बहुत से लोग रिटायरमेंट के बाद खुद को एक चुनौतीपूर्ण फाइनेंशियल कंडीशन में पाते हैं. क्योंकि उनके रिटायरमेंट के बाद की इनकम और खर्च मेल नहीं खाते हैं. ऐसे में यदि उनके द्वारा किये गए निवेश से उन्हें उस तरह की इनकम प्राप्त नहीं होती है, जो उन्हें रिटायरमेंट के बाद आराम से रहने के लिए चाहिए, तो उनके पास जमा रिटायरमेंट कोष ख़त्म हो सकता है. इसी के साथ ही रिटायरमेंट के बाद, परिवार में अचानक बीमारी, बढ़ती इन्फ्लेशन रेट और इक्विटी बाजारों में तेजी से गिरावट इस प्रकार की कई समस्याएं आपकी फाइनेंशियल कंडीशन को बिगाड़ सकती हैं. हालांकि, रिटायर होने से पहले पूरी रणनीति बनाकर आप इन जोखिमों को कम कर सकते हैं. जो लोग रिटायरमेंट के करीब हैं, उन्हें अपने सुनहरे वर्षों को चिंता मुक्त बनाने के लिए इन चीजों पर अभी से ध्यान देना चाहिए.
रिटायरमेंट के बाद लगभग हर किसी की इनकम उसकी रेगुलर इनकम से कम हो जाती है. दूसरी ओर अधिकांश लोगों को इन्फ्लेशन के साथ-साथ अप्रत्याशित परिस्थितियों जैसे कि मेडिकल इमरजेंसी या अचानक पारिवारिक संकट से भी लड़ना पड़ सकता है. ऐसे में बहुत से लोग इस प्रकार के खतरों के लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं बनाते है और अंत में असफल हो जाते हैं.
इसके अलावा, जब इमरजेंसी प्लानिंग को बनाने की बात आती है, तो कई लोगों के पास एक ही सेटअप होता है. लेकिन कितने लोगों के पास ऐसी योजना है, जो उनकी जरूरतों से मेल खाती है? आपके मेडिकल खर्च में वृद्धि आपके अपने रिटायरमेंट अकाउंट में जमा पैसों को खत्म कर सकती है. इसलिए यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि इसे कैसे प्लान किया जाए.
इस समस्या से निजात पाने के लिए एक पैसिव इनकम स्ट्रीम बनाना एक बेहतर विकल्प होता है. यदि आपके पास अब वेतन देने वाली नौकरी नहीं है तो आप डिविडेंड प्राप्त करके अपने निवेश को निष्क्रिय आय में बदल सकते हैं या आप हर साल अपने निवेश पर लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
डायवर्सिफिकेशन एक सदियों पुरानी फाइनेंशियल प्लानिंग योजनाओं में से एक है. एक अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड रिटायरमेंट पोर्टफोलियो बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है. आपकी उम्र और जीवन के स्तर के आधार पर, एक क्वालिफाइड वेल्थ मैनेजर आपके एसेट एलोकेशन की योजना बनाने में आपकी सहायता कर सकता है. उदाहरण के लिए अगर आपने 35 साल की उम्र में रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स करना शुरू किया है तो आपके पास अपने पैसे को बढ़ने के लिए लगभग 25 साल का समय होगा.
ऐसे में यदि आप खुद को इस कंडीशन में पाते हैं तो आपको अपनी सेविंग्स का कम से कम 30% से 40% अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग में लगाना चाहिए. साथ ही इन्फ्लेशन से निपटने के लिए आप ईपीएफ और इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसे उपकरण का प्रयोग भी कर सकते हैं और यदि आप रिटायरमेंट के करीब हैं तो अतिरिक्त लिक्विडिटी प्रदान करने के लिए अपनी डेट फंड होल्डिंग्स को बढ़ा सकते हैं.
रिटायरमेंट के बाद ऐसे कई रिस्क हैं, जिनका कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता है. जैसे दीर्घकालिक बीमारियां, उच्च मेडिकल खर्च, या आवास या वैवाहिक स्थिति में अप्रत्याशित परिवर्तन आदि. यदि आपके पास पर्याप्त इंश्योरेंस कवरेज नहीं है, तो ये आपकी फाइनेंशियल कंडीशन को और बिगाड़ सकता है. इस प्रकार की अचानक से आने वाली मुसीबतों के लिए आप इंश्योरेंस खरीदने पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि ऐसे मामलों में, पर्याप्त इंश्योरेंस कवरेज होने से कुछ फाइनेंशियल तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है.
जो लोग रिटायरमेंट के करीब हैं, उन्हें काम करना बंद होने से पहले अपने सभी लोन का भुगतान करने का प्रयास करना चाहिए. एक बार रिटायर होने के बाद अपने लोन का भुगतान करते रहना अच्छा विचार नहीं माना जाता है. इसीलिए रिटायर होने से पहले, सुनिश्चित कर लें की आप के द्वारा सभी प्रकार के लोन चुकाए जा चुके हैं या नहीं और अगर नहीं चुकाए गए हैं, तो उन्हें आपको जल्द से जल्द चुकाने का प्रयास करना चाहिए.
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