Retirement Planning: कमाने वाले सदस्य की निर्भरता केवल रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मंथली कॉस्ट, सेविंग और फाइनेंशियल गोल के लिए इन्वेस्टमेंट भी है.
सही फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट का चुनाव करना सबसे जरूरी है, जो आपके धन को बढ़ाए.
एक डायवर्सीफाइड पोर्टफोलियो अच्छा रिटर्न पाने में मदद कर सकता है. जिसमें लॉन्ग टर्म इक्विटी इन्वेस्टमेंट, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड, नेशनल पेंशन स्कीम, पब्लिक प्रोविडेंट फंड और दूसरे इंस्ट्रूमेंट शामिल हैं.
रिटायरमेंट के लिए एक स्पेसिफिक म्यूचुअल फंड भी है, जिसे रिटायरमेंट फंड के रूप में जाना जाता है. रिटायरमेंट फंड डेट, इक्विटी, गोल्ड ईटीएफ आदि में एसेट एलोकेशन के दो-तीन वेरिएंट में निवेश करते हैं.
उदाहरण के लिए, एक एग्रेसिव हाइब्रिड वेरिएंट वाला रिटायरमेंट फंड इक्विटी में कम से कम 65% निवेश करता है और बाकी डेट, गोल्ड ईटी
एफ व रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट में. ये एग्रेसिव या मॉडरेट रिस्क उठाने वाले निवेशकों के लिए डिजाइन किए गए हैं.
कम इक्विटी एलोकेशन और हाई डेट एलोकेशन वाले वेरिएंट भी हैं, जो उन लोगों के लिए हैं जो ज्यादा रिस्क नहीं उठा सकते.
इस समय, कई फंड हाउस कई वेरिएंट के रिटायरमेंट फंड ऑफर कर रहे हैं. उदाहरण के लिए HDFC म्यूचुअल फंड ऐसा रिटायरमेंट फंड ऑफर कर रहा है, जो तीन वेरिएंट के एसेट एलोकेशन में इन्वेस्ट करता है.
ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड चार अलग-अलग वेरिएंट ऑफर कर रहा है. इसके अलावा, आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड, एक्सिस म्यूचुअल फंड, फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड, निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड, टाटा म्यूचुअल फंड और UTI म्यूचुअल फंड सभी रिटायरमेंट फंड प्रदान करते हैं.
आमतौर पर वेरिएंट वाली स्कीम्स में लॉक-इन पीरियड होता है, जो विभिन्न फंड हाउस का अलग-अलग हो सकता है. विभिन्न रिटायरमेंट फंड इक्विटी और डेट के लिए अलग-अलग एलोकेशन ऑफर करते हैं.
इन्वेस्टर अपनी फाइनेंशियल जरूरतों के आधार पर या तो एकमुश्त राशि या मंथली एन्युटी भुगतान करने का विकल्प चुन सकता है.
रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों के लिए ज्यादा कॉर्पस सिक्योर करने के लिए एक डेफर्ड एन्युटी प्लान चुनने का ऑप्शन भी है. 58 से 60 वर्ष की आयु से पहले रिटायरमेंट अकाउंट से विद्ड्रॉल करना सही नहीं है.
RSM इंडिया के फाउंडर सुरेश सुराणा के मुताबिक, “रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए कोई एज लिमिट नहीं है. यहां तक कि जो लोग अपने 40 के दशक में हैं या जो अपने 30 के दशक में हैं, वो ऐसे फंडों में निवेश की योजना बना सकते हैं.
विशेष रूप से वो निवेशक जो रिस्क से दूर हैं और लंबी अवधि के लिए योजना बनाना चाहते हैं ऐसे फंडों में निवेश कर सकते हैं” इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम फंड के लिए तीन साल की तुलना में रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड में आमतौर पर पांच साल का लॉक-इन पीरियड होता है.
हालांकि, कंपाउंडिंग के चलते, लंबा लॉक-इन पीरियड फायदेमंद साबित हो सकता है. जब कोई निवेश लंबी अवधि के लिए रखा जाता है, तो आमतौर पर शॉर्ट टर्म मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता है.
इन्वेस्टर को रिटायरमेंट फंड में निवेश करने से पहले रिसर्च करनी चाहिए क्योंकि रिटर्न पर टैक्स लगता है, जिससे पेंशन म्यूचुअल फंड में निवेश कम आकर्षक लगता है.
रिटायरमेंट फंड उन निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं जो अनुशासन की कमी रखते हैं और अक्सर पैसे निकालते हैं. 5 साल का लॉक-इन पीरियड यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक अपने रिटायरमेंट एसेट को 5 साल तक नहीं छुएगा.
सुराणा ने कहा, “कम उम्र से शुरू होने वाला लगातार और अनुशासित निवेश उन्हें उनके रिटायरमेंट के लिए एक अच्छा कॉर्पस बनाने में मदद करेगा”
एक रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड अंडर सेक्शन 80CCC के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक डिडक्टिबल हैं. ध्यान रखें कि इन फंडों से विद्ड्रॉल पर आम तौर पर टैक्स लगता है.
यदि निवेशक एन्युटी के रूप में विद्ड्रॉल करना पसंद करता है, तो उस पर इंडीविजुअल स्लैब रेट पर टैक्स लगाया जाएगा.
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