पत्नी या बच्चों के नाम पर निवेश से पहले जान लें इनकम क्लबिंग का मतलब

Income Clubbing: आप अपनी पत्नी या बच्चों के नाम पर निवेश करते हैं और उस पर आमदनी प्राप्त होती है, तो इसे आपकी आमदनी मानी जाएगी

Income Clubbing:

इनकम क्लबिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी करदाता अपनी आमदनी को अपने परिवार के सदस्य के बीच बांटकर करदेयताओं से बच न पाए.

इनकम क्लबिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी करदाता अपनी आमदनी को अपने परिवार के सदस्य के बीच बांटकर करदेयताओं से बच न पाए.

Income Clubbing: यदि आप अपने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए निवेश करते हैं तो यह बहुत अच्छी बात है. साथ ही, आप अपनी पत्नी या बच्चों के नाम पर निवेश कर रहे हैं, तो यह और भी बेहतर है. निवेश से हुई आमदनी पर टैक्स देना होता है. जब आप अपनी पत्नी या बच्चों के नाम पर निवेश करते हैं और उस पर आमदनी प्राप्त होती है, तो इसे आपकी संयुक्त आमदनी मानी जाएगी. इसे इनकम क्लबिंग (Income Clubbing) कहते हैं. साथ ही, ऐसे निवेशों के जरिए आप कर राहतें भी प्राप्त कर सकते हैं.

क्या है इनकम क्लबिंग

इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी करदाता अपनी आमदनी को अपने परिवार के सदस्य के बीच बांटकर करदेयताओं से बच न पाए.

कर विभाग कुछ विशेष शर्तों के तहत परिवार के सदस्यों की आय को संयुक्त कर सकता हैं और इस पर टैक्स लगा सकता है. इनकम क्लबिंग में सभी के तरह के निवेशों, जिसमें रियल एस्टेट, एफडी, शेयर, म्यूचुअल फंड आदि शामिल होते हैं.

आयकर कानून 1961 की धारा 60 से 64 के तहत क्लबिंग की जाती है.

नाबालिग बच्चा

– यदि आपने नाबालिग बच्चे के नाम पर एफडी किया है और इस पर आपको रिटर्न यानि आमदनी प्राप्त हो रही है तो इसे पालक की आमदनी में जोड़ा जाता है, और उसी हिसाब से टैक्स लगाया जाता है. तलाकशुदा पालक के मामले में, जिसने बच्चे की जिम्मेदारी ली है, उसकी आमदनी पर टैक्स लगाया जाता है.

-इस स्थिति में आपको प्रत्येक बच्चे पर किए गए निवेश से 1,500 रुपए का टैक्स डिडक्शन भी प्राप्त होता है.

SAG Infotech के एमडी अमित गुप्ता बताते हैं, “छोटे निवेशकों के लिए टैक्स की क्लबिंग अच्छा विकल्प होता है, क्योंकि इसके जरिए वे कर राहत भी प्राप्त कर सकते हैं.

यदि पालक ने बच्चे के नाम पर इक्विटी म्यूचुअल फंड लिया है तो 12 महीनों के बाद वह कैपिटल गेन टैक्स छूट प्राप्त करने का हकदार हो जाता है. डेट फंडों के मामले में यह अवधि तीन साल की होती है.”

-यदि दिव्यांग बच्चे ने अपनी योग्यता से पैसा कमाया है तो उसे कर राहतें प्राप्त होती हैं.

पत्नी

RSM India के फाउंडर सुरेश खुराना बताते हैं, “यदि किसी ने अपनी पत्नी के नाम पर म्यूचुअल फंड लिया है तो उस पर हुई आमदनी को पति की आमदनी से जोड़ा जाता है और उस पर धारा 64(4) के तहत टैक्स लागू होता है.

यह जानना भी जरूरी है कि यदि पति ने अपनी पत्नी को निवेश के लिए कैश गिफ्ट किया है तो इसकी क्लबिंग होगी.”

बालिग बच्चा

यदि बालिग बच्चे के नाम पर निवेश किया गया है तो उस पर प्राप्त हुई आमदनी को बच्चे की आमदनी ही मानी जाएगी और इस स्थिति में बालिग बच्चे को ही टैक्स देना होगा.

Published - September 17, 2021, 02:40 IST