NPS: रिटायरमेंट प्लानिंग में निवेश करना आज सभी के लिए जरूरी हो गया है. इस तरह की प्लानिंग के लिए सबसे सुरक्षित और पसंदीदा तरीकों में से एक है नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), जो निवेशकों की मर्जी के मुताबिक उनके फंड्स को इक्विटी(equities) और डेट(debt) में निवेश करता है. पीपीएफ, ईपीएफ, एफडी और एनएससी(PPF, EPF, FD and NSC) जैसे निवेश के दूसरे विकल्पों के मुकाबले एनपीएस(NPS) का रेट ऑफ रिटर्न(rate of return) ज्यादा है. एनपीएस(NPS) का मैनेजमेंट करने वाले पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने एक ऐसी स्कीम का विकल्प दिया है जहां सबस्क्राइबर्स को सुनिश्चित रिटर्न दिया जाएगा. फिलहाल एनपीएस कस्टमर्स को कोई भी गारंटीड रिटर्न नहीं मिलता.
आम तौर पर एनपीएस(NPS) में कंजर्वेटिव इन्वेस्टमेंट (conservative investment) पर कम से कम 9% का रिटर्न मिल सकता है. जो लोग जोखिम ले सकते हैं उनके लोगों के लिए 13% का रिटर्न भी मिल सकता है.
रेगुलेटर ने कंसलटेंट्स से मिनिमम एश्योर्ड रिटर्न(minimum assured return) देने वाली स्कीम तैयार करने के लिए बिड मांगी है, जो मौजूदा और संभावित ग्राहकों को पेंशन फंड द्वारा ऑफर की जा सके.
भारत का 18-70 साल का नागरिक अपनी खुद की आय या फिर अपनी कंपनी के साथ मिलकर एनपीएस में शामिल हो सकता है.
पीएफआरडीए( PFRDA) अब एक सुनिश्चित रिटर्न देने वाली स्कीम की तलाश में है. अभी अगर आप 20 साल के लिए हर महीने 5,000 रुपये का निवेश करते हैं, तो आपको 60 साल की उम्र में 1.1 करोड़ रुपये मिलेंगे.
जिसमें से 68 लाख रुपये का भुगतान सिंगल पे आउट(single pay out) के तौर पर किया जाएगा, जबकि बाकी 42 लाख रुपये का भुगतान 6% की सालाना दर पर 22,800 रुपये मासिक पेंशन के रूप में किया जाएगा.
पीएफआरडीए( PFRDA) के अधिकारी कह रहे हैं कि अगर नई स्कीम को मंजूरी मिल जाती है, तो बाजार में आए उतार चढ़ाव के बावजूद, 17,000 रुपये से 19,000 रुपये की मासिक पेंशन का भुगतान किया जा सकेगा, साथ ही कम से कम 50 लाख रुपये का सिंगल पे आउट दिया जा सकता है.
कुछ सीमाओं को छोड़कर सभी योगदान में गारंटी मिलेगी. गारंटी सिर्फ भविष्य के योगदान पर लागू हो सकती है, किसी मौजूदा रकम पर बात नहीं की जाएगी.
एक नॉमिनल रिटर्न पर गारंटी आधारित होगी. इसमें ब्याज दर को प्रथमिकता दी जाएगी. फिक्स्ड या फ्लोटिंग दरों को मिलजुला कर लागू किया जाएगा और हर जमा की गई रकम पर कुछ लॉक-इन पीरियड लागू हो सकता है. कॉंट्रीब्यूशन पर न्यूनतम और अधिकतम सीमा निर्धारित की जा सकती है.
“पार्शियल या इमैच्योर विड्रॉल्स सीधे लॉक-इन पीरियड(lock-in period) से जोड़ा जा सकता है. ग्राहक के पास पीपीएफ(PPF) की तरह ही लॉक-इन पीरियड के बाद विड्रॉ करने का या निवेश चालू जारी रखने का विकल्प हो सकता है. अधिकारियों ने मीडिया को बताया, “लॉक-इन पीरियड के बाद निवेश पर कोई गारंटी लागू नहीं होगी”.
पीएफआरडीए(PFRDA) के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय के मुताबिक, गैर-सरकारी क्षेत्र के तहत कस्टमर बेस (कॉर्पोरेट और सभी सिटिजन मॉडल) मार्च 2018 में लगभग तेरह लाख के मुकाबले 14 अगस्त 2021 को दोगुना से ज्यादा यानि 30 लाख से ज्यादा हो गया है.
इन दो सेगमेंट्स के तहत कोर्पस पहले ही 970 अरब रुपये तक पहुंच चुका है और जल्द ही 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर जाएगा. 14 अगस्त, 2021 तक कॉर्पोरेट सबस्क्राइबर बेस 12 लाख था. मार्च 2018 में ये संख्या 6,96,000 थी.
ऑल-सिटिजन मॉडल(all-citizen model) या रिटेल सेगमेंट के सब्सक्राइबर 18 लाख तक पहुंच गए. तीन साल पहले ये 6,92,000 थे.
एनपीएस सबस्क्राइर बेस डेटा(NPS subscriber base ) में पांच श्रेणियां हैं – केंद्र सरकार, राज्य सरकार, कॉर्पोरेट, सभी नागरिक मॉडल और एनपीएस लाइट. ऑल-सिटिजन मॉडल रिटेल कस्टमर्स को दिखाता है.
एनपीएस का मूल पैटर्न नहीं बदलेगा. एनपीएस के जरिए लोग इक्विटी मार्केट, सरकारी बॉन्ड और कॉरपोरेट बॉन्ड में पैसा लगा रहे हैं. ये मॉडल पहले जैसी ही रहेगा, पर अभी के लिए से पूरी तरह से बाजार से जुड़ा हुआ है और रिटर्न निश्चित या सुनिश्चित नहीं है.
जब नई स्कीम बाजार में आएगी, तो लोगों को पे-आउट के साथ सुनिश्चित पेंशन दिलवाएगी.
इनकम टैक्स प्रोफेश्नल नारायण जैन कहते हैं, “नई प्रणाली के बाद बहुत सारे लोग जुड़ेंगे. कई लोग रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित निवेश विकल्प ढूंढते हैं. अगर सिंगल पे आउट के साथ कोई सुनिश्चित पेंशन रकम ऑफर की जाती है तो बहुत से लोग इसमें रूचि लेंगे. अब क्यूंकि इक्विटी मार्केट ज्यादा रिटर्न देता है, इससे आखिर में ग्राहकों को ही फायदा होगा”.