Tax2win.in के को-फाउंडर और सीईओ अभिषेक सोनी के मुताबिक “जो निवेशक कम से कम रिस्क के साथ टैक्स की बचत करना चाहते हैं तो उनके लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश (Investment) सबसे पसंदीदा विकल्प होता है. जब बैंक ने ब्याज की दर 5 से 5.5 फीसदी की है, तब से फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) फायदे का सौदा नहीं रह गया है और साथ ही ये टीडीएस (TDS) टैक्स के दायरे में भी आता है. “ज्यादा टैक्स स्लैब के दायरे में आने वालों के लिए, प्रभावी पोस्ट-टैक्स रिटर्न 3.5% -4% की लिमिट में में हो सकता है. यह पांच साल की अवधि के लिए लॉक इन होगा. ”
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बचाने वाली फिक्स्ड डिपोजिट पांरपरिक तौर पर कम रिटर्न देने वाला विकल्प हैं. ऐसी एफडी का लॉक-इन पीरियड कम से कम पांच साल का होता है.
आरएसएम इंडिया के फाउंडर सुरेश सुराणा ने बताया कि “इन एफडी के जरिए कमाया जाने वाला रिटर्न पूरी तरह कर योग्य होता है, जिसे अन्य सोर्स से कमाई में माना जाता है. हालांकि, सीनियर सिटिजन के मामले में, आयकर एक्ट की धारा 80TTB के तहत 50,000 रुपए तक के FD ब्याज पर छूट प्रदान की जाती है.” एफडी ब्याज पर टैक्स, सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले रिटर्न को और कम कर देता है.
फिंटो के फाउंडर मनीष हिंगर के मुताबिक “विशेषज्ञों के मुताबिक, पारंपरिक सोच रखने वाले निवेशक मानते हैं कि टैक्स बचाने के लिए फिक्स्ड डिपोजिट सबसे ज्यादा सुरक्षित विकल्प है. लेकिन वो इस तथ्य से परिचित नहीं है कि अगर कोई बैंक डिफॉल्ट कर जाता है या बंद हो जाता है तो उन्हें केवल अधिकतम पांच लाख रुपए मिलेंगे, चाहें उनकी राशि उससे कितनी ही ज्यादा हो. ब्याज की दरों को देखें, तो ये महंगाई की दर से भी कम है, और मैच्योरिटी पर ये कर योग्य भी है. इसलिए मैं सलाह दूंगा कि अब टैक्स बचाने के नाम पर फिक्स्ड डिपोजिट नहीं करना चाहिए.”
आगे, टैक्स बचाने के लिए एफडी में निवेश का फैसला अक्सर लोग आखिरी मिनट में लेते हैं. कोई हैरानी की बात नहीं है कि दुनिया में फरवरी मार्च का महीना टैक्स सेविंग महीने के तौर पर जाना जाता है. इसका एक बड़ा कारण दूसरे निवेश के विकल्पों की जानकारी नहीं होना भी है.
क्वांटम एएमसी के कस्टमर इंटरेक्शन वाइस प्रेसिडेंट संदीप भोंसले के मुताबिक “निवेश करने से पहले लोगों को दूसरे विकल्पों के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए लेकिन गिरती ब्याज दर के बावजूद एफडी चुन रहे हैं. बैंक एफडी पर ब्याज का ऑफर देते हैं. सभी बैंकों की एक साथ पहुंच और एफडी को लेकर निवेशकों की पारंपरिक सोच के चलते ही सबसे ज्यादा टैक्स बचाने के लिए एफडी लेने का फैसला करते हैं.”
इसके अलावा भी कई विकल्प मौजूद होते हैं, जो टैक्स बचाने के साथ साथ बेहतर रिटर्न का वादा करते हैं. ये एफडी की तुलना में ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं. ये इसलिए भी संभव है कि सेक्शन 80 सी के अंतर्गत आप 1.5 लाख रुपए तक का निवेश कर, अपने टैक्स को बचा सकते हैं. ऐसी स्कीम पूंजी की सुरक्षा के साथ साथ आपको बेहतर रिटर्न देने का वादा भी करती हैं.
एसएजी इंफोटेक के एमडी अमित गुप्ता के मुताबिक “एफडी में निवेश कराने के पीछे एक सबसे बड़ा कारण ये भी है कि इसे आसानी से बैंक के ऐप के जरिए 5 से 10 मिनट के अंदर अंदाज दिया जा सकता है. एफडी में निवेश से सेक्शन 80सी के तहत आपको टैक्स में छूट भी मिलती है. इसके अलावा इसको पसंद किए जाने का एक और कारण है कि इसमें पांच साल का लॉक इन पीरियड मिलता है और साथ ही पीरियोडिक ब्याज का भुगतान करने का विकल्प मिलता है.”
वित्तीय सलाहकारों के मुताबिक आपका लाभ के आधार पर पोर्टफोलियो में लॉन्ग टर्म आवंटन नहीं होना चाहिए. टैक्स की रणनीतियां आपकी लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी को प्रभावित और बदल सकती हैं. क्योंकि अब लाभ अगले कुछ सालों तक एक निश्चित स्तर से नीचे नहीं जाएगा.
भोंसले ने बताया “दरअसल सवाल ये नहीं है कि एफडी टैक्स बचाने के लिए एक बेहतर विकल्प है या नहीं. लेकिन निवेशकों को ये सोचना चाहिए कि क्या ये मेरे पोर्टफोलियो के हिसाब से फिट बैठती है. निवेश के विकल्प न सिर्फ आपका टैक्स बचाते हैं, बल्कि पैसों की बचत भी करते हैं. लेकिन जब आप लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी के तहत निवेश करते हैं, तो टैक्स बचाने के लिए आपको जो लाभ मिलता है वह एक बाई प्रोडक्ट है.”
माय मनी मैनेजमेंट के फाउंडर रवि राजपाल के मुताबिक “सभी स्ट्रक्चर्ड और रेगुलेटिड निवेश के विकल्प तभी तक अच्छे हैं जब तक यह आपकी जोखिम लेने की क्षमता और फाइनेंशियल गोल में फिट बैठते हैं. टैक्स बचाने वाली एफडी कराना उन लोगों के लिए एक फायदे का सौदा है जो रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.इसमें पूंजी की भी पूरी सुरक्षा रहती है.”
प्रोविडेंट फंड में निवेश, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में निवेश, इक्विटी लिंक्ड सेविंग आधारित स्कीम आदि भी टैक्स बचाने के साथ साथ निवेश के अच्छे विकल्प हैं. पीएफ, एनएससी जैसे विकल्प पूंजी की सुरक्षा के साथ साथ आपको अच्छा रिटर्न देने की गारंटी भी देते हैं.
हिंगर की सलाह मुताबिक “मैं आपको टैक्स बचाने के लिए इक्विटी लिंक स्कीम में निवेश करने की सलाह दूंगा क्योंकि इसका लॉक इन पीरियड सिर्फ 3 सालों का होता है. इसके साथ ही वो लॉन्ग टर्म के लिए पूंजी पैदा करने का अतिरिक्त फायदा भी देती है. आप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स में भी अपना पैसा निवेश कर सकते हैं, जिसका लॉक-इन पीरियड पांच सालों का होता है. ये दोनों निवेश के विकल्प मार्केट से लिंक्ड होते हैं और लॉन्ग टर्म में महंगाई पर इक्कीस साबित होते हैं. ”
हालाँकि, हर निवेशक के हिसाब से निवेश के अलग अलग विकल्प मौजूद होते हैं. कोई निवेश का विकल्प किसी एक के लिए बेहतर हो सकता है लेकिन दूसरे के लिए नहीं. पूंजी को सुरक्षित बनाए रखने के लिए एफडी निवेश में एक अच्छा विकल्प है.
भोंसले ने बताया कि “निवेशकों के लिए निवेश विश्वास, सुरक्षा, रिटर्न, लिक्विडिटी और साथ ही साथ लेन-देन के आसान तरीकों का एक मिला जुला कॉम्बिनेशन होता है. निवेश के हर विकल्प में बढ़िया रिटर्न तो नहीं हासिल हो सकता है. लेकिन लॉन्ग टर्म निवेश के हिसाब से ईएलएसएस फंड्स, एनएससी, पीपीएफ, एनपीएस-नेशनल पेंशन स्कीम एक अच्छा विकल्प हैं. ईएलएसएस में निवेश करना आसान है और लागू लॉक-इन पीरियड के बाद ट्रैक में पर्याप्त लिक्विडिटी रहती है”.