Tax Exemption: वेतनभोगी, व्यापारी या पेंशनभोगी हर किसी को हर साल इनकम टैक्स भरना पड़ता है. किसी भी निवेश के तीन चरण होते हैं, जिसमें पहला इंवेस्टिंग फेज, दूसरा इनकम फेज और विड्रॉल (निकासी का) फेज शामिल होता है. प्रत्येक चरण पर टैक्सेशन के आधार पर, निवेश पर टैक्स लायबिलिटी को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है. जो इस बात पर निर्भर करता है कि किस चरण में छूट है और किस चरण पर टैक्स लगाया गया है.
इसमें ईईई का मतलब होता है एक्सेम्पटेड, एक्सेम्पटेड, एक्सेम्पटेड. सरल भाषा में कहें तो सभी तीन चरण टैक्स से मुक्त होते हैं.
वही ईटीई का मतलब होता है एक्सेम्पटेड, टक्सेड, एक्सेम्पटेड और ईईटी का अर्थ होता है एक्सेम्पटेड, एक्सेम्पटेड, टक्सेड.
वहीं आईटी सलाहकार अरविंद अग्रवाल के मुताबिक ईईई कैटेगरी सभी के बीच निवेश का सबसे अच्छा हिस्सा है. यहां सभी तीन टैक्स कैटेगरी के लिए एक गाइड लाइन दी गई है.
इस स्कीम में निवेशों को निवेश के सभी चरणों यानी इन्वेस्टमेंट स्टेज , इंटरेस्ट इनकम स्टेज एंड विड्रॉल स्टेज में छूट दी गई है. उदाहरण के लिए जैसे- पीपीएफ, ईपीएफ, ईएलएसएस, यूलिप और जीवन बीमा पॉलिसियां.
जब निवेश किया जाता है तो ये निवेश धारा 80C के तहत कटौती के पात्र होते हैं. इन निवेशों से अर्जित आय पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है और निकासी पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है.
यह निवेश आपको 100% इनकम देता है और निवेशकों की पहली पसंद में आता है.
इसके अलावा कुछ कुछ और इन्वेस्टमेंट स्कीम जैसे सुकन्या समृद्धि अकाउंट (SSA), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), वर्चुअल प्रोविडेंट फंड (VPS), कुछ कॉर्पोरेट और सरकार समर्थित बॉन्ड जो एक्सचेंजों पर कारोबार करते हैं.
साथ ही निजी तौर पर जारी किए जाते हैं. ईईई कैटेगरी के अंतर्गत आते हैं. ईईई या किसी अन्य कैटेगरी के तहत अनुक्रमित बॉन्ड के विनिर्देश एनएसई और बीएसई से प्राप्त किए जा सकते हैं.
लोग बॉन्ड जारीकर्ता से ही बॉन्ड की विशेषताओं का वर्णन करते हुए दस्तावेज़ प्राप्त कर सकते हैं.
इस स्कीम में निवेशों पर इंटरेस्ट इनकम फेज में टैक्स लगाया जाता है, लेकिन निवेश और निकासी पर टैक्स नहीं लगता है. इस प्रकार के निवेशों के कुछ उदाहरण जैसे- नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FD) हैं.
यह इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत कटौती के लिए पात्र हैं, लेकिन इन पर अर्जित ब्याज पर नियमित स्लैब दरों पर टैक्स लगता है.
इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट नीलोत्पल बनर्जी के मुताबिक, दूसरी ओर निकासी पर या निवेश के पूरा होने पर कोई टैक्स नहीं लगता है. उदाहरण के लिए यदि आप 5 साल की टैक्स सेविंग FD में 1 लाख रुपये का निवेश करते हैं.
मान लीजिए कि 5.5% पर आप ब्याज के रूप में 31,500 रुपये कमाते हैं, तो इस राशि पर टैक्स लागू होता है, लेकिन जब आप मैच्योरिटी पर राशि निकालते हैं तो अंतिम निकासी राशि पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता है.
इस स्कीम में निवेशों पर इंटरेस्ट इनकम फेज में टैक्स नहीं लगाया जाता है, लेकिन अंतिम निकासी पर टैक्स लगाया जाता है. इसका एक उदाहरण नेशनल पेंशन स्कीम या कोई अन्य पेंशन योजना है.
NPS के तहत निवेश की गई राशि पर सेक्शन 80CCC और सेक्शन 80CCD के तहत डिडक्शन मिलता है. जब एनपीएस (NPS) के तहत और कार्यकाल के दौरान कमाई करते समय फंड का निवेश किया जाता है तो कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन पेंशन टैक्स स्लैब के अनुसार प्राप्त वार्षिकी यानी किसी भी वार्षिकी योजना के तहत प्राप्त पेंशन टैक्स योग्य है.
मान लीजिए अगर किसी व्यक्ति की एनपीएस (NPS) रिटर्न की दर 10% है और वह 20% टैक्स ब्रैकेट के अंतर्गत आता है, तो उस व्यक्ति को 8% पर पूर्ण रिटर्न मिलेगा. बनर्जी के मुताबिक सभी पेंशन योजनाएं इस कैटगरी में आती हैं और यह रिटर्न देती हैं.