Debt Mutual Fund: डेट आधारित म्यूचुअल फंड्स में जून के महीने में कुल नेट इनफ्लो 3,566.39 करोड़ रुपये और मई में कुल नेट आउटफ्लो 44,512.04 करोड़ रुपये रहा है. बीते दिनों इस सेगमेंट में मिलीजुली परफॉर्मेंस देखने को मिली है, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स और गिल्ट फंड में सबसे ज्यादा नेट विद्ड्रॉल देखने को मिला है. जबकि, फ्लोटर फंड्स, कम अवधि वाले फंड्स, ओवरनाइट फंड्स और लिक्विड फंड्स में अच्छा इनफ्लो देखने को मिला है.
मॉर्निंग स्टार इंडिया के मैनेजर रिसर्च एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक, “फिक्स्ड इनकम के हिसाब से देखें तो निवेशकों के लिए सुधार होता दिखाई दे रहा है, जो उन्हें क्रेडिट फंड में निवेश करने के रिस्क लेने के लिए प्रेरित करेगा. ब्याज की सीमित संभावना को देखते हुए फ्लोटर फंडों में पॉजिटिव फ्लो जारी है. 6,318.92 करोड़ रुपये नेट इनफ्लो के साथ जून में तमाम डेट आधारित कैटेगरी में ये सबसे फायदेमंद साबित हुआ है.”
निवेशकों को क्या करना चाहिए
हालांकि, डेट फंडों में नेट इनफ्लो सकारात्मक रहा है लेकिन पिछले महीने में ये कम रहा. फ्लोटिंग रेट स्पेस में नए फंड ऑफर थे, जिन्हें पिछले कुछ महीनों के दौरान लॉन्च किया गया था.
एक्सपर्ट के विचार
ऐसा इनवेस्टोग्राफी की फाउंडर और CFP श्वेता जैन का मानना है, “मेरा मानना है कि कम सावधि जमा दरें डेट फंडों के प्रवाह का कारण हैं. मैं लोगों को अभी के लिए फ्लोटिंग रेट या शॉर्ट-टर्म फंड से जुड़े रहने की सलाह दूंगा, खासकर यह आपात स्थिति के लिए पैसा है. किसी को अंडरलाइंग परिसंपत्तियों की गुणवत्ता, तरलता और फंड की अवधि को देखना चाहिए.”
तेल की बढ़ती हुई कीमतें और महंगाई को देखते हुए निवेशकों को एक्सपर्ट्स की सलाह है कि निवेशक कर्व के आखिरी सिरे पर ध्यान केंद्रित रखें, जहां कीमत जोखिम या ब्याज दर जोखिम लंबे अंत की तुलना में कम है.
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च प्रमुख जोसेफ थॉमस का मानना है, “डेट सरप्लस फंड्स के साथ-साथ लॉन्ग टर्म निवेश के लिए एक महत्वपूर्ण एसेट क्लास है. हम आने वाले महीनों में डेट में इस इनफ्लो को देखेंगे. इनफ्लो बहुत कम समय में ऊंचाइयों तक पहुंचने की संभावना है. सरकारी उधारी के चलते लॉन्ग टर्म दरों पर संभावित दबाव के कारण इनफ्लो बहुत कम वक्त या शॉर्ट टर्म फंड्स के लिए हो सकता है.”