जानें क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड, निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान

म्युनिसिपल बॉन्ड का ट्रेड प्राइमरी व सेकेंडरी दोनों मार्केट में होता है. प्राइमरी में नए बॉन्ड जारी होते हैं, सेकेंडरी में बॉन्डों का व्यापार होता है.

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बांड पर मिलने वाले ब्याज को बांड यील्ड कहा जाता है. बांड पर पहले से ही तय दरों पर ब्याज मिलता है. इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता

बांड पर मिलने वाले ब्याज को बांड यील्ड कहा जाता है. बांड पर पहले से ही तय दरों पर ब्याज मिलता है. इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता

किसी भी पब्लिक प्रोजेक्ट को फंडिंग करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है. खासकर जब केंद्र सरकार फाइनेंशियल रूप से कमजोर हो. हालांकि इस अंतर को कम करने के लिए लोकल और स्टेट गवर्नमेंट ने पब्लिक प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किए हैं. भारत में म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) साल 1997 से मौजूद हैं. बेंगलुरु म्युनिसिपल कॉरपोरेशन भारत का पहला म्युनिसिपल कारपोरेशन है जिसने म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) जारी किया था. म्युनिसिपल बॉन्ड  (municipal bond) अपनी इनिशियल इन्वेस्टर अपील के बाद काफी लोकप्रियता हुए पर आवश्यक इन्वेस्टमेंट जुटाने में विफल हो गए. इसके बाद मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने 2015 में म्युनिसिपल बॉन्ड को फिर से शुरू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए.

क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड

म्युनिसिपल बॉन्ड नगर निगम द्वारा जारी किया जाता है. म्युनिसिपल कारपोरेशन लोकल गवर्नमेंट का मैनेजमेंट करने के लिए इंडियन कंस्टीटूशन के सेक्शन 243Q द्वारा स्थापित एक कानूनी आर्गेनाईजेशन है. म्युनिसिपल कॉपोरेशन मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों जैसे खराब मैनेजमेंट, प्लेग्राउंड मेंटेनेंस, स्ट्रीट लाइटिंग और वाटर सप्लाई के लिए जिम्मेदार है. आमतौर पर इन कार्यों को करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक धन मुहैया करवाया जाता है.

वहीं दूसरी ओर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती जरूरत और गवर्नमेंट की फाइनेंशियल कमजोरी के कारण म्युनिसिपल कॉर्पोरेशंस अक्सर एप्रोप्रियेट फंडिंग के लिए स्ट्रगल करते हैं. ऐसी कोंडिक्शन में म्युनिसिपल बॉन्ड लोकल गवर्नमेंट को अपने फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाते हैं. इसके साथ ही नागरिकों को बढ़ी हुई सेवाएं भी प्रदान करते हैं.

कैसे खरीद सकते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड

म्युनिसिपल बॉन्ड खरीदना एक सरल प्रक्रिया है. भारत में बॉन्ड डीलरों, बैंकों, ब्रोकरेज फर्मों के माध्यम से और कुछ मामलों में सीधे नगर पालिकाओं से म्युनिसिपल बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) का ट्रेड प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों मार्केट में होता है. प्राइमरी मार्केट में जहां नए बॉन्ड जारी किए जाते हैं. वही सेकेंडरी मार्केट का उपयोग ज्यादातर मौजूदा बॉन्डों के व्यापार के लिए किया जाता है. इसके अलावा बॉन्ड केटेगरी में होने के कारण यह पब्लिक और प्राइवेट आधार पर जारी किया जाता है. जिसके बेस पर रिटेल निवेशक इसे खरीद पाते हैं.

ध्यान रखने वाली जरूरी बातें

क्या राज्य सरकार गारंटी देती है कि बॉन्ड जारी किए गए बॉन्ड के आधार पर अलग-अलग होंगे? इसका जवाब है नहीं, आमतौर पर राज्य सरकार की इसको लेकर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं होती है. यदि नगर निगम भुगतान में डिफ़ॉल्ट करता है तो इसका खामियाजा लेनदारों को भुगतना पड़ेगा.

निवेशकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि राज्य सरकार द्वारा इम्प्लॉइड गारंटी उसके म्युनिसिपल कॉपोरेशन को अपने डेब्ट ऑब्लिगेशन पर डिफ़ॉल्ट करने की अनुमति नहीं देगी. इसलिए इन्हें पर्याप्त रूप से सुरक्षित माना जाता है. यह इनकी क्रेडिट रेटिंग से भी जाना जा सकता है. जो AA है. जो कि हाईएस्ट AAA रेटिंग से बस एक पायदान नीचे है. निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा के स्तर को निर्धारित करने के लिए सभी म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) के कागजी कार्रवाई की सावधानीपूर्वक समीक्षा करनी चाहिए.

अन्य देशों में जारी किए गए म्युनिसिपल बॉन्ड के विपरीत भारत में म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) टैक्स फ्री नहीं है. हायर टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों को निवेश करते समय पोस्ट टैक्स रिटर्न को ध्यान में रखना चाहिए.

Published - September 2, 2021, 04:37 IST