Probate नहीं लिया तो करना पड़ सकता है मुश्किलों का सामना, जानें क्‍यों है जरूरी

Probate: प्रॉबेट औऱ कुछ नहीं बल्कि वसीयत का अमलीकरण है. आप दो गवाहों के जरिए प्रॉबेट करवा सकते हैं. प्रॉबेट कराने की प्रक्रिया जटिल है

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लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए

लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए

Probate: हमारे देश में ऐसी कई प्रॉपर्टी हैं, जिनमें रहने वाले लोग उस प्रॉपर्टी के कानूनी वारिस तो होते हैं, लेकिन कानूनी कागज पर उनके दादा या परदादा का ही नाम होता है.

प्रॉपर्टी आपके नाम पर नहीं होगी, तो उसे बेचने में मुश्किलें आ सकती है. यदि आपका मकान री डेवलपमेंट में जा रहा है, तो बिल्डर सबसे पहले यह जांच करता है कि आप उस मकान के मालिक है या नहीं.

यदि मकान आपके दादा या परदादा के नाम पर होगा और आपने प्रॉबेट (Probate) नहीं लिया होगा, तो कानूनी तौर पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए कानूनी एक्सपर्ट प्रॉबेट लेने की सलाह देते हैं.

प्रॉबेट क्या है?

फाइनेंस और कॉर्पोरेट सेक्टर के एडवोकेट धर्मवीर गोसाई बताते हैं, “प्रॉबेट औऱ कुछ नहीं बल्कि वसीयत का अमलीकरण है. आप दो गवाहों के जरिए प्रॉबेट करवा सकते हैं.

प्रॉबेट का मतलब है कि आप किसी वसीयत की प्रामाणिकता सिद्ध करना चाहते हैं और इसलिए आप कोर्ट जाते हैं. कोर्ट उन सारी परिस्थिति को जांच करता है जिसमे वह वसीयत बनाई गई थी और फिर कोर्ट प्रमाणपत्र देता है कि वसीयत सही है.

इसका फायदा यह होता है कि कल को कोई वसीयत को चुनौती देता है, तो कोर्ट का यह प्रमाणपत्र (प्रॉबेट आर्डर) काम आता है.”

मान लीजिए आपके पिताजी ने जो वसीयत लिखवाई थी, उसे यदि आपका भाई सही नहीं मानता और कोर्ट में चुनौती देता है तब यह वसियत की प्रामाणिकता पुरवार करने के लिए प्रॉबेट की जरूरत पड़ती है.

पॉबेट अनिवार्य है?

गोसाई बताते हैं कि यदि विल को लेकर आपस में कोई विवाद नहीं है, तो प्रॉबेट अनिवार्य नहीं है. जिस तरह वसीयत को रजिस्टर्ड कराना कानूनन आवश्यक नहीं है पर उसे रजिस्टर्ड कराने की सलाह दी जाती है.

ठीक वैसे ही प्रॉबेट कराने की सलाह दी जाती है. यदि भाई-बहनों द्वारा विल की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया जाता है, तोप्रॉबेट से इसे समाप्त कर सकते हैं.

यदि कोई झगड़ा नहीं है या वसीयत को कोई चुनौती नहीं है, तो प्रोबेट की कोई आवश्यकता नहीं है और संपत्ति आपस में बांट सकते हैं, लेकिन कानून की दृष्टि में वसीयत स्वयं में कोई सबूत नहीं है क्योंकि इसका रजिस्ट्रेशन कराया गया है.

जब किसी को इसे साबित करना होता है तो इसे या तो प्रॉबेट के जरिए या गवाहों का परीक्षण के जरिए साबित किया जाता है.

क्या रजिस्टर्ड वसीयत को प्रॉबेट कराना जरूरी है?

कानूनन वसीयत को रजिस्टर्ड कराना जरूरी नहीं है इसी तरह से वसीयत को प्रोबेट कराना भी जरूरी नहीं है, लेकिन आप चाहते हैं कि भविष्य में कोई संदेह (क्‍योंकि वसीयत लिखने वाला अब इस दुनिया में नहीं है) न हो तो वसीयत को प्रमाणित करने के लिए प्रोबेट कराना चाहिए.

प्रॉबेट से वसीयतकर्त्ता की वसीयत बनाने की योग्यता (tastamentory capacity) साबित भी होती है.

प्रॉबेट नहीं लेना पड़े, उसके लिए क्या करना होगा

प्रॉबेट कराने की प्रक्रिया जटिल है, इसलिए प्रॉबेट लेने की जरूरत ही ना पड़े ऐसा प्रबंधन करना चाहिए. आपको पहले से ही अपनी चल और गैर-चल संपत्ति को ट्रांसफर कर देना चाहिए.

अधिकतम प्रॉपर्टी किसी रजिस्टर्ड को-ऑपरेटिव सोसायटी के तहत आती है, इसलिए आपको ऐसी प्रॉपर्टी का नॉमिनेशन करवा लेना चाहिए. उसके बाद मैनेजिंग कमेटी में उसे स्वीकृति दिलानी चाहिए.

नॉमिनेशन सोसायटी के नॉमिनेशन रजिस्टर में सही एन्ट्री हुई है या नहीं यह जांच लेना चाहिए. सोसायटी के लेटर हेड पर यह जानकारी लिखवा कर और जिस व्यक्ति का नाम विल में और नॉमिनेशन में है उसे यह सारे दस्तावेज सौंप देने चाहिए.

आपको बैंक अकाउंट, पीपीएफ अकाउंट और LIC पॉलिसी जैसी मूवेबल एसेट में भी नॉमिनेशन करवा लेना चाहिए, जिसके कारण बाद में प्रॉबेट की आवश्यकता नहीं होगी.

Published - July 12, 2021, 07:19 IST