सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानि SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश को बेस्ट माना जाता है. लंप-सम के मुकाबले SIP से निवेश करने में रिटर्न भी ज्यादा मिलता है और निवेश में अनुशासन ही आदत भी पडती है. SIP के जरिए यदि लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो पावर ऑफ कंपाउंडिंग से तगड़ा फायदा मिलता है, लेकिन SIP इंवेस्टमेंट के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े है जिसे कम करने के लिए आप यहां बताए गए तरीके अपना सकते है.
मार्केट के ऊतार-चढाव के साथ जुडे रिस्क को 100 फीसदी दूर तो नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे कम जरूर कर सकते है. SIP से भी आप इस रिस्क से छूटकारा नहीं पा सकते, लेकिन आपको रूपी कोस्ट एवरेजिंग करने में मदद मिलती है क्योंकि आप हर महीने एक फिक्स्ड अमाउंड निवेश करते है. मार्केट-रिस्क को कम करने के लिए SIP के जरिए लंबी अवधि तक निवेश करते रहना चाहिए. मार्केट के ऊतार-चढाव से आपको गभराना नहीं चाहिए और धैर्य के साथ SIP के जरिए निवेश बरकरार रखना चाहिए.
एक्सपर्ट कहते है कि SIP के दरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त मार्केट रिस्क को कम करने के लिए डाइवर्सिफिकेशन रखना भी बेहद जरूरी है. ऐसा करने से आपको पॉर्टफोलियो को बैलेंस करने में मदद मिलती है. आपको अपने फाइनेंशियल टार्गेट और जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए अपने पॉर्टफोलियो में इक्विटी, डेट और ETF को शामिल करना चाहिए. यदि आप ELSS में निवेश करते है तो आपको केवल टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता लेकिन लंबी अवधि के बाद अच्छा केपिटल गेइन भी होता है. यदि आप पॉर्टफोलियो में लिक्विड फंड रखते है तो इमर्जंसी के वक्त तुरंत पैसे मिल जाते है और आपका दूसरा निवेश सुरक्षित रहता है. यदि आप डाइवर्सिफिकेशन को समज लेंगे तो SIP इंवेस्टमेंट में जोखिम को दूर रखना आसान हो जाएगा.
लॉक-इन पीरियड वाले प्लान में लिक्विडिटी रिस्क बना रहता है. जब विक्रेता को खरीदार नहीं मिलता तब परेशानी होती है. इसलिए, विक्रेताओं के लिए निवेश के पैसे रीडिम करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे जोखिम से निपटने के लिए पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन सबसे अच्छा समाधान है.
आपका पॉर्टफोलियो जितना डाइवर्सिफाय होगा उतना ही कम घाटा होगा. केवल एक फंड में सारा पैसा ना डाले क्योंकि अगर ये फंड का प्रदर्शन खराब होगा तो आपका सारा निवेश घाटे में चला जाएगा. इसलिए, एक्सपर्ट विभिन्न तरह के प्लान में निवेश की सलाह देते है, ऐसा करने से आपको कंसंट्रेशन रिस्क कम करने में मदद मिलती है.
यदि रिस्क को दूर रखना है तो बढिया तरीका है लोंग-टर्म इंवेस्टमेंट. यदि आप सात से दस साल तक SIP के जरिए निवेश करते है तो आपको तगडा केपिटल गेइन होने के चान्स थोडे कम है लेकिन आप 10 साल से ज्यादा समय तक निवेश करते रहेंगे तो कंपाउंडिंग की वजह से जबरजस्त रिटर्न मिलने की संभावना बढ जाती है. इसके अलावा, निवेशकों को योजनाओं का चयन करते समय थोडी मेहनत करनी चाहिए और इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न SIP रिटर्न कैलकुलेटर का उपयोग करना चाहिए.