Balanced Advantage Funds: सितंबर में SBI बैलेंस्ड एडवांटेज फंड से NFO ने 15,000 करोड़ रुपये जुटाए – जो किसी भी इक्विटी-ओरिएंटेड फंड द्वारा सबसे अधिक है – जबकि एक्सिस MF ने कुछ दिनों पहले अपने मौजूदा डायनेमिक इक्विटी फंड को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में बदल दिया है. भारत का सबसे बडा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर NJ MF 8 अक्टूबर से बैलेंस्ड एडवांटेज फंड ऑफरिंग के साथ अपनी शुरुआत कर रहा है. बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैटेगरी की एसेट अंडर मेनेजमेंट (AUM) पिछले वर्ष की तुलना में 62% बढ़कर 1.41 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं.
जयपुर स्थित mywealth.co.in के फाउंडर और CFP विनोद फोगला बताते हैं, “बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के प्रति निवेशकों का उत्साह बढ़ने की कई वजह हैं, जिसमें प्रमुख है, कम इंटरेस्ट रेट. बैंक FD के ब्याज दर लगातार कम हुए हैं, और कई निवेशक इतने ब्याज से अधिक रिटर्न की तलाश में म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे हैं. हांलाकि, बैंक FD के मुकाबले म्यूचुअल फंड रिस्की हैं, वहीं बैलेंस्ड एडवांटेज फंड उन्हें कम जोखिम के साथ अधिक रिटर्न प्रदान करते हैं. अब तक FD में निवेश करने वाले निवेशक की कम इक्विटी-जोखिम वाले विकल्प की तलाश यहां आकर समाप्त होती है.” उनके मुताबिक, इस कैटेगरी के फंड में वोलैटिलिटी कम होने की वजह से भी निवेशकों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है.
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के फंड मेनेजर एसेट एलोकेशन के लिए पहले से निर्देशित पद्धति का पालन करते हैं, जो उन्हें बाजार की बदलती स्थितियों में इक्विटी एक्सपोजर का प्रबंधन करने की अनुमति देता है और इस प्रकार लंबी समय सीमा तक निवेश करने वाले निवेशकों को बेहतर रिटर्न कमाने को मिलता है. इन फंड्स की यह गतिशील प्रकृति इसे सभी निवेशकों के लिए एक आदर्श निवेश समाधान बनाती है क्योंकि फंड न केवल बाजार की अस्थिरता को बेहतर ढंग से नेविगेट करने का प्रबंधन करता है, बल्कि लंबी अवधि में धन सृजन पर भी ध्यान केंद्रित करता है.
एक्सिस MF के MD और CEO चंद्रेश निगम ने कहा, “बैलेंस्ड एडवांटेज फंड निवेशकों को एक संरचित प्रक्रिया के माध्यम से इक्विटी जोखिम को कम करने की अनुमति देते हैं जो इक्विटी एक्सपोजर को गतिशील रूप से प्रबंधित करते हैं. इस प्रकार, वे निवेशकों को अपने जोखिम का प्रबंधन करते हुए इक्विटी की दीर्घकालिक विकास क्षमता से लाभ उठाने की अनुमति देकर निवेश के अनुभव को बदलने में मदद कर सकते हैं.”
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड आमतौर पर डेट और इक्विटी के मिश्रण में निवेश करते हैं. आमतौर पर, जब बाजार का मूल्यांकन महंगा हो, तो वे इक्विटी में कम निवेश करते हैं और जब मूल्यांकन किफायती हो तब ज्यादा निवेश करते हैं. इनके फंड मैनेजर निफ्टी 50/ S&P BSE 100 के ट्रेलिंग प्राइस-अर्निंग (PE) अनुपात के आधार पर इक्विटी वैल्यूएशन तय करते हैं और इक्विटी आवंटन तय करने के लिए प्राइस टू बुक और डिविडेंड यील्ड जैसे अन्य अनुपातों का उपयोग करते हैं.
जैसा कि नाम से पता चलता है, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में डेट और इक्विटी का मिश्रण होता है. हालांकि, एलोकेशन स्थिर नहीं, बल्कि गतिशील है. एक पारंपरिक हाइब्रिड बैलेंस्ड फंड में आक्रामक फंड है तो इक्विटी के पक्ष में 70:30 या कंजर्वेटिव फंड में डेट के पक्ष में 70:30 का पूर्व-निर्धारित अनुपात होगा.
शॉर्ट-टर्म केपिटल गेइन प्लस एग्जिट लोडः यदि आप 1 साल के भीतर इन फंड्स के यूनिट बेचते हैं, तो जितना भी गेइन होता हैं, उस पर 15% शॉर्ट-टर्म केपिटल गेइन टैक्स लागू होता हैं. इसके अलावा 1 साल में रीडिम करने पर म्यूचुअल फंड हाउस 1% एग्जिट लोड भी लगाता हैं.
लॉन्ग-टर्म केपिटल गेइन टैक्सः इनमें किए गए निवेश को टैक्सेशन के लिए इक्विटी फंड के साथ जोडा जाता हैं, और 1 साल के बाद बेचे गए युनिट से होने वाले गेइन पर, यदि 1 साल में 1 लाख रूपये से ज्यादा हैं तो 10% लॉन्ग-टर्म केपिटल गेइन टैक्स लागू होता हैं.