SGB: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की छठवीं सिरीज 30 अगस्त को सब्सक्रिप्शन के लिए खुली और 3 सितंबर तक खुली रहेगी. यदि आप निवेश के तौर पर गोल्ड चाहते हैं, तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आपके लिए सभी गोल्ड-लिंक्ड इन्वेस्टमेंट के बीच सबसे अच्छा ऑप्शन हो सकता है. हम सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के बारे में 9 बातें बताएंगे जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 सीरीज-6 का इश्यू प्राइस 4,732 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है. अगर आप इसे ऑनलाइन खरीदते हैं तो इश्यू प्राइस पर 50 रुपये की छूट मिलेगी.
SGB में एक इंटरेस्ट कॉम्पोनेंट होता है. आप SGB में अपने निवेश पर सालाना दो बार 2.5% इंटरेस्ट इनकम कमा सकते हैं. उदाहरण के लिए, यदि आप 4,732 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 10 यूनिट गोल्ड बॉन्ड खरीदते हैं, तो आपका कुल निवेश 47,230 रुपये हो जाता है.
आप सालाना 1,183 रुपये (47,230 रुपये का 2.5%) इंटरेस्ट इनकम कमाएंगे. कोई दूसरा गोल्ड-लिंक्ड इन्वेस्टमेंट यह एडीशनल इनकम ऑफर नहीं करता है.
गोल्ड बॉन्ड आठ साल के बाद मैच्योर होते हैं और पांच साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं. समय से पहले विद्ड्रॉल के लिए रिक्वेस्ट साल में दो बार उस दिन फाइल की जा सकती है जिस दिन इंटरेस्ट क्रेडिट होता है.
हालांकि SGB लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं, फिर भी कोई इसे सेकेंडरी मार्केट में बेच सकता है क्योंकि SGB यूनिट स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड करती हैं.
ऐसे उदाहरण हो सकते हैं जब आपको सेकेंडरी मार्केट में ज्यादा खरीदार नहीं मिलते हैं यदि आप लार्ज अमाउंट में SGB सेल कर रहे हैं.
SGB पर टैक्सेशन काफी फेवरेबल है. यदि आप अपनी SGB इन्वेस्टमेंट आठ साल तक रखते हैं, तो आपके सभी कैपिटल गेन टैक्स-फ्री होंगे. हालांकि, सालाना कमाए 2.5% इंटरेस्ट पर आपके स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगाया जाता है.
यदि आप तीन साल से पहले अपनी SGB यूनिट को प्री-मैच्योर रिडीम करते हैं, तो कैपिटल गेन पर आपकी स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा.
यदि आप इसे तीन साल बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन लॉन्ग-टर्म में बदल जाता है. उस स्थिति में, एप्लीकेबल टैक्स रेट इंडेक्सेशन के साथ 20% है.
यदि आप अपना फिजिकल गोल्ड बेचते हैं, तो इन्वेस्टमेंट अमाउंट से मेकिंग चार्ज और GST काट लिया जाता है. SGB के मामले में ऐसा नहीं होता है. डिजिटल गोल्ड पर भी GST लगता है. यह SGB को गोल्ड-लिंक्ड इन्वेस्टमेंट के बेस्ट ऑप्शंस में से एक बनाता है.
SGB इन्वेस्टमेंट के बदले कोई भी व्यक्ति उसी तरह से लोन ले सकता है, जिस तरह से फिजिकल गोल्ड के मामले में होता है. SGB यूनिट को कॉलेटरल (गिरवी) के रूप में माना जाएगा और लोन-टू-वैल्यू उसी के अनुसार डिसाइड की जाएगी.
चल रही सीरीज छठवीं है. पिछले पांच इश्यू में अब तक 6687 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट हो चुका है. सीरीज-I ने सबसे ज्यादा 2540.87 करोड़ रुपये जुटाए, उसके बाद सीरीज-IV ने 1405.45 रुपये और उसके बाद सीरीज-V ने 1,098 करोड़ रुपये जुटाए.