रिटायर्ड लाइफ आपके जीवन का एक खुशनुमा समय हो सकता है, जिसमें आप लंबे समय से दबी अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं क्योंकि तब आपके पास समय ही समय होगा. लेकिन एक अच्छी रिटायर्ड लाइफ के लिए एक अच्छी प्लानिंग चाहिए. जब कोई रिटायरमेंट की योजना बनाता है तो गलतियों की लिस्ट काफी लंबी होती है, आइए आज हम उनमें से कुछ गलतियों पर नजर डालते हैं जो अक्सर लोग करते हैं.
हम सभी जानते हैं कि एक दिन रिटायर होना ही है इसे टाला नहीं जा सकता. हालांकि, लोगों को हमेशा लगता है कि अभी रिटायरमेंट के लिए अभी बहुत समय है इसलिए वो रिटायरमेंट प्लानिंग को टालते रहते हैं. अक्सर हम ऐसे कस्टमर्स से मिलते हैं जो इस काम को कई बार टाल चुके हैं. कई बार उनके सामने ऐसी स्थिति आती है जब कुछ सालों में ही उन्हें काफी सेविंग करनी होती है और इसलिए लोग सेविंग को बढ़ाने के लिए कई बार इतना रिस्क उठा लेते हैं जितना वो अफोर्ड नहीं कर सकते.
हम में से ज्यादातर लोग “कंपाउंडिंग” के मैजिक के बारे में सुन चुके हैं, लेकिन इस मैजिक को महसूस करने के लिए सबसे जरूरी है समय. इसलिए रिटायरमेंट के लिए जल्दी निवेश शुरू करें, भले ही, एक छोटी रकम से इसकी शुरुआत करें. इसे नियमित आधार पर निवेश को बढ़ाकर मैनेज किया जा सकता है. जितनी जल्दी हो सके इसकी शुरुआत करें और यदि आपने इसे अभी तक नहीं किया है, तो अभी शुरू करें.
जब आप प्रतिशत में इसके बारे में बात करते हैं तो महंगाई बहुत खतरनाक नहीं लगती. जब आप इसे अंडर एस्टीमेट करते हैं तो यह आपके लॉन्ग टर्म प्लान पर कहर बरपा सकती है. एक बेसिक थंब रूल के हिसाब से हर दस साल में 7% की महंगाई दर के हिसाब से आपके खर्चे दोगुने हो जाएंगे. उदाहरण के लिए यदि आपका मासिक खर्च 1 लाख रुपये है तो 10 साल बाद ये 2 लाख हो जाएगा और 20 साल में आपका मासिक खर्च 4 लाख हो जाएगा और ये इसी तरह से बढ़ता रहेगा.
लोग आज के खर्चों के हिसाब से अपना रिटायरमेंट कॉर्पस प्लान करते उनका ध्यान महंगाई दर पर नहीं जाता. इसलिए हम जब रिटायरमेंट के लिए कॉर्पस फंड कैलकुलेट करते हैं तो ये उनके अनुमान से 4 गुना होता है. हालांकि यदि आप महंगाई को ध्यान में रखते हैं, तो आप समझ पाएंगे कि आज एक लाख की कीमत 20 सालों में 25 हजार के बराबर होगी.
हम बहुत से ऐसे लोगों को देखते हैं जिनके पास कॉन्सेन्ट्रेटेड रिटायरमेंट पोर्टफोलियो हैं. कहने का मतलब है कि कई बार, रिटायरमेंट के लिए रियल एस्टेट होता है और कोई फाइनेंशियल एसेट नहीं होता है. लोगों का प्लान होता है कि प्रॉपर्टी के रेंट का रिटायरमेंट में इस्तेमाल करना. समस्या यह है कि भारत में रेंटल यील्ड लगभग 2% है और जब तक किसी व्यक्ति के पास कई रियल एस्टेट प्रॉपर्टी नहीं हैं, तब तक सिर्फ एक रेंटल प्रॉपर्टी से अपने मासिक खर्च को पूरा नहीं किया जा सकता. प्रॉपर्टी का मेंटेनेंस भी देना होता है और उस समय को भी ध्यान में रखना होगा जब मकान खाली है और उसका कोई किराया नहीं आ रहा.
यह बहुत जरूरी है कि आपके एसेट डायवर्सीफाइड हो, हम देखते हैं कि ज्यादातर कस्टमर निवेश के लिए रियल एस्टेट और फिक्स्ड डिपॉजिट को ज्यादा पसंद करते हैं. यह मानते हुए कि रिटायरमेंट कई सालों तक चलेगा, शायद कुछ दशक भी, यह जरूरी नहीं है कि आप केवल रिटायर होने की वजह से इक्विटी जैसे एसेट से दूर हो जाएं. कभी-कभी रिस्क न लेना आपके लिए सबसे बड़ा रिस्क हो सकता है.
रिटायरमेंट आपके जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण फेज है जिसके लिए आपको बहुत सोच समझकर प्लानिंग करने की जरूरत है क्योंकि यह एक ऐसा गोल है जिसके लिए आपको लोन नहीं मिलेगा. इसलिए रिटायरमेंट प्लानिंग के महत्व को समझें और जितनी जल्दी शुरू कर सकते हैं इसकी प्लानिंग करें.
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