डेट म्यूचुअल फंड से हो रहे कैपिटल गेन पर इस फॉर्मूले से बचा सकते हैं टैक्स

डेट म्यूचुअल फंड के निवेश की अवधि 36 महीने से अधिक हो तो आपको 20% लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना पड़ता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 8, 2021, 01:08 IST
How To Save Tax On Gains Of Debt Mutual Funds

अगर आपके कर्ज लेना मकसद खर्च करना है जैसे क्रेडिट कार्ड से डिजाइनर कपड़े लेना तो ये बुरे कर्ज का उदाहरण है. लेकिन आप अपने व्यापार के लिए, स्टार्टअप के लिए या एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो ये अच्छा है.

अगर आपके कर्ज लेना मकसद खर्च करना है जैसे क्रेडिट कार्ड से डिजाइनर कपड़े लेना तो ये बुरे कर्ज का उदाहरण है. लेकिन आप अपने व्यापार के लिए, स्टार्टअप के लिए या एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो ये अच्छा है.

Debt Mutual Fund Tax: 52 वर्ष के निखिल मोदी ने 2010 में डेट फंड में 1 लाख रुपये (100 रुपये की 1,000 यूनिट) लगाए थे और अभी इसकी वैल्यू 4 लाख रुपये है. यानी निखिल को इन 10 साल में 3 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है. वे अब इस निवेश से निकलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें टैक्स के नियम के बारे में जानकारी नहीं हैं. यदि आपने भी डेट फंड में निवेश किया है या करने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले इसके साथ जुड़े टैक्स नियमों को समझ लेना चाहिए.

डेट म्यूचुअल फंड में टैक्स का नियम

डेट म्यूचुअल फंड में निवेश की अवधि के आधार पर टैक्स की गिनती होती है. 36 महीने से कम और ज्यादा अवधि तक निवेश रखने पर टैक्स रेट तय किया जाता है.

शॉर्ट-टर्म केपिटल गेइन (STCG) टैक्स

यदि आप 36 महीने (3 साल) से कम अवधि में अपने डेट फंड का निवेश बेच देते हैं तो इस लेन-देन से हुए मुनाफे को शॉर्ट-टर्म केपिटल गेन (STCG) माना जाएगा. आपको इस पर अपने टैक्स स्लेब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा.

लॉन्ग-टर्म केपिटल गेइन (LTCG) टैक्स

यदि डेट म्यूचुअल फंड में आपका होल्डिंग पीरियड 36 महीने (3 साल) से ज्यादा है तो उसे बेचने से आपको जो मुनाफा होगा वह लॉन्ग-टर्म केपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा और आपको 20% LTCG टैक्स चुकाना होगा. इसमें आप इंडेक्सेशन बेनेफिट का फायदा ले सकते हैं.

इंडेक्सेशन से कैसे बचता है टैक्स

आपके निवेश में जितना ज्यादा रिटर्न मिलेगा उतना ही ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है. ऐसे में आप इंडेक्सेशन से अपनी टैक्स लाइबिलिटी को कम कर सकते हैं. इसका फायदा केवल लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन होने के मामले में ही मिलता है. इंडेक्सेशन आपको अपने निवेश के खरीद मूल्य को मौजूदा मूल्य पर बढ़ाकर उन्हें समायोजित करने में मदद करता है. आपके खरीद मूल्य को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा अधिसूचित कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) के मुताबिक, मौजूदा मूल्य पर बढ़ाया जाएगा और उस बढ़े हुए मूल्य को बिक्री मूल्य से घटाया जाएगा जबकि शेष पर 20% की दर से कर लगाया जाएगा.

अधिग्रहण की अनुक्रमित लागत का सूत्र = अधिग्रहण की मूल लागत x (बिक्री के वर्ष का CII/खरीद के वर्ष का CII)

ये है कैलकुलेशन

ऊपर दिए गए निखिल मोदी के केस के बारे में इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर महेश शास्त्री समझाते हैं कि निखिल के डेट फंड का खरीद मूल्य 1 लाख रुपये है और 2010 में जब निखिल ने यह निवेश किया था, उसके लिए CII 167 रखा गया है. अभी 2021 में CII 317 है और विक्रय मूल्य 4 लाख है. टैक्सेबल अमाउंट कैलकुलेट करने के लिए हमें इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन का सूत्र इस्तेमाल करना होगा.

इस हिसाब से-

1,00,000 रुपये x (317/167) = 1,89,820 रुपये

हमे 4 लाख रुपये में से इस 1,89,820 रुपये की अनुक्रमित लागत को कम करना होगा, यानी 2,10,180 रुपये टैक्सेबल अमाउंट है और इस पर 20% LTCG टैक्स गिना जाएगा, जो 42,035 रुपये है.

यदि हम इंडेक्सेशन बेनेफिट के बिना टैक्स की गिनती करें तो 3 लाख रुपये के मुनाफे पर 20% LTCG टैक्स चुकाना होगा, जो 60,000 रुपये है, यानी इंडेक्सेशन से हम टैक्स देयता कम कर सकते हैं.

Published - September 8, 2021, 01:08 IST