फिक्स्ड डिपॉजिट्स भी निवेश के लिए अधिकतर लोगों का पसंदीदा विकल्प है लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर आप सबसे अधिक दरों वाले टैक्स ब्रेकेट में आते हैं तो एफडी पर मिलने वाला ब्याज आपकी आय में जब जुड़ती है तो सबसे अधिक दर से इस पर टैक्स चुकाना होता है. दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड में निवेश से अच्छा रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, इसमें टैक्स के पहलुओं को भी समझना महत्वपूर्ण है.
म्यूचुअल फंड में निवेश से किसी को दो प्रकार की इनकम होती है. पहली है डिविडेंड और दूसरी है कैपिटल गेंस/लॉस. दोनों मामलों में टैक्स अलग-अलग तरह से लगता है.
डिविडेंड इनकम
तमाम लोग डिविडेंड इनकम के लिए डिविडेंड ऑप्शन में निवेश करते हैं. यह इनकम टैक्स-फ्री होती है. हालांकि, इसमें डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) लगता है. डिविडेंड का एलान करते वक्त फंड हाउस इसका भुगतान करता है.
कैपिटल गेन्स पर टैक्स
यदि आपका म्यूचुअल फंड मैनेजर फंड की राशि का 65% निवेश शेयर बाजार में लिस्टेड घरेलू कंपनी में करता है तो इसे इक्विटी म्यूचुअल फंड कहते हैं. इनमें 1 साल से ज्यादा वक्त के निवेश को लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है. वहीं, 12 महीने से पहले ही उसे भुना लेने पर शार्ट टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है.
इक्विटी ऑरिएंटेड स्कीम के अलावा अन्य सभी म्यूचुअल फंड स्कीम जैसे डेट, लिक्विड, शॉर्ट टर्म डेट, इनकम फंड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में निवेश 3 साल या 36 महीने तक रहता है तो इसे लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है. वहीं, 36 महीने से पहले यदि इसे भुनाया तो यह शार्ट टर्म इंवेस्टमेंट माना जाता है.
इक्विटी फंड्स के कैपिटल गेन्स पर टैक्स
इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम में 12 महीने से ज्यादा वक्त तक के निवेश से मिले रिटर्न पर 10% लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता है. हालांकि, 1 लाख रुपये तक के रिटर्न पर लॉन्ग टर्म गेन टैक्स नहीं लगता है. लेकिन 12 महीने से पहले इसे विड्रॉ कर लेने पर 15% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. इसके अलावा इस पर सेस व सरचार्ज भी लगाया जाता है.
डेट फंड्स के कैपिटल गेन्स पर टैक्स
इस फंड को तीन साल से पहले अगर रिडीम करते हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है और इसे टैक्सेबल इनकम में जोड़कर स्लैब रेट के मुताबिक टैक्स देनदारी बनती है. तीन साल के बाद अगर डेट फंड के यूनिट्स की बिक्री की जाती है तो प्रॉफिट लांग टर्म कैपिटल गेन होता है और इस पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी की दर से टैक्स देयता बनती है.
हाईब्रिड फंड पर कैपिटल गेन्स
म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में 65 फीसदी से अधिक इंस्ट्रूमेंट्स जिस कैटेगरी के हिसाब से हैं, उसी के मुताबिक ही टैक्स कैलकुलेशन होगा. जैसे कि अगर 65 फीसदी से अधिक एक्सपोजर इक्विटी का है यानी कि 65 फीसदी से अधिक निवेश इक्विटी में हुआ है तो इस पर टैक्स देनदारी इक्विटी फंड के आधार पर की जाएगी.
इंडेक्सेशन बेनिफिट
नॉन-इक्विटी स्कीमों के लिए एलटीसीजी के मामले में निवेशक इंडेक्सेशन का फायदा ले सकते हैं. इंडेक्सेशन का मतलब खरीद मूल्य को दोबारा कैलकुलेट करने से है. इस प्रक्रिया में खरीद मूल्य में इनफ्लेशन को अडजस्ट किया जाता है. इससे कैपिटल गेंस घट जाते हैं.
ईएलएसएस में निवेश कर आप सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. ईएलएसएस स्कीमों को टैक्स सेविंग फंड भी कहा जाता है.