हालांकि इस बात की जानकारी होना महत्वपूर्ण है कि निवेश करने के लिए म्युचुअल फंड (Mutual Fund) चुनते समय आपको किन कारकों को ध्यान में रखना चाहिए, लेकिन अपने पैसे को निवेश के लिए सही प्रकार का फंड (Mutual Fund) चुनने की अहमियत को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ताकि आपको अंत में बेहतर निवेश योजना के साथ अधिक रिटर्न की प्राप्ति हो सके. 2018 तक फंड्स के पास इसकी आजादी थी कि वह अवसरों के लिहाज से किसी भी श्रेणी में निवेश कर सकें और इस वजह से निवेशकों के लिए म्युचुअल फंड योजनाओं का मूल्यांकन करना मुश्किल हो गया.
इसी समस्या को दूर करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड के वर्गीकरण की योजना जारी करने के लिए म्युचुअल फंड सलाहकार समिति की स्थापना की. समिति ने योजनाओं को पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया, जिसमें इक्विटी, डेट, हाइब्रिड, समाधान उन्मुख और अन्य श्रेणी शामिल है.
यह जानना जरूरी है कि हम ज्यादातर इक्विटी म्युचुअल फंड के प्रकार को कवर कर रहे हैं और प्रत्येक फंड जोखिम के विभिन्न स्तरों को स्वीकार करता है क्योंकि ये फंड शेयर बाजार में शेयरों और कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं और इससे हासिल होने वाला रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि इन शेयरों का प्रदर्शन कैसा होता है. जिन कंपनियों में म्यूचुअल फंड की तरफ से निवेश किया जाता है, उन्हें सेबी द्वारा उनके बाजार पूंजीकरण (बाजार में कंपनी के शेयरों का मूल्य) के अनुसार लार्ज-कैप (उच्च बाजार मूल्य), मिड-कैप और स्मॉल-कैप (कम बाजार मूल्य) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.
इसके बाद, म्युचुअल फंड को इस आधार पर विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है कि वह पूंजी का कितना हिस्सा चुनिंदा वर्ग की कंपनियों में निवेश करते हैं या फिर उनके निवेश का व्यवहार क्या है. अगर आप निवेश की संभावनाओं को तलाश रहे हैं तो आपको इक्विटी म्यूचुअल फंड के इन विविध वर्गीकरण को ध्यान में रखना चाहिए :
इक्विटी फंड अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा बड़े बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों या संस्थानों में निवेश करते हैं। यहां बड़े पूंजीकरण का मतलब इस बात से है कि इन कंपनियों के पास व्यापक बाजार हिस्सेदारी है और इनमें निवेशकों के लिए संपत्ति निर्माण का एक लंबा और मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड रहा है. ये कम जोखिम वाली योजनाएँ हैं और उन निवेशकों के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं जो जोखिम से बचते हुए सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं। यह विकल्प सुरक्षित साबित होता है क्योंकि बड़ी कंपनियाँ आम तौर पर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव और मंदी को झेल लेती हैं।
हमने देखा है कि किस तरह से बाजार पूंजीकरण रिटर्न को प्रभावित कर सकता है. मिड-कैप फंड आम तौर पर निवेश करने के लिए उन कंपनियों को लक्षित करते हैं जो आम तौर पर बाजार पूंजीकरण में 101 से 250 के बीच मौजूद होती हैं. इसका मतलब है कि ये कंपनियां लार्ज-कैप कंपनियों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक अस्थिर लेकिन स्मॉल-कैप कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर हैं. औसत से अधिक रिटर्न हासिल करने के लिए ये योजनाएँ उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं, जो अधिक जोखिम लेने की चाहत रखते हैं.
ये फंड अपनी पूंजी का कम से कम 80% हिस्सा स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश करते हैं. बाजार पूंजीकरण के मामले में स्मॉल-कैप कंपनियां 250 से ऊपर की रैकिंग में होती हैं. किसी कंपनी की सेबी रैंकिंग को ऐसे समझ सकते हैं जैसे कि प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाली रैंकिंग होती है. रैंक जितना अधिक होगा, जोखिम उतना ही अधिक होगा। यहां तक कि बाजार में मामूली उतार-चढ़ाव भी निवेश की गई पूंजी को आश्चर्यजनक रूप से प्रभावित कर सकता है. इसलिए ये योजनाएं उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो उच्च रिटर्न की तलाश में अधिक जोखिम ले सकते हैं और जो अधिक विकास की उम्मीद करते हैं. इन सबके बावजूद हमारा मानना हैं कि यह निवेश का एक बेहद जोखिम भरा विकल्प है और इसे किसी वित्तीय सलाहकार की देख-रेख में ही अपनाया जाना चाहिए.
ये योजनाएं लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश का एक मिश्रण हैं, जहां प्रत्येक प्रकार की कंपनी में निवेश करने के लिए पूंजी को विभाजित किया जाता है. यह जोखिम नहीं लेने वाले व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है जो धन कमाने के साथ साथ अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहते हैं. (नए निवेशकों को निश्चित रूप से इसे लक्ष्य बनाकर चलना चाहिए).
ईएलएसएस फंड सबसे अधिक मांग वाले म्यूचुअल फंड हैं क्योंकि वे धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये की कर छूट के दायरे में आते हैं. तीन साल की लॉक-इन अवधि के साथ इन फंडों से होने वाली वास्तविक कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन है, जिस पर 10% कर लगाया जाता है और इसमें एक लाख रुपये तक के लाभ पर कर छूट का भी प्रावधान है. ये योजनाएं कर लाभ के लिए अविश्वसनीय रूप से आकर्षक हैं और लंबी अवधि की वित्तीय योजना के लिए उपयोगी भी.
डिविडेंड (कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे से शेयरधारकों को दिया गया पैसा) इक्विटी में निवेश की सबसे आकर्षक और उपयोगी विशेषताओं में से एक है. जिन कंपनियों में इन फंडों की तरफ से निवेश किया जाता है, उन्हें उच्च लाभांश देने के लिए जाना जाता है क्योंकि वे अच्छा मुनाफा कमाते हैं और धन सृजन के मामले में उनका अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड भी है. ये फंड उन निवेशकों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जो प्रतिष्ठित कंपनियों में निवेश करने की इच्छा के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं और जहां एकमात्र प्रेरित करने वाला कारक लाभांश का मूल्य है.
ये योजनाएं सेक्टर-विशिष्ट हैं, जिसका अर्थ यह हुआ कि पूँजी अलग-अलग बाजार पूंजीकरण या शामिल प्रतिभूतियों के वर्ग, जैसे कि अचल संपत्ति, प्राकृतिक संसाधन, प्रौद्योगिकी आदि जैसे एक विशिष्ट सेगमेंट या उद्योग में निवेश की जाएगी. ये योजनाएं उन निवेशकों के लिए सर्वोत्तम हैं जो वैसा विविध पोर्टफोलियो चाहते हैं, जिसमें एकल सेक्टर या सेगमेंट की मौजूदगी हो.
कॉन्ट्रा म्युचुअल फंड मौजूदा बाजार के रुझानों के विपरीत जाकर निवेश करता है और उन शेयरों को खरीदता है जो वर्तमान में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. फंड मैनेजर स्टॉक के बारे में एक विरोधाभासी दृष्टिकोण रखता है. स्पष्ट शब्दों में समझा जाए तो जब निवेशक किसी शेयरों को छोड़ रहे होते हैं या फिर उसे खरीद रहे होते हैं, वैसी स्थिति में यह फंड उल्टा रुख अख्तियार करता है. ओवर-परफॉर्मेंस और अंडर-परफॉर्मेंस दोनों ही स्थितियाँ परिसंपत्ति के मूल्य को विकृत करती हैं और इस फंड के द्वारा इसी स्थिति को भुनाया जाता है. धारणा यह है कि किसी परिसंपत्ति की कोई भी अत्यधिक कीमत अंततः लंबी अवधि में सामान्य हो जाएगी. इसलिए यह कमजोर इच्छा शक्ति वाले निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं है.
कई अनुभवी निवेशक संपत्ति अर्जित करने के तरीके के रूप में ग्रोथ और वैल्यू इन्वेस्टमेंट के संयोजन की प्रतिबद्धता जताते हैं. हालांकि, सही स्टॉक खोजने और उन्हें सही समय पर खरीदने के लिए बाजार के बारे में बहुत प्रयास और जागरूकता की आवश्यकता होती है. इस तरह के फंड वित्तीय, व्यवसाय मॉडल, प्रतिस्पर्धी स्थिति, प्रबंधन आदि के आधार पर किसी कंपनी के आंतरिक मूल्य की गणना करते हैं. यदि कंपनी का बाजार मूल्य उसके आंतरिक मूल्य से कम है, तो इसे ‘मूल्य’ (निवेश के लायक) माना जाता है. ये फंड उन निवेशकों के लिए अच्छे विकल्प हैं, जिन्हें बाजार की पूर्व जानकारी और समझ है, लेकिन यह नए निवेशकों के लिए आदर्श नहीं है.
फोकस फंड म्युचुअल फंड की एक श्रेणी है जो कम संख्या में विविध (अधिकतम 30) शेयरों में निवेश करते हैं. इस निवेश योजना के साथ अलग-अलग बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों की विविध श्रेणी के बजाय, बहुत कम क्षेत्रों से सीमित भिन्नता पर ध्यान केंद्रित होता है. इस तरह के फंड की रणनीति का उद्देश्य मुख्य रूप से अत्यधिक उच्च प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में निवेश करके अधिकतम रिटर्न हासिल करना है.
उपर्युक्त प्रत्येक वर्गीकरण निवेश के एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वे आपके हितों के मुताबिक समायोजित हों. इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आप निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड चुनते समय खुद शोध कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह आपके बजट के आधार पर और आपकी दीर्घकालिक वित्तीय योजनाओं के हिस्से के रूप में आपको जिस तरह का रिटर्न चाहिए, वह दे सकेगा. हम मजबूती के साथ सिफारिश करते हैं कि आप निवेश करने से पहले एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर लें.
(लेखक ZestMoney के सीईओ और को-फाउंडर है.)