क्या आप भी महीने के आखिर में कैश (Money) की कमी और क्रेडिट कार्ड की लिमिट खत्म होने की समस्या से जूझते हैं? हर बार होते इन हालातों को देखते हुए हम नतीजे पर आते हैं, कि क्या हम जरूरत से ज्यादा खर्च कर रहे हैं, क्या हम सोच समझकर फैसले न लेने वाले हैं और क्या हम ऐसे हैं जो जिंदगी के लिए पर्याप्त पैसा (Money) भी नहीं कमा सकते हैं? इन तमाम समस्याओं के बावजूद जब भी हमारे सामने “सेल – 50% की छूट”, “3 खरीदें 4 मुफ़्त पाएं”, “जितना अधिक आप खर्च करते हैं, उतना ही आप बचत करते हैं”, जैसे स्लोगन हमें लुभाते हैं? इन सब को देखते हुए हम वो चीजें भी खरीद लेते हैं, जो गैर जरूरी होती हैं, अगर सामर्थ्य के सवाल को छोड़ दिया जाए.
दुनिया में किसी भी व्यक्ति से पूछा जाए कि क्या वह पैसे बचाना चाहेगा? तो ज्यादातर लोगों का जवाब होगा हां. अगर आप उनसे कहेंगे कि तो ऐसा करने से आपको क्या रोक रहा है तो उनके पास तर्कहीन जवाब होंगे. ऐसे जवाबों पर बहुत से लोग विश्वास भी करेंगे लेकिन ये किसी मिथक से ज्यादा नहीं हैं.
इस ग्रह पर हर किसी व्यक्ति को धन की आवश्यकता होती है, हालांकि यह उसको लेकर सबका अलग नजरिया है, जो हमें एक व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है. तो आइए इन कुछ मिथकों को तोड़ते हैं और आपको व्यावहारिकता की दुनिया से रूबरू कराते हैं.
अपनी जिंदगी में हर किसी को कुछ चीजों को अनिवार्य जरूरत होती है. इनमें खाना, कपड़ा और शेल्टर के अलावा अन्य चीजें इतनी जरूरी नहीं हैं. कुछ चीजें जैसे कार, बाइक, लग्जरी आइटम, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट आदि हमारे जीवन का अनिवार्य अंग नहीं हैं. हां इनकी बदौलत चीजें काफी आसान हो जाती हैं लेकिन इनकी कीमत हमारी जेब पर भारी असर डालती है.
यदि वे आपके जीवन में मौजूद नहीं हैं तो यह आपके जीवन को अनुपयोगी या बेकार नहीं बना देगा, इसलिए उन्हें खरीदना आपकी प्राथमिकता नंबर 1 नहीं होना चाहिए. इस तरह की गैर-जरूरी वस्तुओं का तब तक होना बिल्कुल ठीक है जब तक कि वे आपकी बचत और रोजाना की जरूरतों से संबंधित खर्चों पर दबाव न डालें. इसलिए, अपनी जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए सबसे पहले बचत करें, अगर आपकी जेब गैर-जरूरी सामान को मंजूरी देती है तो उन चीजों पर पैसा खर्च करें.
सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला ये मिथक टूटना चाहिए, जो सबसे ज्यादा असर डालता है. सबसे पहले हमें समझना होगा कि कोई कंपनी या निर्माता अपने उत्पादों को नुकसान पर नहीं बेचेगा. तो अगर आपको लगता है कि कोई सामान आपने डिस्काउंट पर खरीदा है तो सच्चाई इसके उलट है.
दूसरी बात, क्योंकि ये सिर्फ सेल है, इसका मतलब ये नहीं हो जाता कि आप वो चीजें भी खरीद लें जिनकी आपको जरूरत नहीं है. सेल के चलते आप अक्सर वो सामान खरीद लेते हैं, जिनकी आपको कोई जरूरत नहीं होती है या बेहद कम होती है. और इसे खरीदने के लिए आप बड़ी रकम चुकाते हैं.
क्या वाकई आपको ऐसा लगता है? शुरुआत में आपको ये आसान लग सकता है लेकिन ये आग से खेलने जैसा है. अगर आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसका मतलब कि आप किसी और के पैसों का इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर आप एक भी इंस्टॉलमेंट मिस कर देंगे तो आपको बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. सभी लोग में क्रेडिट कार्ड लोन सबसे ज्यादा खर्चीला माना जाता है, अगर आपसे कोई भूल होती है तो आपको दोगुना रकम देनी होगी. इसलिए सलाह दी जाती है कि आप उन्हीं चीजों को खरीदिए जिसको आप एफोर्ड कर सकते हैं. इस तरह आप उत्पाद का सही मूल्य चुकाते हैं और वह भी ब्याज या लेट फीस की चिंता किए बगैर.
आसान किश्तों पर सामान खरीदना, रिवॉर्ड प्वाइंट्स हासिल करना, मिनिमम बैलेंस भुगतान करके आगे बढ़ जाना, ऑनलाइन शॉपिंग पर डिस्काउंट हासिल करना, एयरपोर्ट लाउंज विजिट करना, फ्री मूवी टिकट लेना, लाइफ टाइम कार्ड खरीदना जैसे टर्म आपको क्रेडिट कार्ड के जाल में फंसाए रखने के लिए होते हैं.
इंसानों का व्यक्तित्व होता है कि अगर उसके पास पैसा है तो आप खर्च करने के लिए बाध्य हैं. क्रेडिट कार्ड आपको ज्यादा खर्च करनी की शक्ति देता है, जो आप अपने नहीं किसी और के पैसे खर्च कर रहे हैं. जब आप क्रेडिट कार्ड खर्च करते हैं तो आपने व्यावहारिक रूप से पैसा उधार लिया है और इसे लग्जरी पर खर्च करते हैं. उधार लिया हुआ यह पैसा हमेशा समय पर वापस आने के कारण रहता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से आपके भविष्य के बजट को प्रभावित करता है और अन्य योजनाओं में बाधा उत्पन्न करता है.
क्रेडिट कार्ड रखना बुरा नहीं है यदि इसका उपयोग केवल उचित तरीके से किया जाए, इसके फायदों का आनंद लेते हुए और साथ ही अपने क्रेडिट स्कोर को अच्छा बनाए रखते हुए.
ये एक और बड़ा मिथक है, जो बहुत सी समस्याओं की जड़ है. इसके चलते लोग दिवालियापन की कगार तक पहुंच जाते हैं. मान लीजिए आपकी सैलरी 30 हजार रुपए प्रति महीने है. अगर आप क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं और आपको कार्ड मिलता है 50 हजार रुपए लिमिट वाला. मानते हैं कि आपके ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं है और आप अपने कार्ड की पूरी लिमिट खर्च कर लेते हैं.
अब सोचिए आप कैसे उस कार्ड के बिल को भर पाएंगे क्योंकि कार्ड की लिमिट का 60 फीसदी हिस्सा आपकी कुल सैलरी है? बैंक और कर्जदाताओं की कमाई का मुख्य सोर्स ब्याज होती है. वो चाहते हैं कि ग्राहक ज्यादा से ज्यादा रकम उधार लें ताकि उनका व्यापार सही से चल सके. उन्हें कोई मतलब नहीं है कि आप ऋण चुकाने में सक्षम हैं या नहीं. इसलिए बैंकों के लिए अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो आपको हमेशा अपनी चुकाने की क्षमता से अधिक लोन मिलेगा, जो बाद में एक जाल बन जाता है.
यह एक वर्ल्ड वाइड फैक्ट है कि पैसा हर किसी के जीवन को आकार देने के लिए मजबूर करता है, इसने बदले में कई मिथकों और एक अव्यवहारिक दुनिया का रास्ता तय किया है. यदि आप एक सफल फाइनेंशियल प्लानिंग बनाना चाहते हैं, तो अव्यावहारिक मिथकों के शिकार होने के बजाय, अपने पैसे का सावधानीपूर्वक और अच्छे ढंग से मैनेजमेंट करना सीखें.