ज्यादातर निवेशक निवेश के क्षेत्र में बिल्कुल नए होते हैं. किसी भी इंडस्ट्री की अच्छाइयों और बुराइयों के बारे में वह पूरी तरह से अनजान होते हैं. अगर वह फाइनेंशियल ईयर के अंत में अपने इन्वेस्टमेंट (Investment) पर आये रिटर्न को नेगेटिव पाते हैं तो उन्हें बहुत निराशा भी होती है और वह उसे अपनी हार मान लेते है, जिससे उनका इन्वेस्टमेंट (Investment) को लेकर उत्साह भी खत्म हो जाता है. हालांकि वे कभी इस बात को समझने की कोशिश नहीं करते कि उनके द्वारा किया गया निवेश क्या वास्तव में एक अच्छा निवेश (Investment) था या उन्होंने बिना किसी रिसर्च के जल्दबाजी में किसी के कहने पर निवेश कर दिया था. हम सब में अनुमान लगाने की क्षमता होती है, लेकिन जल्दबाज़ी में या पलभर में हम गलतियां कर बैठते हैं.
इसके बावजूद अगर समय और धैर्य दिया जाए तो इन गलतियों को आसानी से ठीक किया जा सकता है. क्योंकि गलतियां हर कोई करता है ये मानव जीवन का हिस्सा है, लेकिन उन्हें हल करना हर व्यक्ति को एक महान व्यक्तित्व बनाता है. साथ ही लगातार प्रयासों के द्वारा इन गलतियों पर अंकुश भी लगाया जा सकता है. हालांकि मनोवैज्ञानिक अध्ययन सुझाव देते हैं कि कभी-कभी मनुष्यों को आगे बढ़ने और सफल होने के लिए एक धक्के की जरूरत होती है.
माता-पिता हमेशा अपने बच्चों की देखभाल करने का प्रयास करते हैं. क्योंकि बच्चे लगातार गलतियां करते रहते हैं. इस प्रक्रिया में वे अपने बच्चों को खतरे से दूर रखने के लिए विचारों में सुधार करते हैं. उदाहरण के लिए मान लें कि भूखे बच्चों के लिए मेज पर चॉकलेट और फल रखे गए हैं. अब चाहे कोई भी बच्चा हो वह हमेशा चॉकलेट का चुनाव करेगा भले ही उसे भूख नहीं है, लेकिन अगर एक पल के लिए चॉकलेट को छुपा दिया जाए तो बच्चा टेबल पर रखे फल का सेवन ही करेगा क्योंकि उसे भूख लगी होगी, लेकिन बाद में ये तकनीक उनके बच्चे के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी.
वहीं माता पिता अपने बच्चो की बुरी आदतों पर अंकुश लगाने में सफल होंगे. इसी प्रकार निवेशक भी अपने इमोशंस को कंट्रोल करने के लिए इसी प्रकार की कुछ और तकनीक का इस्तेमाल कर सकते है. जिससे उनके फायदे में रहने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी. आइये समझते हैं इस तकनीक को जिससे एक इनवेस्टर के रूप में आप अपने इमोशंस को कंट्रोल करके मुनाफा कमा सकें.
मानव मन हमेशा रिवार्ड्स के लिए तरसता है, जो और कुछ नहीं बल्कि निवेशित किये गए समय और प्रयासों पर रिटर्न है. हर कोई जानता है की सेविंग्स करना भविष्य के लिए अच्छा होता है, लेकिन सेविंग्स की आदत डालना थोड़ा मुश्किल काम होता है. हालांकि अगर आप इस कार्य के लिए खुद को रिवार्ड्स देना शुरू कर दें तो ये कठिन काम भी आसान हो जाता है.
सेविंग्स की आदत बनाने के लिए आपको हर बार सेविंग्स करने के बाद खुद को रिवार्ड्स देना है जिससे आपका मन ख़ुद-ब-ख़ुद सेविंग्स करने के लिए आपको प्रोत्साहित करेगा. इससे आप आसानी से सेविंग की इस हैबिट को डेवलप कर सकते हैं. इस प्रकार निवेशक और सलाहकार समान रूप से परिवार के सदस्यों और निवेशकों को प्रेरित करने के लिए रिवार्ड्स दे सकते हैं.
कोई भी निवेशक 10 हजार SIP की तुलना में 5 हजार की SIP के अंतर को नहीं समझता है. निवेशकों के लिए यह सिर्फ एक और अतिरिक्त 5 हजार रुपये प्रति माह या 6 हजार प्रति वर्ष नज़र आता, लेकिन ध्यान देकर सोचिए क्या यह वास्तव में सिर्फ 5000/60000 प्रति माह या साल हैं इनका भविष्य की आप की सेविंग्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
फिर से सोचें क्योंकि वास्तव में अगर 3 साल बाद 5 हजार प्रति माह का SIP आपको छुट्टियों के लिए मनाली ले जा सकता है, जबकि एक ही समय में 10 हजार प्रति माह का SIP आपको छुट्टियों के लिए यूरोप ले सकता है. निवेश की गई राशि आपको छोटे समय में कोई अंतर न दिखाए, लेकिन लंबे समय में इस छोटी राशि का भी बड़ा प्रभाव होता है.
यदि कुछ डिफ़ॉल्ट रूप से होता है तो इसका मतलब होता है सामने वाले ने इसके लिए दूसरा कोई प्रयास नहीं किया. हर व्यक्ति डिफ़ॉल्ट पसंद करता है, क्योंकि यह उन्हें पसंद के तनाव से बचाता है. जब भी हम कोई फ़ोन खरीदते हैं, तो वह हमें सेटिंग्स चुनने के लिए कहता है, लेकिन हम पलक झपकते ही डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स चुनते हैं. और बाद में जब आवश्यकता होती है तो हम कस्टमरी सेटिंग्स को खोजने का प्रयास करते हैं.
इसी प्रकार से जब भी हम सेविंग्स की बात करते हैं तो सबसे पहले डिफ़ॉल्ट रूप से एक ही बात दिमाग में आती है एफडी, जब भी टर्म इंश्योरेंस की बात की जाती है तो हम एंडोमेंट प्लान तक ही सीमित रह जाते है और बात जब टैक्स सेविंग्स की होती है तब हम एलआईसी प्रीमियम के लिए दौड़ते हैं.
किसी भी इंसान की सबसे आम विशेषताओं में से एक है की वह चीजों को भूल जाता है . उदाहरण के लिए अपनी कार या घर की चाबी भूल जाना. ऐसे ही निवेश में हुए घाटे को भी लोग समय के साथ भूल जाते हैं, लेकिन अगर इस बात को समझा जाए की ये घाटा किन कारणों से हुआ था तो भविष्य में इसके परिणाम पॉजिटिव भी हो सकते हैं. आप अपनी की गई गलतियों से बहुत कुछ सीख भी सकते हैं.
जैसे की कुछ आम गलतियां जो हर कोई कभी न कभी करता है समय पर पर्याप्त बैलेंस न होने के कारण ईसीएस बाउंसिंग शुल्क देना या रिडेम्पशन पर अनावश्यक निकास भार का भुगतान करना या पीपीएफ अकाउंट में न्यूनतम राशि जमा करना भूल जाना. इस प्रकार की गलतियों से सीख कर उन्हें ठीक किया जा सकता है. इसके लिए आप मोबाइल फ़ोन में रिमाइंडर का इस्तमाल भी कर सकते हैं जैसे कार शुरू करने से पहले सीट बेल्ट चेतावनी आपको इसे पहनने में मदद करती है.
जब भी निवेश की बात आती है आपके दिमाग में म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, टैक्स सेविंग स्कीम, सरकारी बॉन्ड, जीवन बीमा योजनाएं जैसे विकल्प आने लगते है. जो इनवेस्टमेंट को बहुत मुश्किल बना देता है, लेकिन इसको इस बात से समझा जा सकता है जैसे की जब हमें कोई कार खरीदनी होती है तो हम उस कार का चयन करते हैं जो आपकी जरूरतों को सूट करती है.
जैसे कि अगर परिवार बड़ा है, आप एक एसयूवी खरीदना चाहते हैं या अगर आप सिटी में ज्यादा चलना चाहते हैं तो आप एक हैचबैक खरीदने की सोच सकते हैं. इसी तरह जब निवेश की बात आती है तो आपको पता होना चाहिए कि निवेश के पीछे का आपका अंतिम लक्ष्य क्या है और फिर इसमें निवेश करने के उपयुक्त साधन कौन-कौन से हैं. अपनी जरूरतों को समझकर जटिलताओं को डिकोड करना है और उसके बाद ही कहीं निवेश करना है वरना इसके खराब परिणाम भी हो सकते हैं.
इक्कीसवीं सदी में लोग फ़ास्ट रिस्पांस में विश्वास रखते हैं. चाहे वह फ़ूड हो, सामान की डिलीवरी हो, या कस्टमर के द्वारा की गई शिकायत ही क्यों न हो. जीवन के हर पहलु में तेज को प्राथमिकता दी जाती है. निवेश फ़ास्ट, आसान और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो सकता है, हालांकि इसके परिणाम में समय लगता है और यही समय हर इनवेस्टर को इंपेशनस करता है और अन्य निवेश की तलाश करने के लिए मजबूर करता है.
हालांकि अगर इन निवेशकों को उनके निवेश की लगातार प्रतिक्रिया का अपडेट दिया जाता रहे तो वे लंबे समय तक रह सकते हैं चाहे परिणाम कितने भी धीमे क्यों न आ रहे हों. ये वो बातें हैं जो निवेशक या सलाहकारों के लिए समान रूप से आवश्यक है. भले ही देखने में ये बातें छोटी लगती हों लेकिन एक बार लागू करने के बाद असंभव को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली साबित हो सकती हैं.