Investment: 20 वर्ष से कम उम्र के इन्वेस्टर्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे इन्वेस्टमेंट (Investment) के लिए एक निश्चित समय नहीं दे पाते और रोज के डेवलपमेंट को फॉलो नहीं कर सकते हैं. BSE के पूर्व चेयरमैन एस रवि के मुताबिक, यह सच है कि अगर आप जल्दी इन्वेस्टमेंट (investment) करना शुरू करते हैं, तो ये आपके रिस्क उठाने की कैपेसिटी को बढ़ाता है. हालांकि, 20 साल से कम उम्र में इन्वेस्टमेंट के लिए कोई स्टेंडर्ड प्रिस्क्रिप्शन नहीं हैं. इन्वेस्टमेंट इंडीविजुअल इन्वेस्टर की स्थिति पर निर्भर करता है. लेकिन, ऐसे फंडामेंटल प्रिंसिपल हैं जिन्हें याद रखना चाहिए जैसे उधार लिए गए पैसों से निवेश नहीं करना, पेनी स्टॉक में ट्रेड नहीं करना, डायवर्सीफाइड इन्वेस्टमेंट और अच्छी तरह से रिसर्च किए गए इन्वेस्टमेंट तलाशना. यंग इन्वेस्टर्स को प्रॉमिस किए गए हाई रिटर्न के आकर्षण से दूर रहना चाहिए.
20 वर्ष और उससे कम की उम्र एक ऐसी उम्र है जहां कुछ स्टूडेंट अपने पेरेंट्स पर डिपेंड होते हैं. ऐसे में वो बड़े पैमाने पर निवेश नहीं कर सकते हैं, उनके रिस्क उठाने की क्षमता कम होती है.
माइनर इन्वेस्टर्स पर बैंक अकाउंट खोलने, पेमेंट करने आदि जैसे प्रतिबंध हैं. इसके अलावा, उनके द्वारा कमाए पैसे को माता-पिता की इनकम में भी जोड़ा जाता है.
ट्रेडिंग एग्रीमेंट की वैलिडिटी भी माइनर इन्वेस्टर्स के लिए चिंता का विषय है. युवा निवेशकों को इस तरह की एक्टिविटी के बारे में अपने माता-पिता को इन्फॉर्म करना चाहिए.
1) 20 साल से कम उम्र के निवेशकों को एक्टिव ट्रेड के पहले डमी ट्रेडिंग के जरिए अपनी स्किल्स को जांचना चाहिए. ऐसे निवेशक जिनका इंटरेस्ट लंबा है, उन्हें इक्विटी रिसर्च में खुद को एजुकेट करना चाहिए और प्रैक्टिकल ट्रेडिंग करके भी देखना चाहिए.
2) किसी भी नए निवेशक को छोटी शुरुआत करनी चाहिए ताकि ट्रेडिंग ऑर्डर, सेटलमेंट, DP अकाउंट जैसी बारीकियों को समझ सके और शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव को भी करीब से देख सके.
3) 20 से कम उम्र के इन्वेस्टर्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वो इन्वेस्टमेंट के लिए एक निश्चित समय नहीं दे पाते और रोज के डेवलपमेंट को फॉलो नहीं नहीं कर सकते हैं. जो लोग दूसरी एक्टिविटीज में बिजी हैं उन्हें मीडियम से लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहिए.
4) युवा निवेशकों को इकोनॉमी, सेक्टर, कंपनियों और मार्केट को समझने का मौका मिलेगा. एक युवा निवेशक ट्रेड की ट्रिक्स और निवेश की कला सीख सकता है. वास्तव में, वो फंड मैनेजमेंट को अपने करियर के रूप में भी देख सकते हैं. युवा निवेशक अपने पर्सनल फाइनेंस को बेहतर ढंग से मैनेज करना सीखेंगे और पैसा खर्च करने के तरीके के प्रति जागरूक होंगे.
5) 20 साल से कम उम्र के निवेशकों को अपने निवेश का चुनाव करने में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि वो अभी सीखने के फेज में हैं. कम उम्र में निवेश से सीखे गए सबक उन्हें फाइनेंस मैनेजमेंट के प्रति अधिक जिम्मेदार बनने में मदद करेंगे.
(डिस्क्लेमर: लेखक BSE के पूर्व चेयरमैन हैं. उनके व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)
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