Equity Mutual Fund: चाहे नया निवेशक हो या पुराना, एक उलझन से तो परेशान रहता ही है कि इतने सारे इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में से अपने लिए बेहतर फंड कौन सा है ये कैसे पता करें? इस उलझन को सुलझाने के लिए आप म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट के बताए गए इन तरीकों का उपयोग करके एक सही म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि कोई एक फंड सभी पैमानों पर खरा उतरे, लेकिन कुछ कम महत्वपूर्ण कारकों से आप समझौता करके भी प्रारंभ में कठिन लगने वाली प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं.
1. टार्गेटः
सबसे पहला कदम है टार्गेट तय करना. आपको सोचना चाहिए कि, आप म्यूच्यूअल फंड में क्यों निवेश करना चाहते है. जब लक्ष्य निर्धारित हो तो म्यूचुअल फंड का प्रकार तय करने में आसानी हो जाती है. अगर आपका लक्ष्य लॉन्ग टर्म का है तो इक्विटी फंड में जा सकते हैं.
2. रिस्कः
टार्गेट तय करने के बाद अपनी जोखिम लेने की क्षमता कितनी है, यह सुनिश्चित कर लें. अगर आप एग्रेसिव निवेशक की तरह ज्यादा रिस्क ले सकते हैं तो स्मोल केप फंड चुने, यदि बहुत कम रिस्क लेकर वेल्थ बनाना चाहते हैं तो लार्ज केप फंड को चुने.
3. इन्वेस्टमेंट की अवधिः
आप कितने समय तक निवेश करना चाहते है उसके आधार पर फंड का चयन करने में आसानी होती है. आप कुछ दिनों से लेकर 3 साल, 5 साल या 20 साल तक की अवधि के लिए भी निवेश कर सकते है. अगर आप कम समय के लिए पैसा लगा रहे हैं तो आपको पैसा सुरक्षित फंड में लगाना चाहिए.
4. फंड का प्रदर्शनः
अपने टार्गेट हासिल करने के लिए अच्छी परफॉर्मेंस करने वाला फंड ही चुनना चाहिए. इसके लिए आपको फंड लगातार कितने समय से अच्छा परफॉर्मेंस कर रहा है यह देखना चाहिए, केवल एक या दो साल का परफॉर्मेंस देखने के आधार पर उसे पसंद ना करे. वैसे तो किसी भी म्यूच्यूअल फंड की पिछली परफॉर्मेंस उसकी भविष्य की परफॉरमेंस का मापदंड नहीं होती, फिर भी अस्थिर मार्केट में फण्ड कैसा प्रदर्शन कर रहा है, यह देखना आवश्यक है. ये भी देखें की क्या फंड अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन कर पा रहा है या नहीं.
5. फीस, लोड और एक्सपेंस रेशियोः
म्यूचुअल फंड कंपनी निवेशकों से फीस चार्ज करके ही लाभ कमाती है. फंड फीस, लोड और एक्सपेंस रेशियो जितना ज्यादा होगा, उतना ही आपको मिलने वाला मुनाफा कम होगा. आपको फंड के एक्सपेंस रेशियो की तुलना समान कैटेगरी के फंड से करनी चाहिए. फंड के एक्जिट लोड और इनके शुल्क के बारे में जांच-पड़ताल अवश्य कर लेनी चाहिए.
6. फंड मैनेजर का ट्रेक रिकॉर्डः
फंड को संभालने वाले फंड मैनेजर का अनुभव, उसकी योग्यताएं, वह वर्तमान में किस-किस फंड को मैनेज कर रहा है वगैरह बातें जानने के बाद ही फंड को चुनना चाहिए. फंड मैनेजर जितने फंड को संभाल रहा है, उन सभी का रिटर्न्स देखना चाहिए. इससे फंड मैनेजर की काबेलियत का पता लग जाएगा. आप विभिन्न वेबसाइट से फंड मैनेजर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
7. रेटिंग
CRISIL, ICRA, Morning Star, Value research जैसी एजेंसियों द्वारा म्यूच्यूअल फंड को पास्ट परफॉर्मेंस के आधार पर रेटिंग दी जाती है. रेटिंग किसी फंड की परफॉर्मेंस का संपूर्ण पैमाना नहीं होती, फिर भी 3 स्टार से नीचे वाली स्कीम का चुनाव बिल्कुल नहीं करना चाहिए. आपको चार या पांच स्टार रेटिंग वाले फंड को चुनना चाहिए ऐसा एक्सपर्ट कहते है.
8. फंड की साइज और उम्रः
फंड की साइज और उसकी उम्र से उसकी लोकप्रियता और पुराने डेटा के आधार पर तुलना करने में आसानी होती है. फंड की AUM लगातरा बढ रही है तो उसका मतलब है कि वह अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. अगर फंड की आयु 2-3 वर्ष से ज्यादा है तो पुराना डेटा मिलने से उसका विश्लेषण करने में आसानी रहती है.
9. फंड का प्रकार और पोर्टफोलियोः
आप जिस म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं उसके पोर्टफोलियो में कितने प्रकार के स्टॉक हैं यह देखना चाहिए. कहीं फंड मैनेजर ने ऐसे स्टॉक्स का तो चयन नहीं कर रखा जिनकी ग्रोथ संभावनाएं बहुत कम है. आप समान तरह के फंड के पोर्टफोलियो की भी आपस में तुलना कर सकते हैं.