Investment: इंसान अक्सर भावुकता के चलते अपने सोचने समझने की क्षमता खो देते हैं. इमोशन अक्सर हमें सही निर्णय लेने से रोक देते हैं. लेकिन पैसों के मामले में इमोशनल होने से बात काफी बिगड़ सकती है. यदि निवेश (Investment) करते समय हम अपनी भावनाओं को कंट्रोल में नहीं रख पाते हैंं, तो काफी गड़बड़ हो सकती है. इंसान होने के नाते अपने इमोशन दिखाना कई मौकों पर सही हो सकता है, लेकिन निवेश के मामले में यह ठीक नहीं है. पैसे और निवेश के बारे में सही होने और भावुक होने के बीच के सूक्ष्म अंतर के बारे में हमेशा जागरूक रहना चाहिए.
“पैसे के बारे में भावुक होना शुरू करने का सही तरीका नहीं है. यह आपको ऐसे निर्णय लेने के लिए मजबूर कर सकता है जो आपके पोर्टफोलियो के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
फिनोलॉजी वेंचर्स के CEO प्रांजल कामरा और एक YouTuber ने Money9 को बताया, “पैसे और निवेश के बारे में सही होने और भावुक होने के बीच के सूक्ष्म अंतर के बारे में हमेशा जागरूक रहना चाहिए.”
इस तरह के इमोशन से बचने के लिए लक्ष्य-आधारित निवेश करना चाहिए. आपके बच्चे की उच्च शिक्षा, शादी, रिटायरमेंट, रहने के लिए एक अच्छा घर आपके जीवन के मेजर फाइनेंशियल गोल हैं. लेकिन इन सबसे इमोशनल फीलिंग जुड़ी हुई है.
जब आप इस तरह के लक्ष्यों के लिए निवेश करते हैं, तो आपसे सही तरीके से सही निवेश करने की अपेक्षा की जाती है. स्मार्ट निवेश के रास्ते में भावनाएं नहीं आनी चाहिए.
StableInvestor.com के फाउंडर देव आशीष ने कहा “लक्ष्य-आधारित निवेश आपको ट्रैक पर बने रहने में मदद करता है.
ऐसे निवेशक जो बेतरतीब ढंग से/भावनात्मक रूप से निवेश करते हैं और जिनके पास लक्ष्य-आधारित निवेश नहीं है, उन्हें मार्केट की वोलैटिलिटी को झेलना मुश्किल होता है और वोलैटिलिटी मार्केट का सबसे कॉमन ट्रेट है.
मेरा मानना है कि लक्ष्य-आधारित निवेश से आपके वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है. और आप टैक्स सेविंग भी करते हैं”
अगर आपकी 5 साल की बेटी है और आप उसकी उच्च शिक्षा के लिए निवेश कर रहे हैं, जो कि 13 साल बाद का लक्ष्य है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मार्केट निकट भविष्य में क्या कर रहा है.
यदि आप केवल इंडेक्स को बीट करने के लिए निवेश कर रहे हैं, तो ये लेवल महत्वपूर्ण हैं. लेकिन अगर आप अपने वास्तविक जीवन के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए पैसे का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको केवल रिटर्न का पीछा करने के बजाय उन लक्ष्यों को पाने के लिए निवेश के बारे में सोचना होगा.
आपको अपने पैसे के बारे में स्मार्ट, पेशेंट और निश्चित रूप से इमोशनल नहीं होना चाहिए.
भावनात्मक आवेग अक्सर निवेशकों के लिए मार्केट वोलैटिलिटी को सहन करना मुश्किल बना देता है. इसका मतलब है कि एक बुल मार्केट के चलते हर तरह के निवेश में अत्यधिक वृद्धि होगी जैसे स्टॉक या अन्य ट्रेंडिंग एसेट.
दूसरी ओर, बियर मार्केट की वजह से अचानक बिकवाली हो सकती है. इसका परिणाम यह होगा कि आप सचमुच वर्तमान या भविष्य में कहीं भी खड़े नहीं होंगे. निवेशक मार्केट की मूवमेंट की तरह परिवर्तनशील बने रहने का जोखिम नहीं उठा सकते.
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज के रिसर्च डायरेक्टर अविनाश गोरक्षकर के अनुसार, “जब कोई भी जल्दी निवेश करना शुरू करता है, तो उसको अपने इमोशन पर कंट्रोल होना चाहिए और अपने इन्वेस्टमेंट डिसीजन पर फोकस करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें शॉर्ट टर्म प्राइज वोलैटिलिटी के बारे में परेशान हुए बिना अपने पैसे को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
वोलैटिलिटी जो वैसे भी एवरेज हो जाती है यदि आपकी पसंद के इक्विटी निवेश में मजबूत प्रमोटरों द्वारा समर्थित लंबी अवधि की अच्छी संभावनाएं हैं.”
सही स्टॉक चुनकर आप जहां आप अपने रिस्क को कम करते हैं वहीं अपने पैसे को बढ़ता हुआ देखते हैं. हालांकि आपका फोकस केलकुलेटिव और लॉजिकल होना चाहिए. कोई भी डिसीजन जल्दबाजी, चिंता या गुस्से में न करें.
हमेशा अपने दूर के लक्ष्य के बारे में सोचें और विचार करें कि क्या आपका अगला कदम इसमें कुछ जोड़ेगा. यदि नहीं, तो वो कदम न उठाएं, भले ही आज वो आकर्षक लग रहा हो.