इस हफ्ते की शुरुआत में सोने की कीमतें पिछले चार महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. सोने की कीमत 46,000-46,500 रुपये के आसपास घूमती रही, जो कि पूरे हफ्ते को देखें तो अपने ऑलटाइम हाई से करीब 10,000 रुपये कम रही. मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि इस गिरावट की वजह बेहतर अमेरिकी रोजगार डेटा (US employment data) और मजबूत अमेरिकी डॉलर (US dollar) रहा. कैश कीमतों (Spot gold prices) में भी इस महीने में अब तक करीब 2,100 रुपये की गिरावट आई है.
हालांकि, अफगानिस्तान में राजनीतिक संकट और विश्व स्तर पर कोविड -19 डेल्टा वैरिएंट के चलते हाल ही में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. आने वाले समय में भारत में त्योहार और शादियों के सीजन की वजह से कीमतों में मजबूती आने की संभावना है.
“हमने देखा है कि पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमतों में फिर से तेजी आई है. राजनीतिक उठापटक सोने की इन बढ़ी हुई कीमतों की एक मुख्य वजह है. भारत में त्योहार और शादियों का सीजन भी सोने की बढ़ती कीमतों की एक खास वजह मानी जा रही है. निवेशकों को फिलहाल सोना खरीदना चाहिए क्योंकि कीमतें निचले स्तर पर चल रही हैं. आईआईएफएल (IIFL) में कमोडिटी एंड करेंसी ट्रेड (Commodity & Currency Trade) के वीपी अनुज गुप्ता ने कहा, हम उम्मीद कर रहे हैं कि साल के आखिर तक सोने की कीमतें 50,000 से 52,000 रुपये तक जा सकती हैं.
क्या इस एसेट में निवेश करने का ये सही समय है?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अप्रैल-जून तिमाही के दौरान देश में सोने की मांग 19.2% बढ़कर 76.1 टन हो गई, जिसका मुख्य कारण लो बेस इफेक्ट माना जा रहा है. मूल्य की बात करें तो, भारत की सोने की मांग अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 23% बढ़कर 32,810 करोड़ रुपये रही. वैल्यू के लिहाज से इस तिमाही के दौरान सोने में निवेश की मांग 10 फीसदी बढ़कर 9,060 करोड़ रुपये हो गई है.
रिलायंस सिक्योरिटीज (Reliance Securities) के सीनियर रीसर्च एनालिस्ट श्रीराम अय्यर कहते हैं, “अमेरिकी डॉलर थोड़े समय के लिए स्थिर बना रह सकता है क्योंकि निवेशक बढ़ते कोविड -19 डेल्टा वैरिएंट संक्रमण के बीच सुरक्षित निवेश के लिए डॉलर पर दांव लगाएंगे. इसलिए, हमें जल्द ही इसमें अधिक गिरावट देखने को मिल सकती है.”
जो लोग सोने में निवेश करने की योजना बना रहे हैं उनके लिए उन्होंने सुझाव दिया, “लंबे समय में लगता है कि सोना एक बार फिर छलांग लगाएगा. लंबे समय में रिटर्न पाने वाले निवेशक मौजूदा वक्त में निवेश कर सकते हैं और खरीदारी जारी रख सकते हैं.”
HDFC सिक्योरिटीज (HDFC Securities) के सीनियर एनालिस्ट, तपन पटेल का मानना है कि निराश करने वाले आर्थिक आंकड़े और तेजी से फैल रहे डेल्टा वैरिएंट के बीच भी सोने की कीमतों में दिन के निचले स्तर होने के बावजूद गिरावट देखी जा रही है. यूएस बॉन्ड यील्ड (US bond yields) में गिरावट ने बुलियन रैली को सपोर्ट दिया जो एक दिन के लिए 1.23% तक गिर गया था.
“हमें उम्मीद है कि सोने की कीमतें COMEX स्पॉट गोल्ड रजिस्टेंस के साथ $ 1,810 पर और सपोर्ट में $ 1,770 प्रति औंस के साथ रह सकती हैं. MCX गोल्ड अक्टूबर सपोर्ट 47,200 रुपये और रजिस्टेंस 47,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहा.
हॉलमार्क की मुश्किलें
विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि सोने के लिए भारत के नए शुद्धता मानकों की वजह से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कंज्यूमर की सप्लाई के लिए मुश्किलें पैदा हो लकती हैं, क्योंकि अब मांग में सुधार की उम्मीद है.
अगले महीने से शुरू होने वाले त्योहार के सीजन के दौरान ज्वैलर्स को ऑर्डर पूरा करने में मुश्किल हो सकती है, क्योंकि उन्हें देश के नए हॉलमार्किंग मानकों के तहत अपने सामान को प्रमाणित कराने में देरी का सामना करना पड़ रहा है. नए नियम जून में लागू किए गए थे और सितंबर से गैर-प्रमाणित सामान बेचने पर ज्वैलर्स पर जुर्माना लगाया जाएगा.
अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद (All India Gem and Jewellery Domestic Council) के अध्यक्ष, आशीष पेठे ने इस मुद्दे पर मीडिया के सामने अपनी बात रखी और कहा कि चुनौती ये है कि देश में पर्याप्त प्रमाणन केंद्र नहीं हैं. त्योहारों के मौसम शुरू होने से पहले नियमों पर खरा उतरने की हड़बड़ी की वजह से इस प्रक्रिया में कुछ घंटों से तीन दिन तक का समय लग रहा है.
आपूर्ति में रुकावट से बिक्री में शुरुआती सुधार पर असर पड़ सकता है. भारत के तेजी से बढ़ते शेयर बाजार में मांग बढ़ना भी तय है क्योंकि खरीदार आमतौर पर त्योहारी सीजन के दौरान अपने पैसे को सोने में निवेश करते हैं.