पर्सनल कैश फ्लो मैनेजमेंट भारत में एक अंडररेटेड कॉन्सेप्ट है. हालांकि, इसके कई फायदे हैं, जिनके बारे में अभी तक ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है. कैश फ्लो मैनेजमेंट किसी के कैश इनफ्लो और कैश आउटफ्लो के बीच एक बैलेंस बनाता है. कैश इनफ्लो और आउटफ्लो किसी की फाइनेंशियल जर्नी में दो मेजर लेकिन अलग-अलग फेज हैं. पहले को एक्युमुलेशन फेज के रूप में जाना जाता है जबकि दूसरे को विड्रॉल फेज कहा जाता है.
इन्वेस्टोग्राफी की फाउंडर श्वेता जैन ने कहा, “पैसे को मैनेज करना केवल इन्वेस्टमेंट तक सीमित नहीं है, यह एक्सपेंस को मैनेज करने के बारे में ज्यादा है. कितना पैसा आ रहा है, कब क्या एक्सपेंस ड्यू हैं, चाहे वो EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम, मेंटेनेंस ड्यू, रेंट, यूटिलिटी, नए अप्लायंस, गैजेट या फर्नीचर खरीदने की योजना हो. इन्हें अच्छी तरह से बनाए रखा जाना चाहिए, ताकि आपको आखिरी मिनट में मुश्किल न हो या पेरेंट्स या दोस्तों से पैसे न मांगने पड़े या फिर कोई पर्सनल लोन न लेना पड़े. ”
कैश फ्लो मैनेजमेंट का महत्व
पर्सनल कैश फ्लो स्टेटमेंट रखना बहुत जरूरी है. हालांकि, अंडररेटेड होने की वजह से इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है. एक सिंपल एक्सेल बनाए रखने से आपको न केवल मैनेजमेंट करने में मदद मिलेगी, बल्कि बेहतर योजना बनाने में भी मदद मिलेगी. अच्छी प्लानिंग आपको अपने आइडिया को एक्जिक्यूट करने और फ्यूचर के लिए सेविंग करने में भी मदद करेगी.
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के फाउंडर विशाल धवन ने कहा, “अपने इनकम और खर्चों पर नजर रखने से इन्वेस्टर्स और फैमिली अपने शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों गोल के लिए योजना बना सकते हैं और अपने फिक्स्ड और डिस्क्रीशनरी खर्चों को अलग कर सकते हैं, जिससे बजट बनाने में काफी मदद मिलती है.”
यह आपको उन एडिशनल इंटरेस्ट कॉस्ट को बचाने में भी मदद करेगा, जो आपको इसे अनदेखा करने पर चुकानी होंगी. बैंक या लिक्विड फंड में कुछ पैसे रखने से आपको ऐसी परेशानी के समय मदद मिलती है. एक इफेक्टिव कैश फ्लो मैनेजमेंट आपके आउटफ्लो को इनफ्लो से कम रहने में सक्षम बनाएगा. इस तरह से आपके लिए बचत करने और निवेश करने के लिए भी पैसा बचेगा और धीरे-धीरे सेविंग से बड़ा कॉर्पस तैयार हो जाएगा.
सही बैलेंस कैसे बनाएं?
किसी को फ्यूचर में इन्वेस्टमेंट के लिए पर्याप्त सेविंग करने में सक्षम होने के लिए कैश के इनफ्लो और आउटफ्लो के बीच बैलेंस कैलकुलेट करना चाहिए, यह मुमकिन है कि किसी खास महीने के लिए आउटफ्लो इनफ्लो से ज्यादा हो. यह अचानक आए खर्च, मेडिकल इमरजेंसी आदि के कारण हो सकता है. एक इफेक्टिव कैश फ्लो मैनेजमेंट का गोल पर्याप्त इमरजेंसी सेविंग करना है, लेकिन इसमें कुछ समय लग सकता है.
शुरुआती स्टेज में, सेविंग घर या कार जैसी बड़ी परचेज के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है. ऐसे में लोन लेने का ऑप्शन होता है जो EMI के रूप में आपके मंथली आउटफ्लो का एक हिस्सा बन जाता है. हमेशा तत्काल जरूरतों और भविष्य के निवेश के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने की कोशिश करनी चाहिए. धवन ने पर्सनल कैश फ्लो में बैलेंस बनाने के लिए तीन टिप्स दीं जिससे आपको लगातार कॉर्पस बढ़ाने में मदद मिलेगी.
– अपने लोन को कंट्रोल में रखें
– सैलरी मिलते ही पैसा इन्वेस्ट करें, और फिर खर्च करें, बजाय इसके कि पहले खर्च करें और जो बचा है उसे इन्वेस्ट करें
– अपने बोनस का केवल एक छोटा सा हिस्सा खर्च के लिए और बाकी को गोल्स को पूरा करने के लिए समझदारी से इस्तेमाल करें
कैश फ्लो मैनेजमेंट स्ट्रेटजी
पर्सनल कैश फ्लो मैनेजमेंट के लिए, धवन ने एक अलग अकाउंट बनाकर और तिमाही समीक्षा करके अपने खर्चों की बारीकी से निगरानी और विश्लेषण करने की सलाह दी.
उन्होंने कहा, “एक्सपेक्टेड इनफ्लो के अगेंस्ट अपने एक्चुअल इनफ्लो को चेक करें – डिविडेंड, रेंट, सैलरी, आदि खर्चों के लिए एक अलग अकाउंट रखें ताकि आप जो खर्च कर रहे हैं उस पर नजर रख सकें और हर तीन महीने में इसका रिव्यू कर सकें. म्यूचुअल फंड में SIP या बैंक रेकरिंग डिपॉजिट जैसे टूल्स का इस्तेमाल करके अपनी सेविंग स्ट्रेटजी ऑटोमेट करें.”
आपके फाइनेंशियल गोल्स को पाने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अपने खर्चों के साथ-साथ इनकम को मॉनिटर करना. अपने इनफ्लो और आउटफ्लो की समय-समय पर समीक्षा करते रहें. अच्छे काम में देरी क्यों आज से ही अपने कैश फ्लो को मैनेज करने के लिए एक इफेक्टिव स्ट्रेटजी का इस्तेमाल करें.