नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कुछ बदलाव हुए हैं. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने NPS में एंट्री ऐज को 65 साल से बढ़ाकर 70 साल कर दिया है. एक ग्राहक अब 75 साल की उम्र तक निवेशित रह सकता है. पेंशन रेगुलेटर ने एक नोटिफिकेशन में कहा है, “PFRDA ने एंट्री और एग्जिट की गाइडलाइन्स को रिवाइज किया है. कोई भी भारतीय नागरिक, निवासी या अनिवासी और भारत के प्रवासी नागरिक (OCI) 65-70 साल की उम्र के बीच NPS ज्वाइन कर सकते हैं और 75 साल की उम्र तक अपने NPS खाते को जारी या स्थगित कर सकते हैं”
PFRDA ने कहा है कि यह कदम उन लोगों की रिक्वेस्ट के मद्देनजर उठाया गया है, जो 65 साल के ऐज बेरियर की वजह से योजना में निवेश करने से चूक गए थे और मौजूदा ग्राहकों से भी जो 60 साल के बाद भी अपने NPS अकाउंट को कंटिन्यू करना चाहते थे.
हालांकि प्रतिबंध में ढील से कुछ लोगों को स्कीम में एंट्री करने में मदद मिल सकती है, लेकिन जो लोग अपने जीवन के बाद के दौर में स्कीम में एंट्री करते हैं, उनके फाइनेंस पर ओवरऑल ज्यादा इम्पैक्ट नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके कॉर्पस को बढ़ने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा और कंपाउंड का मैजिक लंबे समय में ही दिखाई देता है.
एक रिटायरमेंट कॉर्पस तब अच्छा बनता है जब कम उम्र से इसकी तैयारी शुरू की जाती है और धीरे-धीरे रेगुलर इन्वेस्टमेंट के जरिए लॉन्ग टर्म में एक बड़ा कॉर्पस तैयार होता है. ओल्ड ऐज इनकम सिक्योरिटी के लिए एक अच्छा कॉर्पस बनाने के लिए 5-10 साल का टाइम फ्रेम बहुत कम है.
NPS, जो ग्राहकों को इक्विटी में अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा लगाने की परमीशन देता है, मौजूदा समय में शेयर मार्केट को देखते हुए एक बहुत ही अट्रैक्टिव ऑफर लग सकता है.
BSE सेंसेक्स 57,000 के रिकॉर्ड हाई पर है और निफ्टी-50 अपने लाइफटाइम हाई 17,000 के आस-पास मंडरा रहा है. कुछ महीनों की छोटी अवधि में सूचकांकों में भारी वृद्धि कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर सकती है कि इक्विटी मार्केट वन-वे ट्रैफिक की तरह है.
इस समय विभिन्न इक्विटी-हेवी NPS फंडों का रिटर्न आकर्षक लग सकता है. ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि NPS के माध्यम से बुजुर्गों को इसमें एंट्री की परमीशन देने के लिए रिक्वेस्ट की जा रही है.
हालांकि, स्टॉक सबसे रिस्की एसेट क्लास में से हैं. स्टॉक मार्केट में कब क्या हो जाए किसी के लिए भी कहना मुश्किल है. ऐसे में कभी-कभी, तेज गिरावट निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है.
नुकसान उन लोगों के लिए सबसे अधिक हो सकता है जो NPS ऐज ब्रैकेट के अपर बैंड में हैं क्योंकि इन हाई स्टॉक वैल्यूएशन में एंट्री करने के बाद नुकसान की भरपाई के लिए उनके पास लिमिटेड समय होगा.
रिटायर्ड लोगों के लिए अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए मार्केट साइकिल बहुत लंबा होता है. नेट एसेट वैल्यू में तेज गिरावट कई लोगों को फाइनेंशियल क्राइसिस में डाल सकती है.
PFRDA ने 65 साल से अधिक की उम्र में NPS में शामिल होने वालों के लिए इक्विटी एक्सपोजर को एक्टिव चॉइस (जहां ग्राहकों को अपने एसेट एलोकेशन को चुनने की अनुमति है) के तहत निवेश का अधिकतम 50% तक सीमित कर दिया है, वैसे स्कीम के तहत 75% की परमीशन है.
ऑटो चॉइस के लिए (जिसमें ग्राहक डिसाइड नहीं कर सकते) इसे 15% तक सीमित कर दिया गया है.
हालांकि, अपर ऐज ग्रुप के सब्सक्राइबर को रिस्की निवेश की सलाह नहीं दी जाती है. 65 से अधिक उम्र के लोगों के लिए इक्विटी में 50% का एक्सपोजर भी बहुत
ज्यादा है. इस उम्र में सतर्क रहना जरूरी है क्योंकि नुकसान होने पर उसे कवर करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता.
जो सब्सक्राइबर रिवाइज्ड ऐज ब्रेकेट का फायदा उठाकर एंट्री करना चाहते हैं, उन्हें NPS में लिक्विडिटी फैक्टर को भी ध्यान में रखना चाहिए. विद्ड्रॉल पर कई कंडीशन लगाई गई हैं.
यदि कोई 65 साल की उम्र में एंट्री करता है तो 3 साल का लॉक-इन होता है. यदि कोई 3 साल के बाद बाहर निकलता है, तो केवल 60% राशि एकमुश्त दी जाएगी, जबकि शेष 40% को ग्राहक को नियमित भुगतान करने के लिए एन्युटी में रखा जाएगा. हालांकि, 5 लाख रुपये से कम कॉर्पस वाले ग्राहक अपना पूरा पैसा निकाल सकते हैं. 3 साल से पहले एग्जिट पर 80% कॉर्पस को एन्युटी स्कीम में रखा जाता है.
सभी निवेशक जो NPS में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें स्कीम और उसके फीचर को अच्छी तरह से स्टडी करना चाहिए और अपने लिए सबसे बेस्ट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन ढूंढने के लिए दूसरे इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस को भी देखना चाहिए. सीनियर सिटीजन को अपने फाइनेंस के साथ ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.