43 साल के उत्पल जोशीपुरा के म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में केवल एक इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) प्लान है. वह 4 साल से इसमें निवेश करते है और अब दूसरा ELSS प्लान भी खरीदना चाहते है. जोशी जी अगर टैक्स बचाने के नजरिए से ELSS में निवेश करते है तो यह बढिया विकल्प है, लेकिन पोर्टफोलियो में केवल ELSS स्कीम्स रखना क्या सही है ये जानने के लिए हमने म्यूचुअल फंड और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट से बात की तो पता चला की ऐसा करने से फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी.
सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचाने के उद्देश से ELSS में निवेश एक बेहतर विकल्प है. आप सालाना रू.1.5 लाख तक का टैक्स रिबेट क्लैम कर सकते है और शायद इसलिए कई निवेशक ELSS को पसंद करते है, तो क्या केवल ELSS में निवेश करना पर्याप्त है? इस सवाल के जवाब में आदित्य देवडा & कंपनी के प्रोप्राइटर CA आदित्य देवडा बताते है कि, “यदि आपकी इनकम टैक्सेबल है तो टैक्स बचाने के इरादे से ELSS में निवेश बेहतर है, लेकिन आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो केवल ELSS में निवेश करना सही नहीं होगा.”
मार्केट में होने वाली गतिविधियों का प्रभाव ELSS फंड पर पडता है क्योंकि ELSS भी दूसरे फंड की तरह इक्विटी-ओरिएंटेड होते है. आमतौर पर ELSS फंड 50-70 शेयर में निवेश करते है, इसलिए एक इक्विटी फंड के साथ जितने जोखिम जुडे है वे सभी का वहन ELSS फंड भी करते है. “निवेशकों को अपनी रिस्क-केपेसिटी के आधार पर ELSS में निवेश करना चाहिए और इसके साथ जुडे जोखिमों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए,” ऐसा सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर जिगर भट्ट बताते है.
आपके पोर्टफोलियो में एक से ज्यादा ELSS फंड रखने से आपको डाइवर्सिफिकेशन रखने में आसानी हो सकती है लेकिन कंसंट्रेशन रिस्क भी बढ सकता है. भट्ट के मुताबिक, जो ELSS फंड पिछले साल बेस्ट-पर्फोर्मिंग फंड रहा था, वह अगले पांच या दस साल में टोप-10 की शूचि में भी ना होने की संभावना है, इसलिए आपको रिस्क कम करने के लिए केवल एक ELSS फंड पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.
दूसरे इक्विटी फंड के साथ आपके ELSS फंड के रिटर्न की तुलना करनी चाहिए. यदि आपके ELSS फंड के मुकाबले नोन- ELSS फंड में अधिक रिटर्न मिला है तो आप उसका फायदा लेने से वंचित रह जाएंगे. यदि आपका टैक्स बचाने का उद्देश हासिल हो जाता है तो दूसरे इक्विटी फंड पसंद करने चाहिए ऐसा म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट बताते है.
टैक्स बचाने वाले दूसरे एसेट के मुकाबले ELSS का लोक-इन पीरियड (3 साल) बहुत ही कम है और रिटर्न भी अच्छा मिलता है, लेकिन आपको 3 साल में ही फंड की जरूरत पडती है और आपने केवल ELSS में निवेश किया होगा तो आप मुसीबत में फंस सकते है. इमर्जंसी में काम आए ऐसा निवेश भी होना जरूरी है, इसलिए ऐसे फंड की व्यवस्था करने के बाद ही केवल ELSS को चुनना चाहिए ऐसा AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्युटर वैभव शाह बताते है.
ELSS फंड में 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है, इसलिए कई निवेशक 3 साल तक बने रहते है, लेकिन 3 साल के बाद युनिट रीडिम करने की जल्दबाजी कर बैठते है. यदि आप अधिकतम फायदा लेना चाहते है तो ELSS फंड में कम से कम 5-7 साल तक निवेश रखना चाहिए, ऐसा करने से आपका रिस्क कम होता है और मार्केट के साथ NAV के उतार-चढाव को बैलेंस करने में मदद मिलती है. यदि आप लंबे समय तक ELSS फंड में निवेश रखते है तो आपको मार्केट की संपूर्ण साइकिल (बोटम और टोप) का फायदा मिलता है, और रिटर्न बढ जाता है, ऐसा भट्ट बताते है.