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बेहतर ELSS फंड चुनकर बचाएं टैक्स

आपको ELSS प्लान या सिस्टमैटिक प्लान में निवेश करने से पहले फंड के लॉन्ग टर्म परफॉरमेंस को देखना चाहिए.

  • हिमाली पटेल
  • Last Updated : September 30, 2021, 08:32 IST
एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है जो पोटेंशियल रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग को जोड़ती है. किसी भी निवेश को चुनने से पहले, एक निवेशक को अपने फाइनेंशियल गोल की पहचान करनी चाहिए
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हम सभी पैसा जोड़ना चाहते हैं. लेकिन ऐसा करने के लिए हमें अपने खर्चों पर भी नजर रखनी होगी. हालांकि, एक कॉस्ट है जिससे बचा जाना चाहिए और वो है टैक्स. यदि आपको नहीं पता कि कहां से शुरू करें तो टैक्स सेविंग के लिए ELSS जैसे फंड शुरुआत करने के लिए अच्छे हो सकते हैं . इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80C ELSS को 1.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन की छूट देता है. हालांकि, आपको ELSS प्लान या सिस्टमैटिक प्लान में निवेश करने से पहले फंड के लॉन्ग टर्म परफॉरमेंस को देखना चाहिए. ELSS (इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम) एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है जो पोटेंशियल रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग को जोड़ती है. किसी भी निवेश को चुनने से पहले, एक निवेशक को अपने फाइनेंशियल गोल की पहचान करनी चाहिए.

ELSS

तीन साल के लॉक-इन पीरियड के दौरान, इन प्लान को सेल, रिडीम या स्विच नहीं किया जा सकता है. ELSS में PPF(15 साल) और NSC (5 साल) की तुलना में बहुत छोटा लॉक-इन पीरियड है, दोनों सरकार द्वारा स्पॉन्सर्ड सेविंग प्लान हैं. इसके अलावा, ELSS में तीन साल का लॉक-इन पीरियड है, जो इसे सबसे तेज और सबसे आकर्षक ट्रेडिशनल टैक्स-सेविंग स्ट्रेटजी बनाता है.

ELSS प्लान, सेक्टर फंड, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अन्य निवेश विकल्पों के विपरीत, सभी सेक्टर और इंडस्ट्री में निवेश करते हैं. वैल्यू रिसर्च के डेटा के मुताबिक, ELSS ने 27 सितंबर 2021 तक एक, तीन और पांच साल में 63.53%, 18.58 % और 14.94 % का रिटर्न दिया है.

एक्सपेंस रेशियो

एक फंड का एक्सपेंस रेशियो यह नापता है कि निवेशकों के पैसे को मैनेज करने के लिए फंड की कॉस्ट कितनी है. निवेश करते समय निवेशकों को टैक्स सेविंग फंड के एक्सपेंस रेशियो पर ध्यान देना चाहिए. फंड के ज्यादा एक्सपेंस रेशियो का मतलब है कि इसमें काफी खर्चे हैं. यहां कॉस्ट-टू-इनकम रेशियो की रेंज 0.5% से 2.5% तक है. ऐसे फंड में निवेश करना चाहिए, जिसमें एक्सपेंस रेश्यो कम हो और रिटर्न ज्यादा हो.

डायवर्सिफिकेशन की इम्पोर्टेंस

अलग-अलग ELSS फंड एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाए रखने के लिए अलग-अलग स्टॉक एक्सपोजर और डायवर्सिफिकेशन स्ट्रेटजी अपनाते हैं. कुछ फंड अपने कुल एसेट का ज्यादा प्रतिशत कुछ शेयरों में निवेश करते हैं, जबकि दूसरे ज्यादा डायवर्सिफाई अप्रोच अपनाते हैं. इन्वेस्टमेंट रिस्क और रिवॉर्ड के बीच सीधा संबंध है. हाई रिटर्न वाले म्यूचुअल फंड से जुड़े रिस्क ज्यादा होते हैं, जबकि कम रिटर्न वाले म्यूचुअल फंड से जुड़े रिस्क कम होते हैं. इसलिए अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से सही टैक्स सेविंग फंड चुने.

रिटर्न

फंड का पिछला परफॉर्मेंस देखते हुए सावधानी के साथ फंड का चुनाव करें. बढ़ते मार्केट में इक्विटी फंडों के अपने बेंचमार्क से ज्यादा होने की उम्मीद होती है. एक कंसिस्टेंट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्ट्रेटजी वाले फंड और कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस वाले फंड आपकी पहली पसंद होने चाहिए.

फंड मैनेजर

एक निवेशक एक फंड मैनेजर से सॉलिड और कंसिस्टेंट फंड परफॉर्मेंस की उम्मीद कर सकता है जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन जारी रखे. केवल इस फंड के लिए फंड मैनेजर की पिछली परफॉर्मेंस को न देखें; उनकी पिछली सभी परफॉर्मेंस को देखें. फंड के मैनेजमेंट में बदलाव फंड के परफॉर्मेंस को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि निर्णय लेने की प्रक्रिया पूर्व निर्धारित होती है.

Published - September 30, 2021, 08:32 IST

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