Invoice Discounting:कुछ दिनों पहले ही राज्यसभा में फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक (Factoring Regulation (Amendment) Bill) पारित किया गया था, जिसने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) और फाइनेंस टेकनोलॉजी कंपनियों के लिए इनवॉइस डिस्काउंटिंग (फैक्टरिंग व्यवसाय) मार्केट के दरवाजे खोल दिए है. इनवॉइस डिस्काउंटिंग से छोटे व्यवसायों की पूंजी की जरूरतों को पूरा किया जाता है, वहीं इन्हें उधार देने वाले को भी छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न कमाने का मौका मिलता है.
एक्सपर्ट मानते है कि फैक्टरिंग विधेयक पारित होने से इनवॉइस डिस्काउंटिंग मार्केट में काफी हलचल देखने को मिलेगी, क्योंकि भारत की 9,000 से भी अधिक NBFC अब इस मार्केट में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ेंगे. इस मार्केट का रेगुलेशन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा होता है और RBI इसके लिए TReDS लाइसेंस प्रदान करती है.
Infibeam ने किया ऐलान
अहमदाबाद स्थित ई-कॉमर्स कंपनी इंफीबीम एवेन्यूज ने फैक्टरिंग (बिल डिस्काउंटिंग) मार्केट में प्रवेश करने का ऐलान किया है. शेयर बाजारों पर लिस्टेड इंफीबीम 3-18 महीने की अवधि के लिए कर्ज प्रदान करेगी. कंपनी के उच्च अधिकारी बताते हैं, “हम क्रेडिट एल्गोरिथम, क्रेडिट प्लेटफॉर्म, फ्रेमवर्क और मर्चेंट डेटाबेस की पेशकश करके एक एनबलर के रूप में उधार देने का इरादा रखते हैं. फैक्टरिंग कानून पारित होने से अब हम बैंक और NBFC के साथ मिलकर रणनीतिक रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लेंडिंग सेक्टर में प्रवेश करेंगे.”
अप्रैल-जून तिमाही में Infibeam के प्रोसेस किए गए ट्रांजैक्शंस की वैल्यू पिछले साल के मुकाबले 170% बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गई है, वहीं ग्रॉस रेवन्यू 120% बढ़कर 216 करोड़ रुपये और प्रॉफिट 14% बढ़ा है. कंपनी के प्लेटफॉर्म पर 30 लाख से ज्यादा मर्चंट हैं और उसे बढ़ाकर 100 लाख करने की योजना है.
इनवॉइस डिस्काउंटिंग क्या है?
छोटे कारोबारी, MSME और SME की सबसे बड़ी परेशानी वर्किंग कैपिटल है. उनके क्लाइंट बिल क्लियर करने में 2-3 महीने का वक्त लगाते हैं. इस अवधि के दौरान उनकी वर्किंग कैपिटल की जरूरत पूरा करने के लिए उनके बिल को डिस्काउंट करके पैसे उधार देने की लेनदेन को बिल डिस्काउंटिंग या इनवॉइस डिस्काउंटिंग कहते हैं.
रिटेल इन्वेस्टर को होगा फायदा
कारोबारियों को इनवॉइस डिस्काउंटिंग की सुविधा बैंक या सरकार के NSIC (नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन) जैसे संस्थानों से मिलती है. कुछ फिनटेक कंपनियों ने भी इस मार्केट में काम शुरू किया है और मार्केटप्लेस के जरिए निवेशक को कारोबारियों के साथ जोड़ दिया है.
Tradecred और kredx जैसे प्लेटफॉर्म ने छोटे निवेशकों के लिए इनवॉइस डिस्काउंटिंग के कई प्रोडक्ट लॉन्च किए है. इसके जरिए छोटे इन्वेस्टर्स भी बड़े फाइनेंसर की तरह कारोबारयों को फाइनेंस कर सकते है और 3 महीने जितने कम वक्त में 13-15% तक का तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.