Investment: बच्चे की एजुकेशन पर होने वाला खर्च औसत भारतीय परिवार का एक बड़ा खर्च है जो बहुत तेजी से बढ़ रहा है. हायर एजुकेशन की कॉस्ट 6% – 8% हर साल बढ़ रही है, इसलिए बच्चे की एजुकेशन पर होने वाले खर्च की प्लानिंग पहले से करीन जरूरी है. पहले की जनरेशन के लिए अफॉर्डेबल प्राइस पर क्वालिटी एजुकेशन पाना आसान था, क्योंकि पहले इतना कम्पटीशन नहीं था. हालांकि, आज चीजें काफी बदल गई हैं. जाने-माने गवर्नमेंट-इंस्टीट्यूशन में एडमिशन के लिए बढ़े कंपटीशन की वजह से स्टूडेंट्स डिग्री पाने के लिए महंगे प्राइवेट इंस्टीट्यूशन की ओर रुख कर रहे हैं.
आज, एक प्राइवेट इंस्टीट्यूशन में पांच साल की MBBS की डिग्री की कॉस्ट लगभग 50 लाख रुपये है और 10 सालों में, इसकी कॉस्ट 80 लाख रुपये तक पहुंचने की संभावना है, और 2037 तक (जब आपका बच्चा 18 साल का होगा), MBBS डिग्री पाने की कीमत 1.27 करोड़ रुपए होगी – कॉलेज की फीस में हर साल 6% की बढ़ोतरी देखते हुए ये आंकड़े निकाले गए हैं.
वास्तव में, पिछले कुछ सालों में यह भी देखा गया है कि लाइफ स्टाइल इन्फ्लेशन भी बच्चों की एजुकेशन की कॉस्ट को मामूली रूप से प्रभावित कर रहा है. हाई सोसायटी के बच्चों के प्रमुख कॉलेजों में जाने या विदेश में एजुकेशन प्राप्त करने की अधिक संभावना है. यदि आपका बच्चा विदेश में हायर एजुकेशन पाने का प्लान बना रहा है, तो उसकी फीस बहुत ज्यादा होगी. विदेशों में MBA की डिग्री की कीमत आज लगभग 60 लाख है और अगले 20 सालों में, इसके लगभग 1.90 करोड़ रुपए होने की संभावना है. – 6% के एनुअल इन्फ्लेशन रेट को देखते हुए.
जबकि हम सभी जानते हैं कि हमारे बच्चों की एजुकेशन के लिए कितना कॉर्पस बनाना होगा, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि; क्या हम सीमित समय में जितने की जरूरत है उतना कॉर्पस बना पाएंगे? इसका उत्तर सीधा और सरल है – हां, बशर्ते पेरेंट्स अच्छा प्लान बनाएं और सही समय पर सही कदम उठाएं. आइए हम उन चुनौतियों पर एक नजर डालें जिसका सामना पेरेंट्स अपने बच्चों की एजुकेशन के लिए सेविंग करते समय करते हैं और समझें कि उन चुनौतियों से कैसे निपटा जाए.
अपने कॉर्पस तक पहुंचने का एक यूनिवर्सल तरीका है जितनी जल्दी हो सेविंग शुरू करें. जैसे ही आपका बच्चा 2 या 3 महीने का हो जाता है, आप निवेश करना शुरू कर सकते हैं. देरी से सेविंग शुरू करने से जीतने कॉर्पस की जरूरत है उतना नहीं बन पाएगा और आपके दूसरी फाइनेंशियल लायबिलिटी पर भी इसका असर पड़ेगा.
अपने बच्चे की एजुकेशन के लिए लिए अपनी रिटायरमेंट सेविंग का इस्तेमाल करना एक जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है. ज्यादातर लोगों के लिए 5-7 सालों में एक बड़ा कॉर्पस खड़ा करना संभव नहीं है, याद रखें कंपाउंडिंग का फायदा लंबे समय में ज्यादा मिलता है. 14% – 15% रिटर्न का वादा करने वाले यूलिप प्लान में 18 साल के लिए 12,000 रुपये का मासिक निवेश करके 1 करोड़ रुपये का कॉर्पस आसानी से बनाया जा सकता है. इस फैक्ट को ध्यान में रखते हुए कि एजुकेशन की महंगाई दर बहुत ज्यादा है, एक ऐसा इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट चुनना जरूरी है जो लंबी अवधि में कंपाउंडिंग फॉर्मूले पर काम करे.
जल्दी सेविंग शुरू करने की तरह ही, ज्यादा रिटर्न पाने के लिए सही फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करना भी उतना ही जरूरी है. अक्सर, जब लोग जल्दी इन्वेस्टमेंट करना शुरू करते हैं, तो उनकी सेविंग का एक बड़ा हिस्सा ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट जैसे बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में होता है जो 5% – 5.5% के बीच सुरक्षित लेकिन लिमिटेड रिटर्न ऑफर करते हैं. इसके अलावा, ये रिटर्न टैक्स फ्री नहीं होता और यह रिटर्न जितना कॉर्पस चाहिए उसके लिए पर्याप्त नहीं है. यूलिप एंड कैपिटल गारंटीड
रिटर्न (यूलिप और गारंटीड रिटर्न प्लान का कॉम्बिनेशन) जैसे मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट ने पिछले 10 सालों में क्रमशः 12% – 15% और 10% – 12% का औसत सालाना रिटर्न दिया है. आदर्श रूप से, यदि आपके पास 15 – 18 साल निवेश करने का समय है, तो मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट में आपको निवेश करना चाहिए. वास्तव में, एजुकेशन इन्फ्लेशन के हाई रेट से लड़ने के लिए इक्विटी में निवेश करना जरूरी है. इक्विटी और ट्रेडिशनल प्रोडक्ट के बीच 75:25 का बैलेंस होना चाहिए. ये एक सेफ ऑप्शन है.
एक बार जब आप अपने इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स को सिलेक्ट कर लेते हैं, तो यह इम्पोर्टेंट है कि आप हर साल अपने पोर्टफोलियो का रिव्यू करें. आपको यह जांचना होगा कि आप जो अमाउंट हर महीने इन्वेस्ट कर रहे हैं, वो आपके बच्चे की एजुकेशन के लिए आवश्यक कॉर्पस बनाने के लिए पर्याप्त होगा या नहीं. चेक करें कि आपका पोर्टफोलियो गोल को पूरा करने के लिए ट्रैक पर है या नहीं. यदि जरूरत हो, तो सालाना अपनी सैलरी बढ़ने पर जरूरत के हिसाब से इन्वेस्टमेंट अमाउंट को बढ़ाएं.
और हर साल के अंत में अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करना याद रखें ये बहुत जरूरी है.