IT Act: क्या आपको आयकर विभाग की ओर से आईटी एक्ट की धारा 143(2) के तहत कभी नोटिस मिला है? पहले तो आप यही विचार करने लगेंगे कि ऐसे नोटिस को स्वीकार किया जाए या न किया जाए और स्वीकार कर लिया तो, जवाब देने पर कोई नुकसान न हो जाए. हम आपको यहां इस धारा से जुड़ी बारीकियों के बारे में बताने जा रहे हैं. जब आयकर विभाग को टैक्स रिटर्न में किसी तरह की कोई खामी या विसंगति नजर आती है, तो धारा 143(2) के तहत नोटिस जारी किया जाता है. यह विसंगति आमदनी को कम या फिर ज्यादा दिखाने से जुड़ी हुई हो सकती है. नोटिस के तहत कर चुकाने संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है.
-आपको, आपके ईमेल पर पीडीएफ फाइल के रूप में यह नोटिस प्राप्त हो सकता है. साथ ही पोस्टल एड्रेस पर भी इसे भेजा जाता है.
-यदि आपने किसी संबंधित वित्त वर्ष के लिए आईटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो इस धारा के अंतर्गत नोटिस नहीं भेजा जा सकता. इस स्थिति में धारा 142(1) के तहत, पहले रिटर्न दाखिल करने को कहा जाता है.
-यदि आपको धारा 143(2) के तहत नोटिस प्राप्त हुआ है तो, डिडक्शन, छूट, भुगतान या अन्य किसी क्लेम को हासिल करने के लिए आपको प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत करना होता है.
-आपको अपनी आमदनी के सभी स्रोतों के बारे में बताना आवश्यक है.
-असेसिंग अफसर को पूरी जांच करने का अधिकार होता है.
-आपने अपना आईटी रिटर्न दाखिल किया.
-असेसिंग अफसर धारा 143(2) के तहत नोटिस जारी करता है.
-आपको या आपके प्रतिनिधि को असेसिंग अफसर के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए संबंधित दस्तावेज पेश करने होते हैं.
इसके बाद, यह तय किया जाता है कि आपको और कर देना है या फिर आपको टैक्स रिफंड किया जाना है.
-आप नोटिस को खारिज नहीं कर सकते. यदि दी गई अवधि के भीतर आप जवाब नहीं देते तो धारा 272A के तहत आप पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है.
-धारा 144 के तहत, असेसमेंट अफसर अपनी जांच के आधार पर पूरे असेसमेंट को बंद कर सकता है.
-यदि आपकी कर योग्य आय बढ़ती है तो आप पर अधिक कर और जुर्माना देना होगा.
-यदि आप इस फैसले को चुनौती देना चाहते हैं तो, पहले आपको मांगे गए कर या जुर्माना का 20 फीसदी हिस्से का भुगतान करना ही होगा. इसके बाद आप आगे के प्राधिकरण में अपील कर सकते हैं.
-यदि आप दोषी पाए जाते हैं तो आपको सजा मिल सकती है.