रिलायंस कैपिटल (RCap) के बॉन्ड धारकों को उनके निवेश की आधी वसूली की ही संभावना है. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एडमिनिस्ट्रेटर अपॉइंट किया है जिससे इस मामले के जल्द समाधान की उम्मीद की जा रही है. लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) और एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) सहित बड़े संस्थागत निवेशकों के पास RCap के लगभग 6,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडमिनिस्ट्रेटर RCap के एसेट से जनरेट कैश फ्लो की वैल्यू बढ़ाने में मदद करेगा. आरकैप इन्वेस्टमेंट से जुड़े आधा दर्जन टॉप इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स ने ईटी को बताया कि इंश्योरेंस, ब्रोकिंग और एसेट रिकंस्ट्रक्शन जैसी ऑपरेटिंग सब्सिडियरीज में आर.कैप के निवेश की अच्छी वैल्यू मिलने की संभावना है. इंडस्ट्री एग्जीक्यूटिव ने कहा, ‘ऋणदाता/निवेशक की अलग-अलग राय इस ऋण समाधान में बाधा उत्पन्न कर रही थी. अब यह समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ेगा.’ कुल बकाया बॉन्ड लगभग ₹15,000 करोड़ होने का अनुमान है.
30 सितंबर, 2019 तक इन इंस्टूमेंट्स के माध्यम से हेल्ड किए गए डेट की मात्रा 16,273.53 करोड़ रुपये थी. विस्त्रा आईटीसीएल बॉन्ड के लिए डिबेंचर ट्रस्टी है. सोमवार को दिए भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश के बाद यह सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा कर रहा है. ये बॉन्ड फ्रिक्वेंटली सेकेंडरी मार्केट में कारोबार नहीं करते हैं. अक्टूबर में, पांच साल की अवशिष्ट परिपक्वता वाले लगभग 490 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन हुए थे.
आरकैप ने अपने बयान में कहा, ‘कंपनी अपने डेट के जल्द समाधान के लिए आरबीआई के नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर के साथ पूरा सहयोग करेगी.’ रिलायंस कैपिटल चौथी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है जिसे दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों के तहत एडमिनिस्ट्रेटर्स के पास ले जाया गया है. ET की रिपोर्ट में एक सीनियर एसेट मैनेजर के हवाले से कहा गया ‘यह साबित करता है कि फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए IBC अब एक मेनस्ट्रीम एक्टिविटी है.’