हर महीने नियमित छोटी बचत जेब पर बोझ डाले बिना बड़ी रकम बनाने में मदद करती है. रेकरिंग डिपॉजिट्स (RD) एक निश्चित अवधि के बाद गारंटीड रिटर्न देते हैं. बैंक और डाकघर दोनों में एक साथ आरडी (RD) खोल सकते हैं.
बैंक या पोस्ट ऑफिस में RD खोलने के लिए आप हर महीने 100 रुपये का योगदान कर सकते हैं. RD शुरू करने के लिए आपको बैंक या डाकघर में बचत खाता खोलना पड़ेगा.
आप बैंकों में 6 महीने से लेकर 120 महीने तक की अवधि के लिए RD खोल सकते हैं. 12 महीने के लिए RD पर बैंक आम तौर पर 5% से 6% के बीच ब्याज दर की पेशकश करते हैं.
5 साल की RD पर बैंक वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर सभी लोगों के लिए 6% से 6.6% ब्याज देते हैं. 60 से ऊपर के लोगों को आम तौर पर अधिक ब्याज मिलता है, जो सामान्य दर से 20-25 बेसिस पॉइंट (bps) ज्यादा होता है. विभिन्न बैंकों में फलेक्सिबल RD योजनाएं भी उपलब्ध हैं.
यदि RD से प्राप्त होने वाली ब्याज आमदनी 40,000 रुपये प्रति वित्त वर्ष से अधिक हो, तो TDS कट सकता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये प्रति वित्त वर्ष है. वहीं, अगर आपकी कुल वार्षिक आय छूट के दायरे में आती है, तो आपक बैंक में फॉर्म 15G / 15H जमा कर सकते हैं, जिससे टीडीएस न कटे.
डाकघर में आप न्यूनतम 100 रुपये प्रतिमाह जमाकर भी RD खोल सकते हैं. इसके आगे निवेशक 10 के गुणांक में कोई भी राशि जमा कर सकते हैं. हालांकि, डाकघरों में RD का टेन्योर तय है.
5 वर्ष से कम अवधि के लिए कोई RD नहीं खोल सकता है. ब्याज दर 5.8% है. 10 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति RD खोल सकता है. RD पर अर्जित ब्याज का भुगतान मूलधन के साथ मैच्योरिटी पर किया जाता है.
हालांकि, RD खोलने के लिए डाकघर जाना पड़ता है, लेकिन बैंकों के मामले में, कोई भी इसे फोन या इंटरनेट बैंकिंग की मदद से आसानी से कर सकता है.
इनवेस्टमेंट प्लानर्स को लगता है कि RD एक बुनियादी निवेश साधन है और कोई भी इसे अपनी पॉकेट मनी से भी शुरू कर सकता है. यह बचत की आदत को विकसित करने में मदद करता है.
कोलकाता से इंवेस्टमेंट प्लानर नीलोत्पल बनर्जी ने कहा, “RD का मुख्य नुकसान यह है कि टैक्स के मामले में ठीक नहीं है. क्योंकि RD से प्राप्त होने वाले ब्याज को आय माना जाता है और इसे घोषित भी करना पडता है. साथ हर इस पर TDS भी कटता है. हालांकि, हर महीने एक निश्चित और छोटी राशि का निवेश करने वाले लोगों के लिए यह अच्छा विकल्प है.”