक समान और औसत रिटर्न प्राप्त होता है.
Modi: कोई भी निवेश निवेशक के उद्देश्य और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर होता है. पेसिव फंडों को निवेश का प्रारंभिक कदम माना जा सकता है, क्योंकि इसमें स्थिर रिटर्न और कम उतार-चढ़ाव होता है. जिन्हें अधिक रिटर्न चाहिए वे एक्टिव फंड को चुन सकते हैं.
Modi: बाजार में कई तरह पेसिव फंड हैं, जो विभिन्न सूचकांकों, सेक्टरों को ट्रैक करते हैं. ऐसे में निवेशक को तय करना चाहिए वह किसी क्षेत्र में निवेश करना चाहता है. निवेशक को ऐसे ETF चुनना चाहिए, जिसने सूचकांक को ट्रैक करने में कम से कम चूक की हो.