निवेशक अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न चाहते हैं. उन्हें निवेश से जुड़े जोखिम का अंदाजा नहीं होता कि कैसे जरा सी असावधानी से उनकी पूंजी डूब सकती है. कई बार तो थोड़ा जोखिम उठाकर वे धन को दोगुना करने की ताक में जुटे होते हैं. निवेश के किसी विकल्प को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना-समझना जरूरी है. ऐसे निवेशक जो पहली बार निवेश कर रहे हैं, कुछ लोकप्रिय निवेश विकल्प हैं जिन्हें चुन सकते हैं:
बैंक FD
बैंक या पोस्ट ऑफिस में कराई जाने वाली टैक्स सेविंग FD से आप निवेश के वक्त सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचा सकते हैं. यह निवेश का सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाला विकल्प है. इस पर मिलने वाले ब्याज पर आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है. डिपाजिट इंश्योरेंस एवं क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के हिसाब से आपकी 5 लाख रुपये तक की जमा रकम बीमित है.
पीपीएफ
देश में निवेशकों के बीच पीपीएफ सर्वाधिक लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत किसी एक वित्त वर्ष में आप पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं.
निवेश के इस विकल्प की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको EEE (निवेश के वक्त करमुक्त, ब्याज पर करमुक्त, निवेश भुनाने पर करमुक्त) का लाभ देता है.
निवेश के इस विकल्प में सरकारी गारंटी इसकी लोकप्रियता को और बढ़ा देती है.
म्युचुअल फंड (MF)
म्युचुअल फंड उम्र और आय के बावजूद सभी के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प है, क्योंकि इससे निवेश में आसानी, विभिन्न प्रकार के फंड और पेशेवर प्रबंधन मिलता है. हालांकि, इससे जुड़े जोखिम को भी समझना चाहिए और निवेश के अनुसार सही फंड चुनना चाहिए. सिंघल कहते हैं पहली बार निवेशक को बैलेंस निवश या बैलेंस म्युचुअल फंड की तरफ ध्यान देना चाहिए. क्योंकि नए निवेशक को रिस्क का अंदाजा नहीं होता तो इसलिए बैलेंस्ड निवेश पर गौर करना चाहिए. लॉन्ग टर्म निवेश के लिए ये बेहतर विकल्प है.
इंश्योरेंस
व्यक्ति को अपने परिवार के उन लोगों की वित्तीय सुरक्षा के लिए बीमा पॉलिसी लेनी चाहिए. यदि व्यक्ति के परिवार में पत्नी है, बच्चे हैं और उसके माता-पिता वृद्ध हैं और उनकी अपनी कोई कमाई नहीं है तो व्यक्ति को निश्चित रूप से जीवन बीमा पॉलिसी खरीदना चाहिए. बदलती जीवनशैली के चलते गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं.
इसके अलावा हर साल स्वास्थ्य खर्च भी तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में इलाज को लेकर आने वाले खर्च के चलते वित्तीय सेहत न खराब हो, इसके लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बेहद जरूरी है. इससे अस्पताल से जुड़े खर्चों की चिंता खत्म हो जाती है.
जिस तरह टर्म इंश्योरेंस आपके बाद आप पर आश्रित लोगों की ध्यान रखता है, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अस्पताल के बिल भरता है, इसी तरह पर्सनल एक्सीडेंटल कवर आपकी आय बंद होने की स्थिति में साथ ही उस स्थिति से बचने के लिए भी इंश्योरेंस की जरूरत होती है जब आप काम करने की हालत में नहीं होते हैं. मसलन, शारीरिक रुप से अक्षम हो जाना या फिर किसी अंग का काम करना बंद हो जाना.
इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, एक्सीडेंटल इंश्योरेंस को साथ लेकर चलना चाहिए. इंश्योरेंस इन सभी निवेश विकल्प को सुरक्षा देती है.