NAV: म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर जब भी कोई बात होती है, तो नेट एसेट वैल्यू (NAV) का जिक्र जरूरी हो जाता है.
इससे आप अपने नफे-नुकसान का आसानी से पता लगा सकते हैं, लेकिन एनएवी को लेकर आम निवेशकों के बीच कई तरह की भ्रांतियां भी हैं.
क्या जिस म्यूचुअल फंड की एनएवी कम है वो सबसे सस्ता होता है? क्या जिस फंड की एनएवी सबसे ज्यादा है वो महंगा है? आज हम इन भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करेंगे.
एनएवी वह कीमत है, जिस पर आप म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट खरीदते या बेचते हैं.
मान लीजिए किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का प्रति यूनिट एनएवी 50 रुपये है और आप इस स्कीम में 10 हजार रुपये निवेश करते हैं, तो आपको (10 हजार को 50 से भाग देने पर) 200 यूनिट मिलेंगे.
अब जब आप दो साल के बाद रिडीम करना चाहते हैं और उस समय एनएवी बढ़कर 100 रुपये हो जाता है, तो उस समय आपको प्रति यूनिट 50 रुपये यानी 200 यूनिट्स पर 10 हजार रुपये का फायदा होगा, लेकिन उस पर एग्जिट लोड भी लगता है.
अमूमन एग्जिट लोड तब लगता है, जब निवेश के एक तय अवधि के अंदर बिक्री की जाती है. यह चार्ज एनएवी के एक प्रतिशत के तौर पर वसूला जाता है.
एनएवी को म्यूचुअल फंड की यूनिट की बुक वैल्यू कहा जा सकता है, क्योंकि जब म्यूचुअल फंड को समाप्त किया जाता है, तो उस म्यूचुअल फंड में यूनिट धारक को प्रत्येक यूनिट के बदले एक कीमत मिलती है, उस यूनिट का उस दिन का एनएवी होता है.
प्रत्येक कारोबारी दिवस में फंड के पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य के अनुसार ही यूनिट का एनएवी भी घटता बढ़ता रहता है. कुल मिलाकर स्कीम अगर अच्छा निवेश करती है, तो इसकी एनएवी में बढ़ोतरी होगी. यानी निवेश का मूल्य बढ़ जाएगा.
अगर स्कीम का निवेश घटता है, तो उसके एनएवी पर भी असर दिखाई देगा.
कई म्यूचुअल फंड निवेशक मानते हैं कि उन्हें एनएफओ (न्यू फंड ऑफर) के वक्त म्यूचुअल फंड खरीदना चाहिए. कारण है कि इस समय यूनिटें 10 रुपये में उपलब्ध होती हैं.
इसी तरह अब भी कुछ लोग मानते हैं कि उन्हें कम एनएवी वाली स्कीमों को खरीदना चाहिए, क्योंकि इसके बढ़ने की गुंजाइश बनी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं है.
उदाहरण से समझिए अगर आपने 20-20 हजार रुपये म्यूचुअल फंड की दो स्कीम यानी X और Y में निवेश किया. स्कीम X एनएवी 100 रुपये प्रति यूनिट है, तो यहां आपको 200 यूनिट्स मिले.
वहीं, स्कीम Y में एनएवी प्रति यूनिट 200 रुपये है इसलिए आपको 100 यूनिट्स मिलेंगे. 5 साल बाद अगर रिडीम करने जाते हैं और अगर स्कीम X का एनएवी बढ़कर 150 रुपये हो जाता है, तो आपका कुल रिटर्न 50 X 200 यानी 10,000 रुपये बनता है.
Y में एनएवी अगर बढ़कर 300 रुपये हो जाता है. यहां भी कुल रिटर्न 100 X 100 यानी 10,000 रुपये बनता है. मतलब दोनों स्थितियों में रिटर्न बराबर है.