क्रिप्टोकरेंसी लाभ पर टैक्स लगाने के तरीकों को लेकर बना हुआ है भ्रम

Tax On Cryptocurrency: टैक्स लगाने की स्थिति में अंतर यह है कि यदि "फीफो" पद्धति लागू की जाती है, तो टैक्स 6,000 डॉलर के लाभ पर होगा.

This is important to know before investing in big names or any other crypto currency

एक्सचेंजों के अनुसार लगभग 105 मिलियन भारतीय क्रिप्टो संपत्ति रखते हैं और व्यापारियों की संख्या लगभग 1 मिलियन है.

एक्सचेंजों के अनुसार लगभग 105 मिलियन भारतीय क्रिप्टो संपत्ति रखते हैं और व्यापारियों की संख्या लगभग 1 मिलियन है.

Tax On Cryptocurrency: क्रिप्टोकरेंसी पर Tax लगाने के तरीकों को लेकर अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. टैक्स डिपार्टमेंट के साथ साथ इन्वेस्टर्स भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि टैक्स लगाने के उद्देश्यों के लिए Cryptocurrency पर लभ की गणना कैसे की जाए. एक सवाल जो इन्वेस्टर के साथ साथ सभी को परेशान कर रहा है, वह यह है कि Cryptocurrency से होने वाले प्रॉफिट की गणना कैसे की जाए. यह मानकर गणना की जाए कि पहले खरीदी गई Cryptocurrency पहले बेची जाएगी (first in first out/FIFO) या यह मानकर की जाए कि आखिरी खरीदी गई करेंसी पहले बेची गई थी (last in first out/LIFO).

टैक्स लगाने के तरीकों पर बनी है भ्रम की स्थिति

क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने को लेकर जो भ्रम की स्थिति बनी हुई है उसे आप इस उदाहरण से समझें. मान लीजिए यदि एक निवेशक ने 2017 में एक बिटकॉइन 1,000 डॉलर में खरीदा, दूसरा 2018 में 13,000 डॉलर में खरीदा.

2020 में इन्वेस्टर ने अपने दो बिटकॉइन में से एक को 7,000 डॉलर में बेचा. टैक्स लगाने के उद्देश्यों को लेकर अब इन्वेस्टर यह जानना चाहता है कि उसने कौन सी क्रिप्टोकुरेंसी बेची है 2017 में खरीदी गई या 2018 में खरीदी गई क्रिप्टोकरेंसी.

टैक्स एक्सपर्ट्स ने बताया कि टैक्स लगाने की स्थिति में अंतर यह है कि यदि “फीफो” पद्धति लागू की जाती है, तो टैक्स 6,000 डॉलर के लाभ पर होगा. और अगर LIFO लागू किया जाता है तो कोई टैक्स नहीं लगेगा.

क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति में अब तक स्पष्टता नहीं

टैक्स कंसल्टिंग फर्म एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने बताया कि टैक्स लगाने के लिए फीफो (FIFO) पद्धति का उपयोग किया जाना चाहिए.

लेकिन समस्या यह है कि आज तक इसके बारे में कोई स्पष्टता नहीं है क्योंकि मुख्य रूप से एसेट क्लास भी अब तक परिभाषित नहीं है.

टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि बिक्री मूल्य में से लागत मूल्य घटाने पर जो लाभ प्राप्त होता है टैक्स हमेशा उसी लाभ पर लगता है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति ऐसी है कि लागत और लाभ का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की गणना पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं

टैक्स लगाने को लेकर सबसे बड़ी समय यह कि क्रिप्टोकरेंसी क्या है, इस पर अब तक कोई स्पष्टता नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी एक करेंसी है, एसेट है, कमोडिटी है या कुछ और है इस पर अब भी असमंजस बना हुआ है.

दूसरी बड़ी समस्या यह है कि टैक्स की दरें किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकती हैं जो एक निवेशक है और कोई व्यक्ति जो जीविका के लिए व्यापार करता है.

निशीथ देसाई एसोसिएट्स के डिजिटल टैक्स लीडर मेयप्पन नागप्पन ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी से लाभ की गणना कैसे करें और क्या इससे पूंजीगत संपत्ति के बराबर कारोबार किया जाना चाहिए या एक व्यापारी के मामले में इसे बिजनेस में स्टॉक के रूप में माना जाना चाहिए, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है.

Published - September 2, 2021, 05:55 IST