शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो अभी पे करें एडवांस टैक्स

इन्वेस्टर्स को फाइनेंशियल ईयर के अंत में ITR फाइल करते समय टैक्स पे करने की बजाए हर तिमाही में कैपिटल गेन पर एडवांस टैक्स पे कर देना चाहिए.

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FY21 के अंत तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर एक्टिव क्लाइंट की संख्या 1.88 थी जो जून के अंत तक 2.23 करोड़ हो गई, केवल तीन महीनों में 18% का इजाफा. 2020 के बाद से खोले गए डीमैट अकाउंट की संख्या में रिकॉर्ड उछाल आया है. पहली बार इन्वेस्ट करने वाले बहुत से इन्वेस्टर्स ने डायरेक्ट इक्विटी के साथ शेयर मार्केट (Stock Market) में एंटर किया. उनमें से बहुत से इन्वेस्टर्स को स्टॉक खरीदने और बेचने पर लगने वाले टैक्स के बारे में पता नहीं होगा. टैक्सबडी डॉट कॉम के फाउंडर सुजीत बांगर की सलाह है कि जैसे ही आप कमाते हैं वैसे ही टैक्स पे कर दे – शेयर मार्केट में कैपिटल गेन टैक्स का यही मंत्र है.

इन्वेस्टर्स को फाइनेंशियल ईयर के अंत में ITR फाइल करते समय टैक्स पे करने की बजाए हर तिमाही में कैपिटल गेन पर एडवांस टैक्स पे कर देना चाहिए. बांगर ने कहा, “यदि आपने F&O या इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेड किया है या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन भी किया है, तो आपको उस पर एडवांस टैक्स पे करना चाहिए.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वरना टैक्स लायबिलिटी पर इंटरेस्ट चार्ज करेगा” टैक्स पेमेंट में देरी के लिए इंटरेस्ट पेनल्टी लगभग 12% हो सकती है. संबंधित तिमाहियों 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च तक एडवांस टैक्स पे करना होगा. आपको एक फाइनेंशियल ईयर में एक्सपेक्टेड एनुअल टैक्स का 15 जून तक 15%, 15 सितंबर तक 45%, 15 दिसंबर तक 75% और 15 मार्च तक 100% का भुगतान करना होगा.

टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, “यदि कैपिटल गेन सहित आपकी इनकम पर टैक्स लायबिलिटी 10,000/- से ज्यादा है, तो आपको संबंधित तिथियों पर एडवांस टैक्स का भुगतान करना होगा, जब तक कि आप एक सीनियर सिटीजन नहीं हैं और आपकी बिजनेस इनकम नहीं है”

एडवांस टैक्स पेमेंट न केवल आपको पेनल्टी से बचाता है, बल्कि आपके कैश फ्लो को मैनेज करने में भी आपकी मदद करता है. ITR फाइल करते समय एक बार में टैक्स लायबिलिटी पे करना मुश्किल हो सकता है अगर ये अमाउंट बहुत बड़ा है.

इन बातों का रखें ख्याल

शेयर मार्केट में शेयर बेचते समय अपने कैपिटल गेन पर नज़र रखें. जैन सलाह देते हैं, ”आपको या तो अकाउंट बुक रखनी चाहिए या एक्सेल पर पूरा रिकॉर्ड रखना चाहिए. अगर आप जरूरत से ज्यादा टैक्स चुका देते हैं, तो भी आप टैक्स रिफंड फाइल कर सकते हैं. I-T डिपार्टमेंट टैक्स रिफंड को जल्दी क्लियर करता है.

कैपिटल गेन पर टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि स्टॉक कब बेचा जा रहा है. इसमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म के अलावा और भी बहुत कुछ है. उदाहरण के लिए, इंट्राडे ट्रेडिंग और F&O में गेन को स्पेक्यूलेटिव इनकम माना जाता है, जबकि यदि आप अक्सर स्टॉक खरीदते और बेचते हैं, तो आपको इसे बिजनेस इनकम की तरह रिपोर्ट करना चाहिए. यह केवल तभी होता है जब आप एक सिग्निफिकेंट पीरियड के लिए स्टॉक रखते हैं, इसे खरीदने के बाद एक साल के अंदर बेचते हैं, तो ये शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है. एक साल के बाद होने वाला गेन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है. STCG पर 15% के रेट से टैक्स लगता है जबकि LTCG पर 10% के रेट से टैक्स लगता है. हर साल 1 लाख रुपये तक का LTCG टैक्स फ्री है.

इंट्राडे गेन को माना जाता है आपकी रेगुलर इनकम की तरह

जैन कहते हैं, ‘इंट्राडे गेन को आपकी रेगुलर इनकम की तरह माना जाता है और आप पर लागू टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगता है. I-T डिपार्टमेंट ने साफ किया है कि कैपिटल गेन और डिविडेंड इनकम इस साल से ITR फॉर्म में पहले से भरी आएगी.

बांगर ने कहा, “पहले से भरे हुए डेटा में कई समस्याएं हैं. इस पर कोई भरोसा नहीं कर सकता. मेरी सलाह है कि आप अपने टैक्स को खुद कैलकुलेट करें”

Published - August 9, 2021, 08:39 IST